भोपाल। उपचुनाव के टिकट वितरण से नाराज मध्यप्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व गृह मंत्री महेंद्र बौद्ध ने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया. महेंद्र बौद्ध के बसपा में शामिल होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने यह प्रभार मध्यप्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी को सौंपा है. पद संभालने के बाद ही सुरेंद्र चौधरी ने उप चुनाव की तैयारियों को लेकर एक अहम बैठक आयोजित की.
बैठक में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा भी शामिल हुए. कांग्रेस का कहना है कि इस बैठक का उद्देश्य बीजेपी ने जो दोहरा चरित्र अपनाकर और गद्दारी करके हमारे अनुसूचित जाति वर्ग के भोले-भाले लोगों को बहकाया है, जो हमारी सीट हमारे हाथ से चली गई हैं, उन सीटों को फिर हासिल करने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है. दरअसल जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होना है. उसमें ज्यादातर सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की हैं. ग्वालियर चंबल संभाग में 16 सीटों पर उपचुनाव होना है और इस इलाके में अनुसूचित जाति वर्ग का मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं.
साल 2018 जैसा समर्थन पाने की कोशिश
अनुसूचित जाति वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ रही है. 2018 विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति वर्ग का कांग्रेस को भरपूर समर्थन मिला था. अगर इन उपचुनाव में अनुसूचित जाति वर्ग का कांग्रेस को 2018 विधानसभा चुनाव जैसा समर्थन मिलता है. तो कांग्रेस सरकार में वापसी की कोशिशों में सफल हो सकती है. इन उपचुनाव में 9 सीटों पर अनुसूचित जाति वर्ग के प्रत्याशी चुनाव मैदान में होंगे.
बाबा साहब को सम्मान देने का करेंगे काम
वहीं सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि मूलत उपचुनाव को लेकर मुझे कमलनाथ और पार्टी नेतृत्व द्वारा अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया है. उसकी रणनीति बनाने के लिए हमने बैठक आयोजित की है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान की रक्षक 70 साल से रही है. आज संविधान और संविधान निर्माताओं द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को दिया गया मान सम्मान सब असुरक्षित है. इसी को सुरक्षित करने के लिए कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में जो काम किया है, उसको रोकने की जो नापाक तत्वों ने कोशिश की है. उसका बदला लेकर पार्टी की सरकार फिर से स्थापित कर अनुसूचित जाति वर्ग बाबा साहब को सम्मान देने का काम करेगा.