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हास्य नाटक के माध्यम से व्यवस्था को सुधारने 'एक और दुर्घटना' का मंचन

राजधानी के शहीद भवन में 'एक और दुर्घटना' हास्य नाटक का मंचन किया गया,नाटक 'एक और दुर्घटना' में बताया गया है कि कोई भी व्यवस्था बनाई जाती है आम आदमी की भलाई के लिए और उस व्यवस्था को चलाने वाले भी इंसान ही होते हैं,

'एक और दुर्घटना' का मंचन
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Published : Apr 5, 2019, 3:11 PM IST

भोपाल। राजधानी के शहीद भवन में 'एक और दुर्घटना' हास्य नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक के माध्यम से व्यवस्था को सुधारने पर बल दिया गया है. कलाकारों ने हास्य नाटक के माध्यम से समाज की उन तमाम परिस्थितियों से लोगों को अवगत कराया, जो आज की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही हैं.

नाटक 'एक और दुर्घटना' में बताया गया है कि कोई भी व्यवस्था बनाई जाती है आम आदमी की भलाई के लिए और उस व्यवस्था को चलाने वाले भी इंसान ही होते हैं, पर अचानक कुछ ऐसा होता है कि वह व्यवस्था इंसानियत से कुछ अलग नजर आने लगती है और फिर सवाल उठता है कि दोषी कौन है ? आदमी या वो व्यवस्था. पर व्यवस्था तो जड़ है और आदमी गतिशील, फिर क्यों व्यवस्था उस पर हावी हो जाती है, तमाम ऐसे सवाल हैं जिन पर बहस चलती रहती है. नाटक के निर्देशक संजय मेहता ने बताया कि इस नाटक के माध्यम से कोई बहस खड़ी नहीं करना चाहते हैं. इस नाटक का उद्देश्य इंसानियत को निखारने का है, ना कि किसी बहस में पड़ने का.

'एक और दुर्घटना' का मंचन

नाटक के निर्देशक संजय मेहता लंबे समय से रंग मंडल से जुड़े हुए हैं और लगातार अपने नाटकों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं पर कटाक्ष करने के लिए जाने जाते हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित दूसरे कई राज्यों में अपनी कला के लिए पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं. इस नाटक के लेखक डारियो फो और इस नाटक का रूपांतरण अमिताभ श्रीवास्तव ने किया है. निर्देशन और मंच पर मुख्य कलाकार की भूमिका भी संजय मेहता ने ही निभाई है. नाटक देखने आए लोगों को भी ये विषय बेहद पसंद आया और उन्होंने कलाकारों के अभिनय की तारीफ की.

भोपाल। राजधानी के शहीद भवन में 'एक और दुर्घटना' हास्य नाटक का मंचन किया गया. इस नाटक के माध्यम से व्यवस्था को सुधारने पर बल दिया गया है. कलाकारों ने हास्य नाटक के माध्यम से समाज की उन तमाम परिस्थितियों से लोगों को अवगत कराया, जो आज की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही हैं.

नाटक 'एक और दुर्घटना' में बताया गया है कि कोई भी व्यवस्था बनाई जाती है आम आदमी की भलाई के लिए और उस व्यवस्था को चलाने वाले भी इंसान ही होते हैं, पर अचानक कुछ ऐसा होता है कि वह व्यवस्था इंसानियत से कुछ अलग नजर आने लगती है और फिर सवाल उठता है कि दोषी कौन है ? आदमी या वो व्यवस्था. पर व्यवस्था तो जड़ है और आदमी गतिशील, फिर क्यों व्यवस्था उस पर हावी हो जाती है, तमाम ऐसे सवाल हैं जिन पर बहस चलती रहती है. नाटक के निर्देशक संजय मेहता ने बताया कि इस नाटक के माध्यम से कोई बहस खड़ी नहीं करना चाहते हैं. इस नाटक का उद्देश्य इंसानियत को निखारने का है, ना कि किसी बहस में पड़ने का.

'एक और दुर्घटना' का मंचन

नाटक के निर्देशक संजय मेहता लंबे समय से रंग मंडल से जुड़े हुए हैं और लगातार अपने नाटकों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं पर कटाक्ष करने के लिए जाने जाते हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित दूसरे कई राज्यों में अपनी कला के लिए पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं. इस नाटक के लेखक डारियो फो और इस नाटक का रूपांतरण अमिताभ श्रीवास्तव ने किया है. निर्देशन और मंच पर मुख्य कलाकार की भूमिका भी संजय मेहता ने ही निभाई है. नाटक देखने आए लोगों को भी ये विषय बेहद पसंद आया और उन्होंने कलाकारों के अभिनय की तारीफ की.

Intro:हास्य नाटक के माध्यम से व्यवस्था को सुधारने के लिए एक और दुर्घटना का मंचन


भोपाल राजधानी के शहीद भवन में रंग शीर्ष की प्रस्तुति एक और दुर्घटना हास्य नाटक का मंचन किया गया इस नाटक के माध्यम से व्यवस्था को सुधारने पर बल दिया गया है कलाकारों के द्वारा हास्य के माध्यम से भी समाज की उम्र परिस्थितियों से लोगों को अवगत कराया गया है जो लगातार आज व्यवस्था पर प्रश्न खड़ा कर रही हैं


Body:नाटक एक और दुर्घटना में बताया गया है कि कोई भी व्यवस्था बनाई जाती है आदमी की भलाई के लिए और उस व्यवस्था को चलाने वाले भी आदमी ही होते हैं पर अचानक कुछ ऐसा होता है कि वह व्यवस्था इंसानियत से कुछ अलग नजर आने लगती है फिर दोषी कौन है ? आदमी या वह व्यवस्था . पर व्यवस्था तो जड़ है और आदमी गतिशील फिर क्यों व्यवस्था उस पर हावी हो जाती है आज तमाम ऐसे प्रश्न है जिन पर बहस चलती रहती है .


नाटक के निर्देशक संजय मेहता ने बताया कि हम इस नाटक के माध्यम से कोई बहस खड़ी नहीं करना चाहते हैं हम उस मंथन की प्रक्रिया में शामिल होना चाहते हैं जो मथ कर इंसानियत को निखारे.


Conclusion:इस नाटक में एक सनकी व्यक्ति को दर्शाया गया है जो पुलिस व्यवस्था पर हास्य के माध्यम से कटाक्ष करता है . इस नाटक के निर्देशक संजय मेहता लंबे समय से रंग मंडल से जुड़े हुए हैं और लगातार अपने नाटकों के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं पर कटाक्ष करने के लिए जाने जाते हैं उन्हें उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश सहित अन्य कई राज्यों में अपनी कला के लिए पुरस्कार भी प्राप्त हो चुके हैं इस नाटक के लेखक डारियो फो और इस नाटक का रूपांतरण अमिताभ श्रीवास्तव ने किया है निर्देशन और मंच पर मुख्य कलाकार की भूमिका भी संजय मेहता ने हीं निभाई है .

नाटक देखने आए लोगों को भी या नाट्य मंचन बेहद पसंद आया और उन्होंने भी इस नाटक की प्रशंसा की .
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