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सादगी से ईद मनाने का फैसला दर्जियों पर पड़ा भारी, नहीं मिल रहा काम

लॉकडाउन और इसके कारण सादगी से ईद मनाने का फैसला राजधानी भोपाल के टेलरों की जेब पर भारी पड़ रहा है, सीजन पर उनकी कमाई 40 से 50 हजार रुपए हो जाती थी और अब उन्हें खाने के लाले पड़ रहे हैं.

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Published : May 20, 2020, 1:32 PM IST

Updated : May 20, 2020, 3:32 PM IST

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दर्जी को नहीं मिल रहा काम

भोपाल। लॉकडाउन के कारण राजधानी भोपाल के मुस्लिम समाज ने सादगी से ईद मनाने का फैसला लिया तो ये फैसले दर्जियों की जेब पर भारी पड़ गया, जो ट्रेलर रमजान के बाद ईद आने तक अच्छी खासी कमाई कर लेते थे आज वो काम नहीं होने के कारण घर में बैठे हुए हैं.

मास्टर जी की जेब खाली

रेडीमेड और ब्रांडेड कपड़ों के इस दौर में अपनी आजीविका के लिए संघर्षरत दर्जियों के लिए ईद का त्यौहार बहार लेकर आता था लेकिन इस बार की ईद से उनकी उम्मीद फीकी रह गई. सीजन पर दर्जियों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ टूट पड़ती थी रमजान में रोज 18 से 20 घंटे काम कर दर्जी पजामे कुर्ते और पठानी सूट सीते थे. चिराग ट्रेलर के मालिक शेख मोहम्मद मसरूर बताते हैं कि वे ईद के सीजन में 50 से 60 तक वह कमा लेते थे, रात दिन दुकान खुली रहती थी और 20 से 22 घंटे काम करते थे. लेकिन 22 मार्च से घर बैठे हैं और कोई काम नहीं है, अब परिवार को खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.

ऐसी ही परेशानी जैक्सन टेलर के दर्जी संजय की है उनका कहना है कि वे रमजान में हजार रुपए रोज का कमा लेता था लेकिन बीते दो-तीन माह से कुछ कमाई नहीं हुई है. हाकिम सिंह ट्रेलर का कहना है कि आम दिनों में 400 से 500 रुपए रोज के कमा लेते थे और खास तौर पर रमजान में 1 सप्ताह में ही 10 से 12000 कमा लेता था अब उसके पास 1 रुपये भी नहीं है और दिन घर में ही कट रहे हैं.

भोपाल के कुछ दर्जियों ने घर में रहकर भी काम करने का प्रयास किया लेकिन गिट्टी और सामान की सब दुकानें बंद मिली. इतना ही नहीं मुस्लिम समाज ने भी इस सादगी मनाने का फैसला लिया है, जिससे रही सही दर्जियों की कमर पूरी तरह टूट गई.

भोपाल। लॉकडाउन के कारण राजधानी भोपाल के मुस्लिम समाज ने सादगी से ईद मनाने का फैसला लिया तो ये फैसले दर्जियों की जेब पर भारी पड़ गया, जो ट्रेलर रमजान के बाद ईद आने तक अच्छी खासी कमाई कर लेते थे आज वो काम नहीं होने के कारण घर में बैठे हुए हैं.

मास्टर जी की जेब खाली

रेडीमेड और ब्रांडेड कपड़ों के इस दौर में अपनी आजीविका के लिए संघर्षरत दर्जियों के लिए ईद का त्यौहार बहार लेकर आता था लेकिन इस बार की ईद से उनकी उम्मीद फीकी रह गई. सीजन पर दर्जियों की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ टूट पड़ती थी रमजान में रोज 18 से 20 घंटे काम कर दर्जी पजामे कुर्ते और पठानी सूट सीते थे. चिराग ट्रेलर के मालिक शेख मोहम्मद मसरूर बताते हैं कि वे ईद के सीजन में 50 से 60 तक वह कमा लेते थे, रात दिन दुकान खुली रहती थी और 20 से 22 घंटे काम करते थे. लेकिन 22 मार्च से घर बैठे हैं और कोई काम नहीं है, अब परिवार को खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.

ऐसी ही परेशानी जैक्सन टेलर के दर्जी संजय की है उनका कहना है कि वे रमजान में हजार रुपए रोज का कमा लेता था लेकिन बीते दो-तीन माह से कुछ कमाई नहीं हुई है. हाकिम सिंह ट्रेलर का कहना है कि आम दिनों में 400 से 500 रुपए रोज के कमा लेते थे और खास तौर पर रमजान में 1 सप्ताह में ही 10 से 12000 कमा लेता था अब उसके पास 1 रुपये भी नहीं है और दिन घर में ही कट रहे हैं.

भोपाल के कुछ दर्जियों ने घर में रहकर भी काम करने का प्रयास किया लेकिन गिट्टी और सामान की सब दुकानें बंद मिली. इतना ही नहीं मुस्लिम समाज ने भी इस सादगी मनाने का फैसला लिया है, जिससे रही सही दर्जियों की कमर पूरी तरह टूट गई.

Last Updated : May 20, 2020, 3:32 PM IST
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