भोपाल| चर्चित टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में 50 लाख रुपये जीत चुकीं मध्य प्रदेश राज्य सेवा की अधिकारी अमिता सिंह तोमर के बगावती तेवरों से उनके ही साथियों ने किनारा कर लिया है. तबादले वाली तहसीलदार के तौर पर पहचानी जाने वाली अमिता सिंह ने नौ अगस्त को अपनी फेसबुक वॉल पर प्रशासनिक व्यवस्था पर जमकर हमले बोले थे. उनकी यह पोस्ट वायरल होने के बाद राज्य के राजस्व अधिकारी संघ ने तोमर के बयान की निंदा की है.
संघ के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा है, "अमिता अनर्गल पोस्ट करती रही हैं. यही कारण है कि संघ की उनकी सदस्यता समाप्त की जा चुकी है. तोमर को संघ की ओर से कई बार समझाइश दी गई, मगर उन पर कोई असर नहीं पड़ा." ठाकुर ने सोमवार देर रात एक बयान जारी कर कहा, "तोमर के इस पोस्ट से किसी भी राजस्व अधिकारी का कोई संबंध नहीं है. इतना ही नहीं कोई भी नायब तहसीलदार और तहसीलदार उनकी राय का समर्थन नहीं करता."
ज्ञात हो कि तोमर ने फेसबुक वॉल पर अपने पोस्ट में कहा था, "व्यवस्था से घिन आती है, लगता है कि प्रशासनिक अकादमी में चाटुकारिता और भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग दी जा रही है." उन्होंने नौ अगस्त की रात अपने फेसबुक वाल पर 'चाटुकारिता और भ्रष्टाचार बनाम शासकीय सेवा' शीर्षक से एक पोस्ट में अपनी पीड़ा जाहिर की थी. अमिता सिंह के 16 सालों के सेवाकाल में 10 जिलों में कुल 28 तबादले हो चुके हैं. वह वर्तमान में श्योपुर जिले में तहसीलदार के पद पर हैं, मगर उनकी पदस्थापना निर्वाचन शाखा में है. अमिता ने वर्ष 2011 में केबीसी में 50 लाख रुपये जीते थे.
तहसीलदार तोमर ने अपने पोस्ट में लिखा था कि नियुक्ति और प्रभार में चाटुकारिता और भ्रष्टाचार की योग्यता को प्राथमिकता दी जाती है. इसके लिए उन्होंने कई उदाहरण भी दिए थे. उन्होंने लिखा था, "हमारे काडर की बात करें तो मेरे एक साथी तहसीलदार पर लोकायुक्त के 59 केस दर्ज हैं, पर वह सदा मुख्यालय तहसीलदार के पद पर ही सुशोभित रहते हैं. सारे नियम दरकिनार, क्योंकि सबसे बड़ा गुण वरिष्ठ अधिकारियों की चाटुकारिता और भ्रष्टाचार में निपुणता है, जो उनके सारे दुर्गुणों पर भारी पड़ती है! हम लोगों ने अकादमी में जो ट्रेनिग की थी, वह विभागीय परीक्षा के लिए और काम करने की क्षमता बढ़ाने के लिए की थी. लेकिन पिछले दो-तीन नायब तहसीलदारों के बैच को अपने साथ काम करते देख कर लगता है कि अकादमी में अब कार्य के प्रति निष्ठा और अनुशासन की ट्रेनिग नहीं, चाटुकारिता और भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग दी जा रही है."
श्योपुर के कलेक्टर बसंत पुर्रे ने तोमर के इन आरोपों को उनका निजी विचार बताया है. उन्होंने कहा, "उनका पोस्ट (अमिता सिंह तोमर) संज्ञान में आया है, लेकिन इसमें कही गई बातें उनके (अमिता) निजी विचार हैं. हम इसमें देखेंगे कि क्या कुछ किया जा सकता है." अमिता के इस पोस्ट को लेकर आईएएनएस ने उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
बगावती तहसीलदार के बयान की राजस्व अधिकारी संघ ने की निंदा
तबादले वाली तहसीलदार के तौर पर पहचानी जाने वाली अमिता सिंह ने 9 अगस्त को अपनी फेसबुक वॉल पर प्रशासनिक व्यवस्था पर जमकर हमले बोले थे. उनकी यह पोस्ट वायरल होने के बाद राज्य के राजस्व अधिकारी संघ ने अमिता सिंह तोमर के बयान की निंदा की है.
भोपाल| चर्चित टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में 50 लाख रुपये जीत चुकीं मध्य प्रदेश राज्य सेवा की अधिकारी अमिता सिंह तोमर के बगावती तेवरों से उनके ही साथियों ने किनारा कर लिया है. तबादले वाली तहसीलदार के तौर पर पहचानी जाने वाली अमिता सिंह ने नौ अगस्त को अपनी फेसबुक वॉल पर प्रशासनिक व्यवस्था पर जमकर हमले बोले थे. उनकी यह पोस्ट वायरल होने के बाद राज्य के राजस्व अधिकारी संघ ने तोमर के बयान की निंदा की है.
संघ के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा है, "अमिता अनर्गल पोस्ट करती रही हैं. यही कारण है कि संघ की उनकी सदस्यता समाप्त की जा चुकी है. तोमर को संघ की ओर से कई बार समझाइश दी गई, मगर उन पर कोई असर नहीं पड़ा." ठाकुर ने सोमवार देर रात एक बयान जारी कर कहा, "तोमर के इस पोस्ट से किसी भी राजस्व अधिकारी का कोई संबंध नहीं है. इतना ही नहीं कोई भी नायब तहसीलदार और तहसीलदार उनकी राय का समर्थन नहीं करता."
ज्ञात हो कि तोमर ने फेसबुक वॉल पर अपने पोस्ट में कहा था, "व्यवस्था से घिन आती है, लगता है कि प्रशासनिक अकादमी में चाटुकारिता और भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग दी जा रही है." उन्होंने नौ अगस्त की रात अपने फेसबुक वाल पर 'चाटुकारिता और भ्रष्टाचार बनाम शासकीय सेवा' शीर्षक से एक पोस्ट में अपनी पीड़ा जाहिर की थी. अमिता सिंह के 16 सालों के सेवाकाल में 10 जिलों में कुल 28 तबादले हो चुके हैं. वह वर्तमान में श्योपुर जिले में तहसीलदार के पद पर हैं, मगर उनकी पदस्थापना निर्वाचन शाखा में है. अमिता ने वर्ष 2011 में केबीसी में 50 लाख रुपये जीते थे.
तहसीलदार तोमर ने अपने पोस्ट में लिखा था कि नियुक्ति और प्रभार में चाटुकारिता और भ्रष्टाचार की योग्यता को प्राथमिकता दी जाती है. इसके लिए उन्होंने कई उदाहरण भी दिए थे. उन्होंने लिखा था, "हमारे काडर की बात करें तो मेरे एक साथी तहसीलदार पर लोकायुक्त के 59 केस दर्ज हैं, पर वह सदा मुख्यालय तहसीलदार के पद पर ही सुशोभित रहते हैं. सारे नियम दरकिनार, क्योंकि सबसे बड़ा गुण वरिष्ठ अधिकारियों की चाटुकारिता और भ्रष्टाचार में निपुणता है, जो उनके सारे दुर्गुणों पर भारी पड़ती है! हम लोगों ने अकादमी में जो ट्रेनिग की थी, वह विभागीय परीक्षा के लिए और काम करने की क्षमता बढ़ाने के लिए की थी. लेकिन पिछले दो-तीन नायब तहसीलदारों के बैच को अपने साथ काम करते देख कर लगता है कि अकादमी में अब कार्य के प्रति निष्ठा और अनुशासन की ट्रेनिग नहीं, चाटुकारिता और भ्रष्टाचार की ट्रेनिंग दी जा रही है."
श्योपुर के कलेक्टर बसंत पुर्रे ने तोमर के इन आरोपों को उनका निजी विचार बताया है. उन्होंने कहा, "उनका पोस्ट (अमिता सिंह तोमर) संज्ञान में आया है, लेकिन इसमें कही गई बातें उनके (अमिता) निजी विचार हैं. हम इसमें देखेंगे कि क्या कुछ किया जा सकता है." अमिता के इस पोस्ट को लेकर आईएएनएस ने उनसे फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
ADMINISTRATION ON AMITA SINGH
Conclusion: