भोपाल| प्रदेश में 27 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने वाला है. उपचुनाव से पहले सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है, जिसमें प्रदेश सरकार ने छोटे उपभोक्ताओं के बिजली बिल वसूली पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है. इसके लिए सरकार की ओर से आदेश भी जारी कर दिए गए हैं. पिछले कुछ समय से लगातार मध्यप्रदेश में बिजली उपभोक्ता सरकार के रवैये से नाराज हैं. जिसका असर उपचुनाव पर पड़ सकता है, जिसे देखते हुए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है.
बिजली बिल वसूली पर रोक
बीजेपी के सत्ता में वापसी के साथ ही उपभोक्ताओं को मार्च माह से दिए जा रहे बिजली बिलों में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है, जिसकी वजह से लोगों में भारी नाराजगी है. ऐसे में लोगों का मानना है कि जो बिजली बिल वर्तमान में बीजेपी सरकार दे रही है वह बहुत ज्यादा है. स्थिति ये है कि बिजली उपभोक्ताओं की ज्यादातर शिकायतें भी केवल बिजली बिल से संबंधित ही दर्ज की जा रही है. ऐसी स्थिति में प्रदेश में होने वाले उपचुनाव पर काफी असर भी पड़ सकता है, जिसे देखते हुए अब सरकार ने छोटे उपभोक्ताओं के बिजली बिल वसूली पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिसके आदेश भी जारी कर दिए गए हैं.
ऊर्जा विभाग ने जारी किया आदेश
सरकार ने कोरोना के कहर को देखते हुए बिजली के एक घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने की पहल की है, ऊर्जा विभाग की ओर से देर रात एक आदेश जारी किया गया है जिसके तहत बताया गया है कि एक किलो वाट तक के घरेलू उपभोक्ताओं से 31 अगस्त तक की बकाया फिलहाल नहीं वसूली जाएगी. इस आदेश से सरकार ने कांग्रेस के दावों को विफल करने की कोशिश भी की है, कांग्रेस बिजली बिल को लेकर बीजेपी सरकार पर लगातार निशाना साध रही थी, लिहाजा विधानसभा उपचुनाव में वोटरों की नाराजगी के खतरे को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.
बिल में बढ़ोतरी से जनता नाराज
कांग्रेस सरकार की इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत गरीबों को 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली प्रदान की जा रही थी. कमलनाथ सरकार की इस योजना को प्रदेश भर में लोगों ने बेहद पसंद किया था. जिससे लाखों उपभोक्ताओं को इस योजना का फायदा मिल रहा था और लोगों के बिजली बिल लगातार कम आ रहे थे, लेकिन बीजेपी की सरकार मध्यप्रदेश में बनने के बाद से ही आम उपभोक्ताओं के बिजली के बिल आसमान छू रहे हैं. ऐसी स्थिति में लोग बिजली के बिलों से परेशान हो रहे हैं. बिजली के बिलों को कम कराने के लिए लोगों को सुबह से शाम तक बिजली दफ्तरों के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं, इसके बाद भी बिजली के बिल कम नहीं हो रहे हैं. इसी वजह से लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी साफ तौर पर दिखाई पड़ रही है. साथ ही प्रदेश में होने वाले 27 विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को इसका सीधा फायदा मिल सकता है.
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ऊर्जा विभाग के सचिव आकाश त्रिपाठी ने जारी किए गए आदेश में 1 किलो वाट के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को सितंबर और अक्टूबर में मात्र उनकी वर्तमान मासिक खपत के आधार पर बिजली बिल जारी किया जाएगा. इसे साफ किया गया है कि सितंबर की बिल में पिछला बकाया एरियर की राशि शामिल नहीं की जाएगी. अगर अक्टूबर में किसी उपभोक्ता ने सितंबर का बकाया भुगतान नहीं किया है तो उसे बिल में जोड़ा जाएगा. शासन ने भी स्पष्ट किया गया है कि 31 अगस्त तक की बकाया बिल के संबंध में भविष्य में अलग से आदेश जारी किए जाएंगे. विद्युत वितरण कंपनियों के सभी प्रबंध संचालकों को आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.