भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में गैंगस्टर एक्ट (Gangster Act implemented in MP) लाने की तैयारी शिवराज सरकार (Shivraj Government) कर रही है. इसके लिए महाराष्ट्र के मकोका (MCOCA of Maharashtra) और उत्तर प्रदेश के गुंडा एक्ट (Goonda Act of Uttar Pradesh) का अध्ययन किया जा रहा है. इन दोनों कानूनों के प्रावधानों के आधार पर मध्यप्रदेश के गैंगस्टर एक्ट 2021 को अंतिम रूप दिया जाएगा. जल्द ही इसका ड्राफ्ट तैयार कर विधि विभाग की राय लेने के लिए भेजा जाएगा, इसके बाद ड्राफ्ट को कैबिनेट में रखा जाएगा. मुख्यमंत्री ने गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों को जल्द ही अंतिम रूप देने के लिए कहा है.
मप्र गैंगस्टर एक्ट में होंगे बदलाव
मध्यप्रदेश गैंगस्टर एक्ट (Gangster Act) में गंभीर और संगठित अपराधों और इसके आदतन अपराधियों को पकड़ने और इसके खिलाफ गैरजमानती धाराओं में प्रकरण बनाने का प्रावधान किया जाएगा, इसमें अधिकतम फांसी तक की सजा के प्रावधान पर विचार किया जा रहा है. महाराष्ट्र के मकोका (MCOCA of Maharashtra) और उत्तर प्रदेश के गुंडा एक्ट (Goonda Act of Uttar Pradesh) के तहत बनने वाले नए कानून में हत्या या हत्या की कोशिश, प्राॅपर्टी विवाद और धमकी, गो हत्या, अवैध खनन को भी शामिल किया गया है. मकोका अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधों को ध्यान में रखकर बनाया गया था. इसमें आरोपी को जमानत नहीं मिलती है.
मकोका (MCOCA of Maharashtra) के तहत मामला भी तभी दर्ज किया जाता है, जब 10 साल के अंदर आरोपी कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल हो. इसी तरह उत्तर प्रदेश के गुंडा एक्ट (Goonda Act of Uttar Pradesh) में अपराधियों को सजा के साथ-साथ आर्थिक नुकसान पहुंचाया जाता है, इसमें संपत्ति जब्त करने जैसे प्रावधान हैं. मध्यप्रदेश में इन दोनों कानूनों को ध्यान में रखकर नया कानून बनाया जा रहा है. हालांकि, मध्यप्रदेश की इन दोनों राज्यों से परिस्थितियां अलग हैं, इसलिए इसमें से कुछ प्रावधानों को ही लिया जाएगा. माना जा रहा है कि एक्ट में अपराधियों की संपत्ति जब्त करने जैसे सख्त प्रावधान किए जा सकते हैं. वैसे भी बड़े अपराधों और माफिया के खिलाफ अभियान में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है.
पहले नहीं मिल सकी थी मंजूरी
मध्यप्रदेश में 11 साल पहले भी मकोका (MCOCA of Maharashtra) और गुंडा एक्ट (Goonda Act of Uttar Pradesh) जैसा प्रावधान लाने की कोशिश की गई थी, इसके लिए मध्यप्रदेश आतंकवाद एवं उच्छेदक तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2010 विधानसभा से पास कर केन्द्र की मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली थी. हालांकि उस समय केन्द्र में यूपीए की सरकार थी. अब केंद्र में बीजेपी की सरकार है, ऐसे में पहले जैसी किसी अड़चन की संभावना भी न के बराबर है.