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Smart City Bhopal: भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने का मखौल उड़ा रहे बड़े तालाब पर लगे सोलर पैनल - क्या थी सोलर पैनल लगाने की योजना

भोपाल में बड़े तालाब के किनारे लगी सोलर प्लेट मेंटेनेंस के अभाव में दम तोड़ रही हैं. 2018 में इन पैनल्स को स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट के तहत लगाया गया था. कहा गया था कि इससे बनने वाली बिजली का उपयोग वीआईपी रोड पर लगी लाइट में किया जाएगा, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में लाइट भी बंद पड़ी हैं. (Solar panels on Bada Talab Bhopal) (Mockery of making Bhopal a smart city)

Mockery of making Bhopal a smart city
भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने का मखौल
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Published : Jul 15, 2022, 1:05 PM IST

भोपाल। राजधानी को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है. ऐसे में स्मार्ट सिटी की गाइडलाइन के तहत कई तरह के बदलाव शहर में होने हैं. इसी को देखते हुए भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने बड़े तालाब की रिटेनिंग वॉल पर सोलर पैनल प्लेट लगाकर बिजली उत्पादन और बचाव का नया तरीका निकाला था. ढाई करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 15 सौ से अधिक सोलर पैनल प्लेट को बड़े तालाब की वॉल पर लगाया गया. जिससे हर दिन 3000 यूनिट बिजली के उत्पादन की बात कही गई, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में यह प्रयोग भी अब दम तोड़ता हुआ नजर आ रहा है.

भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने का मखौल

सोलर प्लेट्स पर ही कई जगह पौधे उगे : तालाब के किनारे लगी इन सोलर पैनल प्लेट का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है. इसके चलते प्लेट्स पर ही कई जगह पेड़- पौधे उगे हुए साफतौर पर नजर आते हैं और कई जगह से चूहों ने वायरिंग भी काट दी है. इस वजह से यह सोलर प्लेट लाइट का उत्पादन करने में नाकाम साबित हो रही हैं. शुरुआती समय में कहा गया था कि इन सोलर प्लेट के माध्यम से जो बिजली का उत्पादन होगा उसका उपयोग वीआईपी रोड पर लगी लाइट और कर्बला स्थित पंप हाउस के लिए किया जाएगा, लेकिन इन प्लेट के मेंटेनेंस नहीं होने के चलते पंप हाउस का संचालन सामान्य बिजली से हो रहा है. जबकि वीआईपी रोड में कई जगह लाइटें बंद नजर आईं

क्या थी सोलर पैनल लगाने की योजना : केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी की गाइडलाइन में शर्त रखी है कि शहर में खपत होने वाली बिजली की 10 फीसदी बिजली सोलर प्लांट से तैयार की जाए. इसके तहत शहर की सरकारी इमारतों व पानी की टंकियों में सोलर पैनल लगाने की योजना है. शहर में रोजाना चार मेगावाट बिजली बनाने की योजना है. 130 किलो वॉट बिजली उत्पादन क्षमता के तालाब के किनारे रास्ते पर पैनल स्थापित किये गए हैं. पैनल्स का वजन 11 मीटर की लंबाई में 425 से 450 किलो तक है. इंस्टालेशन की कुल लंबाई 440 मीटर है.

सोलर पैनल से सुखद हुआ अर्बन एनवायरनमेंट, क्लीन एनर्जी में भोपाल को मिला पहला स्थान

हर साल 50 लाख रुपए का बिजली उत्पादन का दावा था : तालाब के किनारे लगी इन सोलर पैनल प्लेट से हर साल ₹50 लाख की बिजली उत्पादन की बात कही गई थी. 5 साल में पैनल की लागत वसूल हो जाएगी. सोलर प्लांट इंस्टॉलेशन की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी के तहत थी, जबकि 5 साल तक इसका पूरा मेंटेनेंस ऊर्जा विकास निगम को देखना है. सीईओ स्मार्ट सिटी अंकित अस्थाना का कहना है कि इस पूरे प्रोजेक्ट के 5 साल तक रखरखाव की जिम्मेदारी ऊर्जा विकास निगम के तहत आती है. वही इसको देख रहा है. स्मार्ट सिटी में इस तरह की शिकायत आएगी तो सॉल्व किया जाएगा. वहीं के. व्यास ईई, ऊर्जा विकास निगम का कहना है कि कई जगह प्लेट पर पेड़- पौधे उगने और वायरिंग कटने की शिकायत मिली है. बारिश के कारण कई जगह वायर फॉल्ट हो जाता है. मेंटेनेंस किया जा रहा है. (Solar panels on Bada Talab Bhopal) (Mockery of making Bhopal a smart city)

भोपाल। राजधानी को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जा रहा है. ऐसे में स्मार्ट सिटी की गाइडलाइन के तहत कई तरह के बदलाव शहर में होने हैं. इसी को देखते हुए भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने बड़े तालाब की रिटेनिंग वॉल पर सोलर पैनल प्लेट लगाकर बिजली उत्पादन और बचाव का नया तरीका निकाला था. ढाई करोड़ के इस प्रोजेक्ट में 15 सौ से अधिक सोलर पैनल प्लेट को बड़े तालाब की वॉल पर लगाया गया. जिससे हर दिन 3000 यूनिट बिजली के उत्पादन की बात कही गई, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में यह प्रयोग भी अब दम तोड़ता हुआ नजर आ रहा है.

भोपाल को स्मार्ट सिटी बनाने का मखौल

सोलर प्लेट्स पर ही कई जगह पौधे उगे : तालाब के किनारे लगी इन सोलर पैनल प्लेट का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है. इसके चलते प्लेट्स पर ही कई जगह पेड़- पौधे उगे हुए साफतौर पर नजर आते हैं और कई जगह से चूहों ने वायरिंग भी काट दी है. इस वजह से यह सोलर प्लेट लाइट का उत्पादन करने में नाकाम साबित हो रही हैं. शुरुआती समय में कहा गया था कि इन सोलर प्लेट के माध्यम से जो बिजली का उत्पादन होगा उसका उपयोग वीआईपी रोड पर लगी लाइट और कर्बला स्थित पंप हाउस के लिए किया जाएगा, लेकिन इन प्लेट के मेंटेनेंस नहीं होने के चलते पंप हाउस का संचालन सामान्य बिजली से हो रहा है. जबकि वीआईपी रोड में कई जगह लाइटें बंद नजर आईं

क्या थी सोलर पैनल लगाने की योजना : केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी की गाइडलाइन में शर्त रखी है कि शहर में खपत होने वाली बिजली की 10 फीसदी बिजली सोलर प्लांट से तैयार की जाए. इसके तहत शहर की सरकारी इमारतों व पानी की टंकियों में सोलर पैनल लगाने की योजना है. शहर में रोजाना चार मेगावाट बिजली बनाने की योजना है. 130 किलो वॉट बिजली उत्पादन क्षमता के तालाब के किनारे रास्ते पर पैनल स्थापित किये गए हैं. पैनल्स का वजन 11 मीटर की लंबाई में 425 से 450 किलो तक है. इंस्टालेशन की कुल लंबाई 440 मीटर है.

सोलर पैनल से सुखद हुआ अर्बन एनवायरनमेंट, क्लीन एनर्जी में भोपाल को मिला पहला स्थान

हर साल 50 लाख रुपए का बिजली उत्पादन का दावा था : तालाब के किनारे लगी इन सोलर पैनल प्लेट से हर साल ₹50 लाख की बिजली उत्पादन की बात कही गई थी. 5 साल में पैनल की लागत वसूल हो जाएगी. सोलर प्लांट इंस्टॉलेशन की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी के तहत थी, जबकि 5 साल तक इसका पूरा मेंटेनेंस ऊर्जा विकास निगम को देखना है. सीईओ स्मार्ट सिटी अंकित अस्थाना का कहना है कि इस पूरे प्रोजेक्ट के 5 साल तक रखरखाव की जिम्मेदारी ऊर्जा विकास निगम के तहत आती है. वही इसको देख रहा है. स्मार्ट सिटी में इस तरह की शिकायत आएगी तो सॉल्व किया जाएगा. वहीं के. व्यास ईई, ऊर्जा विकास निगम का कहना है कि कई जगह प्लेट पर पेड़- पौधे उगने और वायरिंग कटने की शिकायत मिली है. बारिश के कारण कई जगह वायर फॉल्ट हो जाता है. मेंटेनेंस किया जा रहा है. (Solar panels on Bada Talab Bhopal) (Mockery of making Bhopal a smart city)

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