भोपाल। मध्यप्रदेश में माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10वीं की बोर्ड की परीक्षाएं नहीं कराई हैं. जिसके चलते छात्र के 3 साल के मूल्यांकन के आधार पर उसे अंक दिए जाएंगे, ऐसे में अभी 31 मई तक रिजल्ट तैयार करना मुश्किल हो रहा है, कोरोना महामारी के चलते दसवीं के परीक्षा परिणाम तैयार करने के लिए दिया गया समय पर्याप्त नहीं है. शिक्षक और प्राचार्य बहुत अधिक संख्या में संक्रमित हैं, इसलिए कई शिक्षक संगठनों ने इसके लिये 10 जून तक का समय देने की बात कही है.
दरसअल 2020 में कोरोना के बाद जब से स्कूल खुले 40 फीसद उपस्थिति नहीं रही, ऐसे में पूरे बच्चों का टेस्ट नहीं लिया गया, अधिकतर बच्चों के टेस्ट हुए ही नहीं और अब विभाग कह रहा है कि टेस्ट के आधार पर रिजल्ट तैयार करना है. वहीं मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल के 10वी बोर्ड का रिजल्ट तैयार करने के संबंध में जो आदेश जारी किए गए हैं, उसमें नियमित विद्यार्थियों के लिए प्रत्येक विद्यार्थियों की छमाही, प्री-बोर्ड, यूनिट टेस्ट और आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाना है और इन परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण रहने वाले विद्यार्थियों को भी 33 अंक देकर पास घोषित किया जाएगा और साथ ही बोर्ड के सभी प्राइवेट विद्यार्थियों को 33 अंक देकर पास घोषित किया जाएगा. अब इसमें समस्या यह है कि कोरोना के चलते ज्यादातर विद्यार्थियों के आंतरिक मूल्यांकन हुए ही नहीं, तो जो अंक आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर मिलना है, वे अंक कैसे मिलेंगे, कई सरकारी स्कूलों में आंतरिक मूल्यांकन हुआ ही नहीं है, ऐसे में अब शिक्षक अपने मन से अंक देंगे.
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माशिमं के निर्देश बने शिक्षकों के लिए सिरदर्द
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने यह भी निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्कूल का रिजल्ट पिछले तीन साल के औसत रिजल्ट से दो फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए, अब स्कूलों के सामने मुसीबत यह है कि कोरोना काल में दसवीं की छमाही, रिवीजन टेस्ट या प्री-बोर्ड परीक्षा सभी ओपन बुक पद्धति से ली गई. इन परीक्षाओं में सभी विद्यार्थियों के रिजल्ट अच्छे रहे, हर स्कूल का रिजल्ट 80 से 90 फीसद तक रहा है, इसके चलते रिजल्ट अच्छे आएंगे ही, क्योंकि पिछले बाकी परीक्षाओं का रिजल्ट बेहतर रहा था. अब स्कूल प्राचार्य परेशान है कि माशिमं द्वारा तय मापदंडों के आधार पर मुख्य परीक्षा का रिजल्ट तैयार करना एक बड़ी चुनौती हैं, मंडल ने स्कूलों को 30 मई तक रिजल्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं, वहीं शिक्षक संगठनों का कहना है कि इस निर्णय से शिक्षकों, प्राचार्यों के सामने कई समस्याएं खड़ी हो गई हैं, इसलिए 10 जून तक का समय दिया जाए.