भोपाल। इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर की संपत्तियों में बदलाव कर उन्हें बेचा को लेकर चल रहे विवाद में हर दिन नए खुलासे हो रहे है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच EOW को सौंप दी गई है, लेकिन इस मामले में इंदौर कमिश्नर कार्यालय की भूमिका पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इंदौर कमिश्नर कार्यालय पर खासगी ट्रस्ट से जुड़ी हुई जानकारी छुपाने का आरोप है.
इस मामले में भोपाल के आरटीआई एक्टिविस्ट और सूचना अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे 2017 में इंदौर संभागायुक्त कार्यालय से खासगी ट्रस्ट की जानकारी मांगी थी. जिसे इंदौर कमिश्नर कार्यालय ने देने से मना कर दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सूचना आयोग में अपील की गई थी. और राज्य सूचना आयोग ने इंदौर कमिश्नर कार्यालय को मांगी गई जानकारी आवेदक को सौंपने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक इंदौर कमिश्नर कार्यालय में इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है.
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे को जानकारी मिली थी कि खासगी ट्रस्ट जो देवी अहिल्याबाई होल्कर की संपत्तियों की देखरेख के लिए बनाया गया था. वह अपने मार्ग से भटक गया है. भ्रष्टाचार के कारण कई धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण हुए थे, और उनमें खासगी ट्रस्ट और मध्य प्रदेश सरकार के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका थी. संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा जानकारी न दिए जाने पर अजय दुबे ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था, और सूचना आयोग ने उनका आवेदन सही पाते हुए इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय को आवेदक को जानकारी देने के आदेश दिए थे. लेकिन इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय ने जानकारी देने की जगह उल्टा राज्य सूचना आयोग में पुनर्विचार की याचिका लगाई थी.
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि सूचना आयोग के आदेश पर पुनर्विचार की व्यवस्था नहीं है. कोई भी व्यक्ति सूचना अधिकार के आदेश को लेकर हाईकोर्ट में पुनर्विचार की याचिका नहीं लगा सकता है. पहले संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा जानकारी न देना और फिर राज्य सूचना आयोग के आदेश पर पुनर्विचार याचिका लगाना. इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय की मंशा पर सवाल खड़े करता है.
आरटीआई एक्टिविस्ट ने उठाए सवाल
ईटीवी भारत से बातचीत में आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि देवी अहिल्याबाई के प्रयासों को साकार करने के लिए खासगी ट्रस्ट बनाया गया था. जो पूरे भारत में उनकी संपत्तियों से जुड़े धार्मिक स्थानों के प्रबंधन के लिए था. जिनमें अहिल्याबाई होल्कर की महत्वपूर्ण भूमिका थीं, लेकिन खासगी ट्रस्ट अपने मार्ग से भटक गया और व्यवस्थाएं बिगड़ गई थी. भ्रष्टाचार के कारण धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण हुए थे. अतिक्रमण में कहीं न कहीं खासगी ट्रस्ट और मध्य प्रदेश के अफसर जिम्मेदार थे.