ETV Bharat / state

खासगी ट्रस्ट मामले में इंदौर कमिश्नर कार्यालय की भूमिका पर सवाल, RTI एक्टिविस्ट ने ETV BHARAT से की बातचीत - by election

मध्यप्रदेश में उपचुनाव से पहले देवी अहिल्याबाई होलकर की संपत्तियों में बदलाव कर उन्हें बेचने का मामला गरमाया हुआ है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच EOW को सौंप दी गई है. लेकिन आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने इंदौर कमिश्नर कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठाए हैं.

RTI activist
आरटीआई एक्टिविस्ट
author img

By

Published : Oct 9, 2020, 12:11 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 1:47 PM IST

भोपाल। इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर की संपत्तियों में बदलाव कर उन्हें बेचा को लेकर चल रहे विवाद में हर दिन नए खुलासे हो रहे है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच EOW को सौंप दी गई है, लेकिन इस मामले में इंदौर कमिश्नर कार्यालय की भूमिका पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इंदौर कमिश्नर कार्यालय पर खासगी ट्रस्ट से जुड़ी हुई जानकारी छुपाने का आरोप है.

खासगी ट्रस्ट मामले में इंदौर कमिश्नर कार्यालय की भूमिका पर उठे सवाल

इस मामले में भोपाल के आरटीआई एक्टिविस्ट और सूचना अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे 2017 में इंदौर संभागायुक्त कार्यालय से खासगी ट्रस्ट की जानकारी मांगी थी. जिसे इंदौर कमिश्नर कार्यालय ने देने से मना कर दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सूचना आयोग में अपील की गई थी. और राज्य सूचना आयोग ने इंदौर कमिश्नर कार्यालय को मांगी गई जानकारी आवेदक को सौंपने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक इंदौर कमिश्नर कार्यालय में इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है.

Reconsideration petition
पुनर्विचार की याचिका

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे को जानकारी मिली थी कि खासगी ट्रस्ट जो देवी अहिल्याबाई होल्कर की संपत्तियों की देखरेख के लिए बनाया गया था. वह अपने मार्ग से भटक गया है. भ्रष्टाचार के कारण कई धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण हुए थे, और उनमें खासगी ट्रस्ट और मध्य प्रदेश सरकार के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका थी. संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा जानकारी न दिए जाने पर अजय दुबे ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था, और सूचना आयोग ने उनका आवेदन सही पाते हुए इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय को आवेदक को जानकारी देने के आदेश दिए थे. लेकिन इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय ने जानकारी देने की जगह उल्टा राज्य सूचना आयोग में पुनर्विचार की याचिका लगाई थी.

Reconsideration petition
पुनर्विचार की याचिका

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि सूचना आयोग के आदेश पर पुनर्विचार की व्यवस्था नहीं है. कोई भी व्यक्ति सूचना अधिकार के आदेश को लेकर हाईकोर्ट में पुनर्विचार की याचिका नहीं लगा सकता है. पहले संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा जानकारी न देना और फिर राज्य सूचना आयोग के आदेश पर पुनर्विचार याचिका लगाना. इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय की मंशा पर सवाल खड़े करता है.

Reconsideration petition
पुनर्विचार की याचिका

आरटीआई एक्टिविस्ट ने उठाए सवाल

ईटीवी भारत से बातचीत में आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि देवी अहिल्याबाई के प्रयासों को साकार करने के लिए खासगी ट्रस्ट बनाया गया था. जो पूरे भारत में उनकी संपत्तियों से जुड़े धार्मिक स्थानों के प्रबंधन के लिए था. जिनमें अहिल्याबाई होल्कर की महत्वपूर्ण भूमिका थीं, लेकिन खासगी ट्रस्ट अपने मार्ग से भटक गया और व्यवस्थाएं बिगड़ गई थी. भ्रष्टाचार के कारण धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण हुए थे. अतिक्रमण में कहीं न कहीं खासगी ट्रस्ट और मध्य प्रदेश के अफसर जिम्मेदार थे.

भोपाल। इंदौर के देवी अहिल्याबाई होलकर की संपत्तियों में बदलाव कर उन्हें बेचा को लेकर चल रहे विवाद में हर दिन नए खुलासे हो रहे है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच EOW को सौंप दी गई है, लेकिन इस मामले में इंदौर कमिश्नर कार्यालय की भूमिका पर भी कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. इंदौर कमिश्नर कार्यालय पर खासगी ट्रस्ट से जुड़ी हुई जानकारी छुपाने का आरोप है.

खासगी ट्रस्ट मामले में इंदौर कमिश्नर कार्यालय की भूमिका पर उठे सवाल

इस मामले में भोपाल के आरटीआई एक्टिविस्ट और सूचना अधिकार आंदोलन के संयोजक अजय दुबे 2017 में इंदौर संभागायुक्त कार्यालय से खासगी ट्रस्ट की जानकारी मांगी थी. जिसे इंदौर कमिश्नर कार्यालय ने देने से मना कर दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सूचना आयोग में अपील की गई थी. और राज्य सूचना आयोग ने इंदौर कमिश्नर कार्यालय को मांगी गई जानकारी आवेदक को सौंपने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक इंदौर कमिश्नर कार्यालय में इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है.

Reconsideration petition
पुनर्विचार की याचिका

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे को जानकारी मिली थी कि खासगी ट्रस्ट जो देवी अहिल्याबाई होल्कर की संपत्तियों की देखरेख के लिए बनाया गया था. वह अपने मार्ग से भटक गया है. भ्रष्टाचार के कारण कई धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण हुए थे, और उनमें खासगी ट्रस्ट और मध्य प्रदेश सरकार के जिम्मेदार अफसरों की भूमिका थी. संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा जानकारी न दिए जाने पर अजय दुबे ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था, और सूचना आयोग ने उनका आवेदन सही पाते हुए इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय को आवेदक को जानकारी देने के आदेश दिए थे. लेकिन इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय ने जानकारी देने की जगह उल्टा राज्य सूचना आयोग में पुनर्विचार की याचिका लगाई थी.

Reconsideration petition
पुनर्विचार की याचिका

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि सूचना आयोग के आदेश पर पुनर्विचार की व्यवस्था नहीं है. कोई भी व्यक्ति सूचना अधिकार के आदेश को लेकर हाईकोर्ट में पुनर्विचार की याचिका नहीं लगा सकता है. पहले संभाग आयुक्त कार्यालय द्वारा जानकारी न देना और फिर राज्य सूचना आयोग के आदेश पर पुनर्विचार याचिका लगाना. इंदौर संभाग आयुक्त कार्यालय की मंशा पर सवाल खड़े करता है.

Reconsideration petition
पुनर्विचार की याचिका

आरटीआई एक्टिविस्ट ने उठाए सवाल

ईटीवी भारत से बातचीत में आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि देवी अहिल्याबाई के प्रयासों को साकार करने के लिए खासगी ट्रस्ट बनाया गया था. जो पूरे भारत में उनकी संपत्तियों से जुड़े धार्मिक स्थानों के प्रबंधन के लिए था. जिनमें अहिल्याबाई होल्कर की महत्वपूर्ण भूमिका थीं, लेकिन खासगी ट्रस्ट अपने मार्ग से भटक गया और व्यवस्थाएं बिगड़ गई थी. भ्रष्टाचार के कारण धार्मिक स्थलों पर अतिक्रमण हुए थे. अतिक्रमण में कहीं न कहीं खासगी ट्रस्ट और मध्य प्रदेश के अफसर जिम्मेदार थे.

Last Updated : Oct 9, 2020, 1:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.