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बड़े हादसे के इंतजार में नगर निगम, जर्जर इमारतों पर नहीं कर रहा कार्रवाई - Shabby buildings

नगर निगम जर्जर इमारतों को गिराने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है. वहीं कई इमारतें जर्जर हो चुकी हैं, इमारतों को अभी तक निगम द्वारा जर्जर घोषित नहीं किया गया है. जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

जर्जर इमारतें
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Published : Jul 20, 2019, 8:44 PM IST

भोपाल। जर्जर इमारतों को गिराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. लेकिन नगर निगम इन इमारतों को गिराने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है. वहीं कई जर्जर हो चुकी इमारतों को अभी तक निगम द्वारा जर्जर घोषित नहीं किया गया है. इसके चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

जर्जर इमारतों पर नगर निगम कार्रवाई नहीं कर रहा

पुराने भोपाल के इमाम गेट पर बने एक जर्जर मकान पर शायद किसी का ध्यान नहीं गया. वहीं एक मकान खुद गिर गया लेकिन उसका मलवा अभी तक नहीं उठाया गया है. इस मकान के पड़ोस वाले मकान की स्थिति भी काफी खराब है. यहां जान जोखिम में डालकर बच्चों को सिलाई मशीन चलाना सिखाया जाता है.

जर्जर इमारतों के आंकड़े

  • शहर में करीब 720 इमारतें जर्जर हो चुकी हैं.
  • नगर निगम के रिकॉर्ड में केवल 350 इमारतों को ही जर्जर घोषित किया गया है.
  • साल 2013 में नगर निगम ने 209 इमारतों को जर्जर घोषित किया था.
  • 2014 में 220 और 2015 में 242 इमारतों को जर्जर घोषित किया.
  • 2016 में 244 इमारतें इमारतों को जर्जर घोषित किया.
  • 2017 में सर्वे ही नहीं हुआ.
  • 2018 में 300 और 2019 में करीब 350 इमारत चिन्हित की गईं.
  • जिला प्रशासन का दावा है कि सभी इमारतों पर कार्रवाई की जाएगी.

भोपाल। जर्जर इमारतों को गिराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. लेकिन नगर निगम इन इमारतों को गिराने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है. वहीं कई जर्जर हो चुकी इमारतों को अभी तक निगम द्वारा जर्जर घोषित नहीं किया गया है. इसके चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

जर्जर इमारतों पर नगर निगम कार्रवाई नहीं कर रहा

पुराने भोपाल के इमाम गेट पर बने एक जर्जर मकान पर शायद किसी का ध्यान नहीं गया. वहीं एक मकान खुद गिर गया लेकिन उसका मलवा अभी तक नहीं उठाया गया है. इस मकान के पड़ोस वाले मकान की स्थिति भी काफी खराब है. यहां जान जोखिम में डालकर बच्चों को सिलाई मशीन चलाना सिखाया जाता है.

जर्जर इमारतों के आंकड़े

  • शहर में करीब 720 इमारतें जर्जर हो चुकी हैं.
  • नगर निगम के रिकॉर्ड में केवल 350 इमारतों को ही जर्जर घोषित किया गया है.
  • साल 2013 में नगर निगम ने 209 इमारतों को जर्जर घोषित किया था.
  • 2014 में 220 और 2015 में 242 इमारतों को जर्जर घोषित किया.
  • 2016 में 244 इमारतें इमारतों को जर्जर घोषित किया.
  • 2017 में सर्वे ही नहीं हुआ.
  • 2018 में 300 और 2019 में करीब 350 इमारत चिन्हित की गईं.
  • जिला प्रशासन का दावा है कि सभी इमारतों पर कार्रवाई की जाएगी.
Intro:जर्जर इमारतों को गिराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है लेकिन हकीकत यह है कि नगर निगम की इन इमारतों को गिराने में दिलचस्पी नहीं है तो कई इमारतों ऐसी हैं जिन्हें जर्जर ही घोषित नहीं किया गया... राजधानी भोपाल में तो कुछ ऐसा ही हाल है


Body:पुराने भोपा,ल के इमाम गेट पर बने इस जर्जर मकान पर शायद किसी का ध्यान नहीं है या फिर नगर निगम हादसे का इंतज़ार कर रहा है.... एक मकान खुद गिर गया लेकिन उसका मलवा अभी तक नहीं उठाया गया है... वहीं इसके पड़ोस वाले मकान की स्थिति भी काफी खराब है यहां जान जोखिम डालकर बच्चों को सिलाई मशीन चलाना सिखाया जाता है...


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Conclusion:ऐसी एक नहीं बल्कि शहर में करीब 720 इमारतें हैं जो जर्जर हो चुके हैं....मगर नगर निगम के रिकॉर्ड को देखा जाए तो केवल 350 इमारतों को ही जर्जर घोषित किया गया है साल 2013 में नगर निगम ने 209 इमारतों को जर्जर घोषित किया था... 2014 में 220 , 2015 का आंकड़ा बढ़कर 242 तक पहुंचा.. 2016 में 244 इमारतें 2017 में तो सर्वे ही नहीं हुआ. जबकि 2018 में 300 , 2019 में करीब 350 इमारत चिन्हित की गई... बाकी मर्दों को जर्जर घोषित क्यों नहीं किया जाए यह सबसे बड़ा सवाल है मगर जिला प्रशासन का दावा है कि सभी इमारतों पर कार्रवाई की जाएगी

बाइट तरुण पिथोड़े, कलेक्टर भोपाल


जिला प्रशासन का दावा तो ठीक है मगर दूसरी तरफ देखें तो जो इमारतें जर्जर घोषित हो चुके हैं... उन्हें हटाने या तोड़ने की कार्रवाई नहीं की गई वजह इन इमारतों से जुड़े न्यायालय में लंबित होना तो कहीं विवादों में उलझना इमारतों को तोड़ने में राजनीतिक रसूख भी आड़े आते हैं ...
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