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ऑनलाइन क्लासेस से प्रदेश के कई छात्र आज भी वंचित, बेअसर हुई डिजिटल पढ़ाई

प्रदेश में स्कूलों को बंद हुए 6 महीने हो गए हैं, उसके बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं. शिक्षा विभाग ने हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान की शुरूआत की जिसके जरिए छात्र शिक्षा से वंचित न रह सकें. लेकिन धरातल में ये अभियान फ्लॉप हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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बेअसर हुई डिजिटल पढ़ाई
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Published : Sep 15, 2020, 3:01 PM IST

भोपाल। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन के दौरान सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया था. वहीं अनलॉक होते ही बाजार तो खुले लेकिन स्कूल नहीं. हाल ही में अनलॉक-4.0 के दौरान जारी की गई गाइडलाइन में शैक्षणिक संस्थानों को भी कई तरह की छूट दी गई हैं. इसी कड़ी में 21 सितंबर के बाद से शिक्षक और छात्र स्कूल आ सकेंगे, लेकिन 30 सितंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों के बंद रहने के आदेश हैं.

बेअसर हुई डिजिटल पढ़ाई

50 प्रतिशत मौजूद रहेगा स्टाफ

गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइडलाइन के तहत अब 50 प्रतिशत शैक्षणिक स्टाफ ऑनलाइन कक्षाएं और टेली कॉउंसलिंग के लिए संस्थानों में आ सकते हैं. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण पहले की तरह कक्षाएं स्कूलों में नहीं लगाई जाएंगी. इसलिए ऑनलाइन क्लासेस इसी तरह जारी रहेगी.

प्रदेश सरकार ने भी अनलॉक-4.0 की गाइडलाइन का पालन करते हुए ऑनलाइन कक्षाओं को जारी रखा है. हालांकि, इन कक्षाओं के लिए साधन की व्यवस्था विभाग ने अब तक नहीं की है. प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 60 फीसदी छात्रों के पास स्मार्ट फोन नहीं है और कोरोना के चलते पिछले 6 महीने से ऑनलाइन कक्षाएं ही लग रही हैं. अब जिन छात्रों के पास साधन है वे तो इन कक्षाओं का लाभ ले रहे हैं लेकिन जिनके पास स्मार्ट फोन, टीवी या रेडियो जैसे साधन नहीं हैं वे इस लॉकडाउन और अनलॉक में पूरी तरह शिक्षा से वंचित हो गए हैं.

शुरू किया गया अभियान

जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि जिन छात्रों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, ऐसे छात्रों को ध्यान में रखते हए हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत शिक्षक छात्रों के घर-घर जाकर कक्षाएं ले रहे है. इस अभियान के तहत सभी छात्रों को घर तक किताबें भी पहुंचाई गई हैं. साथ ही छात्रों को शिक्षण सामग्री भी दी गई है, जिससे कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित न रहे.

कितना सफल अभियान

विभाग का यह अभियान कितना सफल है ये तो आंकड़ें ही बयां कर रहे हैं. 6 जुलाई से शूरू हुए इस अभियान के तहत के लाखों छात्रों को किताबें बांटी जानी हैं, लेकिन अब तक महज 84 हजार छात्र ही इन किताबों का लाभ ले पाए हैं, क्योंकि शुरूआत से ही शिक्षक इस अभियान का विरोध करते आए हैं. शिक्षकों का कहना है कि इस तरह घर-घर जाकर छात्रों को पढ़ाने से संक्रमण का खतरा हमें भी है और छात्रों को भी. कई छात्रों के अभिभवक तो शिक्षकों को घर मे घुसने ही नहीं देते हैं. ऐसे में कैसे घर जाकर कक्षाएं लगाई जाएंगी.

दूसरे जिले तक जाते हैं छात्र

करोंद इलाके के जनशिक्षक उपेंद्र कौशल जिनके अंडर में कुल 31 स्कूल हैं, वे बताते हैं कि विभाग योजनाएं तो बना देता है. विभाग के आदेश तो शिक्षकों को मिल जाते है लेकिन इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए कोई साधन शिक्षकों को नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा हमारा घर-हमारा विद्यालय अभियान के तहत शिक्षकों को अपने स्कूल के छात्रों के घर जाकर कक्षाएं लगानी हैं. ऐसे में कई शिक्षक दूसरे जिले से भी आना-जाना करते हैं. इसके अलावा कई शिक्षक 30 किलोमीटर दूर से आते हैं. ऐसे में हर दिन संक्रमण के बीच छात्रों को एकत्रित करना, एक दिन में पांच घरों में कक्षा लगाना कोई आसान बात नहीं है. यही वजह है कि यह अभियान सफल नहीं है. छात्र पहले भी शिक्षा से वंचित थे और आज भी हैं.

विभाग को करनी चाहिए व्यवस्था

वहीं स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में पढ़ने वाले 50 फीसदी बच्चों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उपकरण नहीं हैं. ऐसे में बहुत मुश्किल है, इन छात्रों को पढ़ाना. विभाग को ऐसी कोई व्यवस्था करनी चाहिए जिससे शिक्षक भी आसानी से काम कर सकें और छात्र भी पढाई से वंचित न रहें.

ये भी पढ़ें- अतिथि विद्वानों की नियुक्ति के लिए शासन प्रतिबद्ध, उच्च शिक्षा मंत्री ने दिया भरोसा

आज कोरोना संक्रमण के इस दौर को 6 महीने से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग अब तक उन छात्रों के लिए कोई ऐसी योजना नहीं बना पाया है जिसके जरिए छात्रों को बिना किसी समस्या के शिक्षा मिल सके.

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार अब भी कहते हैं कि छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जल्द ही उचित व्यवस्था की जाएगी, लेकिन यह बदलाव कब देखने को मिलेगा यह तो विभाग ही जानें. फिलहाल प्रदेश के 40 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नही ले पा रहे हैं.

भोपाल। कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन के दौरान सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया था. वहीं अनलॉक होते ही बाजार तो खुले लेकिन स्कूल नहीं. हाल ही में अनलॉक-4.0 के दौरान जारी की गई गाइडलाइन में शैक्षणिक संस्थानों को भी कई तरह की छूट दी गई हैं. इसी कड़ी में 21 सितंबर के बाद से शिक्षक और छात्र स्कूल आ सकेंगे, लेकिन 30 सितंबर तक सभी शैक्षणिक संस्थानों के बंद रहने के आदेश हैं.

बेअसर हुई डिजिटल पढ़ाई

50 प्रतिशत मौजूद रहेगा स्टाफ

गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई गाइडलाइन के तहत अब 50 प्रतिशत शैक्षणिक स्टाफ ऑनलाइन कक्षाएं और टेली कॉउंसलिंग के लिए संस्थानों में आ सकते हैं. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण पहले की तरह कक्षाएं स्कूलों में नहीं लगाई जाएंगी. इसलिए ऑनलाइन क्लासेस इसी तरह जारी रहेगी.

प्रदेश सरकार ने भी अनलॉक-4.0 की गाइडलाइन का पालन करते हुए ऑनलाइन कक्षाओं को जारी रखा है. हालांकि, इन कक्षाओं के लिए साधन की व्यवस्था विभाग ने अब तक नहीं की है. प्रदेश के शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 60 फीसदी छात्रों के पास स्मार्ट फोन नहीं है और कोरोना के चलते पिछले 6 महीने से ऑनलाइन कक्षाएं ही लग रही हैं. अब जिन छात्रों के पास साधन है वे तो इन कक्षाओं का लाभ ले रहे हैं लेकिन जिनके पास स्मार्ट फोन, टीवी या रेडियो जैसे साधन नहीं हैं वे इस लॉकडाउन और अनलॉक में पूरी तरह शिक्षा से वंचित हो गए हैं.

शुरू किया गया अभियान

जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि जिन छात्रों के पास स्मार्ट फोन नहीं है, ऐसे छात्रों को ध्यान में रखते हए हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत शिक्षक छात्रों के घर-घर जाकर कक्षाएं ले रहे है. इस अभियान के तहत सभी छात्रों को घर तक किताबें भी पहुंचाई गई हैं. साथ ही छात्रों को शिक्षण सामग्री भी दी गई है, जिससे कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित न रहे.

कितना सफल अभियान

विभाग का यह अभियान कितना सफल है ये तो आंकड़ें ही बयां कर रहे हैं. 6 जुलाई से शूरू हुए इस अभियान के तहत के लाखों छात्रों को किताबें बांटी जानी हैं, लेकिन अब तक महज 84 हजार छात्र ही इन किताबों का लाभ ले पाए हैं, क्योंकि शुरूआत से ही शिक्षक इस अभियान का विरोध करते आए हैं. शिक्षकों का कहना है कि इस तरह घर-घर जाकर छात्रों को पढ़ाने से संक्रमण का खतरा हमें भी है और छात्रों को भी. कई छात्रों के अभिभवक तो शिक्षकों को घर मे घुसने ही नहीं देते हैं. ऐसे में कैसे घर जाकर कक्षाएं लगाई जाएंगी.

दूसरे जिले तक जाते हैं छात्र

करोंद इलाके के जनशिक्षक उपेंद्र कौशल जिनके अंडर में कुल 31 स्कूल हैं, वे बताते हैं कि विभाग योजनाएं तो बना देता है. विभाग के आदेश तो शिक्षकों को मिल जाते है लेकिन इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए कोई साधन शिक्षकों को नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा हमारा घर-हमारा विद्यालय अभियान के तहत शिक्षकों को अपने स्कूल के छात्रों के घर जाकर कक्षाएं लगानी हैं. ऐसे में कई शिक्षक दूसरे जिले से भी आना-जाना करते हैं. इसके अलावा कई शिक्षक 30 किलोमीटर दूर से आते हैं. ऐसे में हर दिन संक्रमण के बीच छात्रों को एकत्रित करना, एक दिन में पांच घरों में कक्षा लगाना कोई आसान बात नहीं है. यही वजह है कि यह अभियान सफल नहीं है. छात्र पहले भी शिक्षा से वंचित थे और आज भी हैं.

विभाग को करनी चाहिए व्यवस्था

वहीं स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कहना है कि स्कूलों में पढ़ने वाले 50 फीसदी बच्चों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए उपकरण नहीं हैं. ऐसे में बहुत मुश्किल है, इन छात्रों को पढ़ाना. विभाग को ऐसी कोई व्यवस्था करनी चाहिए जिससे शिक्षक भी आसानी से काम कर सकें और छात्र भी पढाई से वंचित न रहें.

ये भी पढ़ें- अतिथि विद्वानों की नियुक्ति के लिए शासन प्रतिबद्ध, उच्च शिक्षा मंत्री ने दिया भरोसा

आज कोरोना संक्रमण के इस दौर को 6 महीने से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग अब तक उन छात्रों के लिए कोई ऐसी योजना नहीं बना पाया है जिसके जरिए छात्रों को बिना किसी समस्या के शिक्षा मिल सके.

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार अब भी कहते हैं कि छात्रों की ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जल्द ही उचित व्यवस्था की जाएगी, लेकिन यह बदलाव कब देखने को मिलेगा यह तो विभाग ही जानें. फिलहाल प्रदेश के 40 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नही ले पा रहे हैं.

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