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'एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो' कहकर भी बरी हुईं उमा भारती!

बाबरी विध्वंस में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के उमा भारती को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने बरी कर दिया है. हम बात कर रहे हैं बाबरी विध्वंस में उमा भारती और जयभान सिंह पवैया की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही थी लेकिन अब इन दोनों नेताओं को सीबीआई के विशेष अदालत ने बरी कर दिया है.

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Published : Sep 30, 2020, 1:38 PM IST

uma bharti
उमा भारती

लखनऊ/भोपाल। 29 साल पुराने बाबरी विध्वंस में मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को बरी कर दिया है. इस मामले में आरोपी बनाए गए सभी 49 लोगों को दोषमुक्त कर दिया है. बाबरी विध्वंस में आरोपी बनाए गए 49 आरोपियों में कई बड़े नाम शामिल थे, जिसमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी के साथ ही मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का भी नाम शामिल था.

6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद को कुछ ही घंटों में गिरा दिया गया था और वहां एक अस्थायी मंदिर बना दिया गया था. इस घटना के बाद बीजेपी, व्हीएचपी और शिवसेना के नेताओं सहित हजारों कारसेवकों पर केस दर्ज किया गया था और कईयों को जेल में भी रखा गया था. इन 49 लोगों में मध्यप्रदेश की राजनीति का अहम चेहरा मानी जाने वालीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का भी नाम शामिल था. उनके साथ ही पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया भी आरोपी बनाए गए थे.

बाबरी विध्वंस से पहले उमा भारती के राजनीतिक जीवन की शुरुआत

कथावाचक रहीं उमा भारती ने साल 1984 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वे चुनाव हार गईं थी. वहीं 1989 और 1991 में वे मध्यप्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव जीत गईं थी, लेकिन तब तक उन्हें राजनीति में वह पहचान नहीं मिली थी. उमा भारती का राजनीतिक कद राम जन्म भूमि आंदोलन में उनकी भूमिका से बढ़ा. जहां भाषणों में उनके उग्र आंदोलनों ने उन्हें पहचान दिलाना शुरू की.

वहीं 6 दिसंबर 1992 को जब विवादित ढांचा गिराया गया, उसमें बीजेपी, वीएचपी नेताओं के साथ उमा भारती की भूमिका संदिग्ध मानी जाती रही, उन पर भीड़ को उकसाने का आरोप था. खुद उमा भारती भी अयोध्या आंदोलन में खुद की संदिग्ध भूमिका और उन पर लगते रहे आरोपों को खारिज करती आईं और आज इस बहुप्रतिक्षित मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें भी बरी कर दिया है.

बाबरी विध्वंस में उमा भारती के नारे

बाबरी विध्वंस के वक्त उमा भारती दो नारे जो बहुत फेमस हुए थे, वह था ''राम नाम सत्य है, बाबरी मस्जिद ध्वस्त है'', ''एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ द'', बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से ही उमा भारती और उनके नारे चर्चित रहे और उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जाती रही थी.

जयभान सिंह पवैया की इच्छा

मध्यप्रदेश के मंत्री रह चुके और इस मामले के आरोपी रहे दूसरे नेता जयभान सिंह पवैया का नाम भी इस घटना में सामने आता है. उन्हें भी इस घटना में 49 लोगों के साथ आरोपी बनाया गया था. पवैया बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. लखनऊ सीबीआई कोर्ट में पेश होने के लिए लखनऊ रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए जयभान सिंह पवैया ने कहा था कि ''मैं अपनी पूरी तैयारी से जा रहा हूं, मैंने अपने जीवन की अंतिम कामना यह बना ली है कि मैं मरु तो भगवा में लिपटकर जाऊं. सलाखों के भीतर रहूं या बाहर कोई फर्क नहीं पड़ता है''. जयभान सिंह पवैया ने कहा कि, ''अगर सलाखों के भीतर रहा तो रामजी के लिए काम होगा और जेल के बाहर रहा तो राष्ट्र का काम होगा. 28 साल पहले कांग्रेस की सरकार ने मंदिर विरोधी ताकतों का वोट हासिल करने और हिंदू धर्म के साधु-संतों को बदनाम करने की साजिश रची थी और इसमें कई लोगों को फंसाया गया है.''

बाबरी विध्वंस मामले में पेशी पर जाने से पहले पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने एक और बड़ी इच्छा जताई थी, पूर्व मंत्री ने कहा था कि मथुरा, काशी विश्वनाथ मंदिरों को मुक्त कराने की मांग उठने लगी है. हम राम मंदिर के बाद अब मथुरा, काशी विश्वनाथ के मंदिरों को भी मुक्त देखना चाहते हैं.

बहरहाल, इस बहुप्रशिक्षित मामले में सभा आरोपियों को सीबीआई के विशेष अदालत बरी कर दिया है, कोर्ट ने माना है कि बाबरी का ढांचा गिराना कोई प्रायोजित नहीं था.

लखनऊ/भोपाल। 29 साल पुराने बाबरी विध्वंस में मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया को बरी कर दिया है. इस मामले में आरोपी बनाए गए सभी 49 लोगों को दोषमुक्त कर दिया है. बाबरी विध्वंस में आरोपी बनाए गए 49 आरोपियों में कई बड़े नाम शामिल थे, जिसमें पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी के साथ ही मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का भी नाम शामिल था.

6 दिसंबर 1992 को विवादित बाबरी मस्जिद को कुछ ही घंटों में गिरा दिया गया था और वहां एक अस्थायी मंदिर बना दिया गया था. इस घटना के बाद बीजेपी, व्हीएचपी और शिवसेना के नेताओं सहित हजारों कारसेवकों पर केस दर्ज किया गया था और कईयों को जेल में भी रखा गया था. इन 49 लोगों में मध्यप्रदेश की राजनीति का अहम चेहरा मानी जाने वालीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का भी नाम शामिल था. उनके साथ ही पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया भी आरोपी बनाए गए थे.

बाबरी विध्वंस से पहले उमा भारती के राजनीतिक जीवन की शुरुआत

कथावाचक रहीं उमा भारती ने साल 1984 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन वे चुनाव हार गईं थी. वहीं 1989 और 1991 में वे मध्यप्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट से चुनाव जीत गईं थी, लेकिन तब तक उन्हें राजनीति में वह पहचान नहीं मिली थी. उमा भारती का राजनीतिक कद राम जन्म भूमि आंदोलन में उनकी भूमिका से बढ़ा. जहां भाषणों में उनके उग्र आंदोलनों ने उन्हें पहचान दिलाना शुरू की.

वहीं 6 दिसंबर 1992 को जब विवादित ढांचा गिराया गया, उसमें बीजेपी, वीएचपी नेताओं के साथ उमा भारती की भूमिका संदिग्ध मानी जाती रही, उन पर भीड़ को उकसाने का आरोप था. खुद उमा भारती भी अयोध्या आंदोलन में खुद की संदिग्ध भूमिका और उन पर लगते रहे आरोपों को खारिज करती आईं और आज इस बहुप्रतिक्षित मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें भी बरी कर दिया है.

बाबरी विध्वंस में उमा भारती के नारे

बाबरी विध्वंस के वक्त उमा भारती दो नारे जो बहुत फेमस हुए थे, वह था ''राम नाम सत्य है, बाबरी मस्जिद ध्वस्त है'', ''एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ द'', बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद से ही उमा भारती और उनके नारे चर्चित रहे और उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जाती रही थी.

जयभान सिंह पवैया की इच्छा

मध्यप्रदेश के मंत्री रह चुके और इस मामले के आरोपी रहे दूसरे नेता जयभान सिंह पवैया का नाम भी इस घटना में सामने आता है. उन्हें भी इस घटना में 49 लोगों के साथ आरोपी बनाया गया था. पवैया बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. लखनऊ सीबीआई कोर्ट में पेश होने के लिए लखनऊ रवाना होने से पहले मीडिया से बात करते हुए जयभान सिंह पवैया ने कहा था कि ''मैं अपनी पूरी तैयारी से जा रहा हूं, मैंने अपने जीवन की अंतिम कामना यह बना ली है कि मैं मरु तो भगवा में लिपटकर जाऊं. सलाखों के भीतर रहूं या बाहर कोई फर्क नहीं पड़ता है''. जयभान सिंह पवैया ने कहा कि, ''अगर सलाखों के भीतर रहा तो रामजी के लिए काम होगा और जेल के बाहर रहा तो राष्ट्र का काम होगा. 28 साल पहले कांग्रेस की सरकार ने मंदिर विरोधी ताकतों का वोट हासिल करने और हिंदू धर्म के साधु-संतों को बदनाम करने की साजिश रची थी और इसमें कई लोगों को फंसाया गया है.''

बाबरी विध्वंस मामले में पेशी पर जाने से पहले पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने एक और बड़ी इच्छा जताई थी, पूर्व मंत्री ने कहा था कि मथुरा, काशी विश्वनाथ मंदिरों को मुक्त कराने की मांग उठने लगी है. हम राम मंदिर के बाद अब मथुरा, काशी विश्वनाथ के मंदिरों को भी मुक्त देखना चाहते हैं.

बहरहाल, इस बहुप्रशिक्षित मामले में सभा आरोपियों को सीबीआई के विशेष अदालत बरी कर दिया है, कोर्ट ने माना है कि बाबरी का ढांचा गिराना कोई प्रायोजित नहीं था.

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