भोपाल। मध्यप्रदेश में व्यापम का जिन्न एक बार फिर चिराग से बाहर आ गया है. व्यापम मामले में गुमनाम चिट्ठी पर एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में हलचल शुरू हुई है, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जिस चिट्ठी के नाम पर व्यापम घोटाले का खुलासा करने के दावा किया था वो चिट्ठी गायब हो गई है. इस महाघोटाले की दोबारा जांच और गुमनाम चिट्ठी को लेकर शिवराज सिंह ने कहा कि वे आज भी अपने बयान पर कायम हैं, गुमनाम चिट्ठी के आधार पर ही कार्रवाई कराई गई थी. वहीं गृहमंत्री बाला बच्चन ने भी साफ किया है कि चिट्ठी गायब हुई है.
मध्यप्रदेश में पूर्व सीएम शिवराज सिंह के 15 साल के दौरान व्यापम घोटाला सबसे चर्चित घोटाला रहा है. इस मामले में विधायक प्रताप ग्रेवाल और हर्ष विजय गहलोत ने सोमवार को 2013 में हुए व्यापम घोटाले को लेकर पूछा है कि,क्या इंदौर गुप्तचर शाखा को कोई गुमनाम चिट्ठी मिली थी. इस मामले में गृहमंत्री बाला बच्चने अपने जवाब में लिखा था कि अब तक ऐसी कोई चिट्ठी नहीं मिली है.
शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कई बार चिट्ठी को लेकर जानकारी दी जा चुकी है, इसके बाद भी सरकार एक ही सवाल पर क्यों अटकी है. उन्होंने कहा कि जो करना चाहते हैं करें, सरकार को खुली छूट है, सरकार को चिट्ठी में उलझने की बजाए मामले की जांच करानी चाहिए.
वहीं इस मामले में गृहमंत्री बाला बच्चन का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने जिस गुमनाम चिट्ठी का उल्लेख किया था जांच के मामले में वो चिट्ठी इंदौर गुप्तचर शाखा को अब नहीं मिली है. वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि 7 माह से सरकार कर क्या रही, अगर जांच करवाना चाहती है तो करवाए.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मॉब लिंचिंग कानून को लेकर भी अपीन प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि सरकार कानून बनाने के नाम पर गौ रक्षकों को टारगेट करना चाहती है. शिवराज का कहना है कि वे कानून के विरोध में नहीं हैं लेकिन कुछ लोगों को ही टारगेट कर कार्रवाई करना गलत है और ऐसा किया जा रहा है.