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मध्य प्रदेश की कर्ज लिमिट पार, हजारों करोड़ के बोझ तले मोहन सरकार, आगे क्या होगा - MADHYA PRADESH DEBT OVERLIMIT

कर्ज लेने के मामले में देश में 9वें नंबर पर एमपी, कांग्रेस का आरोप- यहां पैदा हो रहा हर बच्चा 50 हजार के कर्ज में.

Debt on Madhya pradesh
कर्ज लेने के मामले में देश में 9वें नंबर पर एमपी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 21, 2025, 1:50 PM IST

Updated : Jan 21, 2025, 3:10 PM IST

Debt on Madhya pradesh: मध्य प्रदेश कर्ज तले दबता जा रहा है, इसके बावजूद सरकार और अधिक कर्ज लेने का मन बना रही है. कर्ज लेते-लेते स्थिति ये हो चुकी है कि मध्य प्रदेश कर्ज लेने की तय सीमा को पार कर गया है और अब आगे कर्ज लेने के लिए मोहन यादव सरकार को केंद्र सरकार की अनुमति लेनी होगी. इस आर्टिकल में जानें कि मध्य प्रदेश सरकार की कर्ज लेने की क्या लिमिट है, प्रदेश पर अबतक कितना कर्ज हो चुका है और इस मामले में मध्य प्रदेश से कौन से राज्य आगे हैं.

मध्य प्रदेश पर कितना कर्ज है?

सबसे पहले जान लेते हैं कि मध्य प्रदेश पर कुल कितना कर्जा है. तो शीतकालीन सत्र में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश के ऊपर लगभग 4 लाख करोड़ रु का कर्ज है. इसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 में लिया गया 30 हजार करोड़ रु का कर्ज भी शामिल है. बताया जाता है कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न विकास कार्यों के लिए ये कर्ज लिया जा रहा है.

Madhya pradesh par kitna karj
बजट सत्र से पहले कर्ज को लेकर बड़े निर्णय ले सकती है मोहन सरकार (Etv Bharat)

केंद्र से और कर्ज की अनुमति लेगी मोहन सरकार?

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार एक सेट लिमिट के तहत ही कर्ज ले सकती है. वर्तमान में जीएसडीपी (GDSP) यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 3 प्रतिशत ही कर्ज लिया जा सकता है. प्रदेश सरकार इस लिमिट को लगभग पार कर चुकी है. वहीं अब मध्य प्रदेश सरकार अधोसंरचना विकास को तेज करने का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से इस लिमिट को बढ़ाने की मांग कर सकती है.

क्या केंद्र सरकार देगी एमपी को और कर्ज की अनुमति?

मध्य प्रदेश सरकार केंद्र से ये मांग कर सकती है कि जीएसडीपी यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर्ज लेने की सीमा 4 प्रतिशत तक बढ़ा दी जाए. इससे मध्य प्रदेश सरकार की कर्ज लेने की लिमिट बढ़ जाएगी. हालांकि, इस बात को लेकर संशय है कि केंद्र सरकार प्रदेश की मोहन सरकार को कर्ज लेने की अनुमति देगी या नहीं क्योंकि इससे पहले भी राज्य द्वारा अनुमति मांगे जाने पर उस मांग को ठुकरा दिया गया था.

कर्ज के मामले में टॉप-10 राज्य
राज्यकर्ज
तमिलनाडु9 लाख 55 हजार 690 करोड़
उत्तरप्रदेश8 लाख 57 हजार 844 करोड़
महाराष्ट्र8 लाख 12 हजार 68 करोड़
कर्नाटक7 लाख 25 हजार 455 करोड़
पश्चिम बंगाल 7 लाख 14 हजार 195 करोड़
राजस्थान6 लाख 37 हजार 35 करोड़
आंध्र प्रदेश 5 लाख 62 हजार 557 करोड़
गुजरात 4 लाख 94 हजार 435 करोड़
मध्य प्रदेश 4 लाख 80 हजार 976 करोड़

मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 50 हजार का कर्ज?

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार कर्ज लिए जाने पर विपक्ष इसका कड़ा विरोध कर रहा है. हाल ही में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगाए थे. उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने इस दौरान कहा, " सरकार सिर्फ कर्ज पर कर्ज लेकर योजनाओं के नाम भ्रष्टाचार कर रही है. कर्ज कैसे कम हो इसे लेकर कोई प्लानिंग नहीं है. प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 50 हजार रुपए का कर्ज हो जाता है." बता दें कि इससे पहले विपक्ष ने सरकार द्वारा लिए गए कर्ज की जानकारी विधानसभा में मांगी थी.

समय पर होगा सारे कर्ज का भगुतान : वित्त मंत्री

इसपर मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, " मध्य प्रदेश सरकार जो भी कर्ज बाजार या अन्य माध्यम से लेती है, वह तय सीमा के अंदर और प्रदेश की जरूरतों को पूरा करने के लिए ले रही है. जो भी कर्ज लिया जा रहा है, उसका समय पर भुगतान भी होगा."

सिंहस्थ के लिए भी अतिरिक्त फंड की जरूरत

वहीं सरकार का तर्क है कि जो भी कर्ज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लिया जा रहा है, उसका उपयोग अधोसंरचनात्मक विकास पर ही किया जा रहा है. 2028 में उज्जैन में होने जा रहे सिंहस्थ को लेकर भी कई बड़े-बड़े विकास व निर्माण कार्य होने हैं, इसे भी ध्यान में रखा जा रहा है. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार नए वित्तीय वर्ष में लगभग 65 हजार करोड़ रु का कर्ज ले सकती है.

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फिलहाल देखना ये होगा कि क्या केंद्र सरकार मध्य प्रदेश के कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाती है या नहीं? अगर ये सीमा बढ़ाई जाती है तो प्रदेश सरकार फिर एक भारी भरकम कर्ज लेने की तैयारी करेगी और कर्ज के मामले में गुजरात को भी पीछे छोड़ देगी. हालांकि, इसे चुकाने के लिए भी सरकार को बड़े फैसले लेने होंगे.

Debt on Madhya pradesh: मध्य प्रदेश कर्ज तले दबता जा रहा है, इसके बावजूद सरकार और अधिक कर्ज लेने का मन बना रही है. कर्ज लेते-लेते स्थिति ये हो चुकी है कि मध्य प्रदेश कर्ज लेने की तय सीमा को पार कर गया है और अब आगे कर्ज लेने के लिए मोहन यादव सरकार को केंद्र सरकार की अनुमति लेनी होगी. इस आर्टिकल में जानें कि मध्य प्रदेश सरकार की कर्ज लेने की क्या लिमिट है, प्रदेश पर अबतक कितना कर्ज हो चुका है और इस मामले में मध्य प्रदेश से कौन से राज्य आगे हैं.

मध्य प्रदेश पर कितना कर्ज है?

सबसे पहले जान लेते हैं कि मध्य प्रदेश पर कुल कितना कर्जा है. तो शीतकालीन सत्र में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश के ऊपर लगभग 4 लाख करोड़ रु का कर्ज है. इसमें वित्तीय वर्ष 2024-25 में लिया गया 30 हजार करोड़ रु का कर्ज भी शामिल है. बताया जाता है कि प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न विकास कार्यों के लिए ये कर्ज लिया जा रहा है.

Madhya pradesh par kitna karj
बजट सत्र से पहले कर्ज को लेकर बड़े निर्णय ले सकती है मोहन सरकार (Etv Bharat)

केंद्र से और कर्ज की अनुमति लेगी मोहन सरकार?

दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार एक सेट लिमिट के तहत ही कर्ज ले सकती है. वर्तमान में जीएसडीपी (GDSP) यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 3 प्रतिशत ही कर्ज लिया जा सकता है. प्रदेश सरकार इस लिमिट को लगभग पार कर चुकी है. वहीं अब मध्य प्रदेश सरकार अधोसंरचना विकास को तेज करने का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से इस लिमिट को बढ़ाने की मांग कर सकती है.

क्या केंद्र सरकार देगी एमपी को और कर्ज की अनुमति?

मध्य प्रदेश सरकार केंद्र से ये मांग कर सकती है कि जीएसडीपी यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में कर्ज लेने की सीमा 4 प्रतिशत तक बढ़ा दी जाए. इससे मध्य प्रदेश सरकार की कर्ज लेने की लिमिट बढ़ जाएगी. हालांकि, इस बात को लेकर संशय है कि केंद्र सरकार प्रदेश की मोहन सरकार को कर्ज लेने की अनुमति देगी या नहीं क्योंकि इससे पहले भी राज्य द्वारा अनुमति मांगे जाने पर उस मांग को ठुकरा दिया गया था.

कर्ज के मामले में टॉप-10 राज्य
राज्यकर्ज
तमिलनाडु9 लाख 55 हजार 690 करोड़
उत्तरप्रदेश8 लाख 57 हजार 844 करोड़
महाराष्ट्र8 लाख 12 हजार 68 करोड़
कर्नाटक7 लाख 25 हजार 455 करोड़
पश्चिम बंगाल 7 लाख 14 हजार 195 करोड़
राजस्थान6 लाख 37 हजार 35 करोड़
आंध्र प्रदेश 5 लाख 62 हजार 557 करोड़
गुजरात 4 लाख 94 हजार 435 करोड़
मध्य प्रदेश 4 लाख 80 हजार 976 करोड़

मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 50 हजार का कर्ज?

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बार-बार कर्ज लिए जाने पर विपक्ष इसका कड़ा विरोध कर रहा है. हाल ही में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगाए थे. उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने इस दौरान कहा, " सरकार सिर्फ कर्ज पर कर्ज लेकर योजनाओं के नाम भ्रष्टाचार कर रही है. कर्ज कैसे कम हो इसे लेकर कोई प्लानिंग नहीं है. प्रदेश में पैदा होने वाले हर बच्चे पर 50 हजार रुपए का कर्ज हो जाता है." बता दें कि इससे पहले विपक्ष ने सरकार द्वारा लिए गए कर्ज की जानकारी विधानसभा में मांगी थी.

समय पर होगा सारे कर्ज का भगुतान : वित्त मंत्री

इसपर मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा, " मध्य प्रदेश सरकार जो भी कर्ज बाजार या अन्य माध्यम से लेती है, वह तय सीमा के अंदर और प्रदेश की जरूरतों को पूरा करने के लिए ले रही है. जो भी कर्ज लिया जा रहा है, उसका समय पर भुगतान भी होगा."

सिंहस्थ के लिए भी अतिरिक्त फंड की जरूरत

वहीं सरकार का तर्क है कि जो भी कर्ज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लिया जा रहा है, उसका उपयोग अधोसंरचनात्मक विकास पर ही किया जा रहा है. 2028 में उज्जैन में होने जा रहे सिंहस्थ को लेकर भी कई बड़े-बड़े विकास व निर्माण कार्य होने हैं, इसे भी ध्यान में रखा जा रहा है. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश सरकार नए वित्तीय वर्ष में लगभग 65 हजार करोड़ रु का कर्ज ले सकती है.

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फिलहाल देखना ये होगा कि क्या केंद्र सरकार मध्य प्रदेश के कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाती है या नहीं? अगर ये सीमा बढ़ाई जाती है तो प्रदेश सरकार फिर एक भारी भरकम कर्ज लेने की तैयारी करेगी और कर्ज के मामले में गुजरात को भी पीछे छोड़ देगी. हालांकि, इसे चुकाने के लिए भी सरकार को बड़े फैसले लेने होंगे.

Last Updated : Jan 21, 2025, 3:10 PM IST
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