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नवरात्रि के छठवें दिन होती है देवी कात्यायनी की पूजा, जानें कथा और विधि-विधान

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Published : Oct 22, 2020, 7:12 AM IST

आज नवरात्रि के छठा दिन है. ये दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. आज कात्यायनी देवी की पूजा की जाती है. जानिए क्या है देवी की पूजा की पद्दति और परंपरा.

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देवी कात्यायनी की पूजा

भोपाल। 22 अक्टूबर को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है. इस दिन नवरात्रि का छठा दिन है. छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है. पंचांग के अनुसार इस दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र है और सुकर्मा योग बना हुआ है.

कात्यानी पूजा का महत्व

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है. मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था. जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है.

मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी देवी का रुप बहुत आकर्षक है. इनका शरीर सोने की तरह चमकीला है. मां कात्यायनी की चार भुजा हैं और इनकी सवारी सिंह है. मां कात्यायनी के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. साथ ही दूसरें दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है.

शाम के समय करें पूजा

मां कात्यायनी की पूजा विधि पूर्वक करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है. रोग से मुक्ति मिलती है. मां का ध्यान गोधुलि बेला यानि शाम के समय में करना चाहिए. ऐसा करने से माता अधिक प्रसन्न होती हैं.

पूजा की विधि

नवरात्रि के छठवें दिन सबसे पहले मां कत्यायनी को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. इसके बाद मां की पूजा उसी तरह की जाए जैसे कि नवरात्रि के बाकि दिनों में अन्य देवियों की जाती है. इस दिन पूजा में शहद का प्रयोग करें. मां को भोग लगाने के बाद इसी शहद से बने प्रसाद को ग्रहण करना शुभ माना गया है. छठे दिन देवी कात्यायनी को पीले रंग से सजाना चाहिए.

भोपाल। 22 अक्टूबर को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है. इस दिन नवरात्रि का छठा दिन है. छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है. पंचांग के अनुसार इस दिन पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र है और सुकर्मा योग बना हुआ है.

कात्यानी पूजा का महत्व

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है. मां कात्यायनी ने महिषासुर नाम के असुर का वध किया था. जिस कारण मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति प्राप्त होती है.

मां कात्यायनी का स्वरूप

मां कात्यायनी देवी का रुप बहुत आकर्षक है. इनका शरीर सोने की तरह चमकीला है. मां कात्यायनी की चार भुजा हैं और इनकी सवारी सिंह है. मां कात्यायनी के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल सुशोभित है. साथ ही दूसरें दोनों हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा है.

शाम के समय करें पूजा

मां कात्यायनी की पूजा विधि पूर्वक करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है. मां कात्यायनी की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है. रोग से मुक्ति मिलती है. मां का ध्यान गोधुलि बेला यानि शाम के समय में करना चाहिए. ऐसा करने से माता अधिक प्रसन्न होती हैं.

पूजा की विधि

नवरात्रि के छठवें दिन सबसे पहले मां कत्यायनी को लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. इसके बाद मां की पूजा उसी तरह की जाए जैसे कि नवरात्रि के बाकि दिनों में अन्य देवियों की जाती है. इस दिन पूजा में शहद का प्रयोग करें. मां को भोग लगाने के बाद इसी शहद से बने प्रसाद को ग्रहण करना शुभ माना गया है. छठे दिन देवी कात्यायनी को पीले रंग से सजाना चाहिए.

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