भोपाल। 90 के दशक में लाॅटरी (Lottery) से भले ही प्रदेश के कई लोग बर्बाद हुए हो, लेकिन इससे बेपरवाह मध्य प्रदेश सरकार ने लाॅटरी के अलावा सट्टेबाजी (Betting) को भी कानूनी जामा पहना दिया है. एमपी में लाॅटरी और सट्टेबाजी की अनुमति दिए जाने पर पूर्व वित्त मंत्री राघवजी (Raghavji) ने शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) पर बेहद कड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि इसमें फायदा सिर्फ जुए का अड्डा चलाने वालों को ही होता है, लेकिन खेलने वाले हमेशा ठगे जाते हैं. सरकार को भी इससे कुछ आर्थिक लाभ की उम्मीद होगी, लेकिन सरकार को आर्थिक सेहत सुधारने वित्तीय अनुशासन का पालन करना चाहिए. उधर कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि लाॅटरी सट्टे में महिलाओं के मंगलसूत्र तक बिक गए थे. सरकार को यह फेसला वापस लेना चाहिए.
लाॅटरी के साथ सट्टा भी हुआ वैधानिक
मध्य प्रदेश सरकार ने चुपके से प्रदेश में लाॅटरी और सट्टेबाजी को भी वैधानिक कर दिया है. प्रदेश सरकार के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने 23 अगस्त को इस संबंध में नोटिस जारी कर दिया है. इसके तहत लाॅटरी विनियमन अधिनियम 1998 के अधीन लाॅटरियां और सार्वजनिक द्यूत अधिनियम 1867 के अधीन कौशल के खेलों पर सट्टे के लिए छूट दे दी है. यह छूट कौशल के खेलों के लिए होगी, जिसमें सफलता के लिए स्किल की जरूरत होती है, न कि संयोग पर.
आर्थिक सेहत सुधार की चिंता
राज्य सरकार के इस कदम को प्रदेश की खराब आर्थिक सेहत को बूस्ट दिए जाने से जोड़कर देखा जा रहा है. कोरोना के बाद प्रदेश की आर्थिक स्थिति और खराब हुई है. प्रदेश में 31 मार्च 2021 की स्थिति में 2 लाख 53 हजार 335 करोड़ रुपए का कर्जा है. इसमें से 1.54 लाख करोड का कर्जा सरकार ने बाजार से उठाया है. 7360 करोड़ का कर्जा पाॅवर बाॅन्ड से लिया है. 10 हजार 901 करोड़ का कर्जा वित्तीय संस्थाओं से लोन के रूप में लिया. 31 हजार 40 करोड़ का कर्जा केन्द्र सरकार से लिया है. 29 हजार 790 करोड़ का कर्जा सरकार ने केन्द्र सरकार की नेशनल स्माॅल सेविंग फंड से स्पेशल सिक्योरिटी के रूप में लिया है. वहीं 20 हजार 220 करोड़ की सरकार पर दूसरी देनदारियां हैं.
कर्ज लेने का यह सिलसिला रूक नहीं रहा. सरकार अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए लगातार कर्जा ले रही है. आखिरी बार राज्य सरकार ने 26 अगस्त को 2 हजार करोड़ का कर्जा 5 साल के लिए लिया है. इसके पहले 8 जुलाई को 2 हजार करोड़ का कर्जा 10 साल के लिए लिया गया था.
सरकार छोटा फायदा नहीं, बड़ा नुकसान देखें
राज्य सरकार द्वारा लाॅटरी और सट्टेबाजी को लेकर किए गए फैसले पर पूर्व वित्त मंत्री राघव जी ने सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि लाॅटरी इसीलिए चालू की जाती है, ताकि उससे सरकार को फायदा हो, लेकिन फायदा सिर्फ जुए और लाॅटरी का अड्डा चालने वालों को ही होता है. सरकार को तो फायदा होना ही है, लेकिन उस फायदे के लिए हजारों लोग उससे लुटते हैं. पहले यह स्थिति बन गई थी कि मजदूर हर रोज कुछ पैसा लाॅटरी में लगाता था, इससे उनकी हालत खराब होती गई. इसीलिए इसे बंद किया गया. राज्य सरकार को आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सरकारी पैसों का लीकेज रोकने की कोशिश करनी चाहिए, साथ ही वित्तीय अनुशासन का पालन करना चाहिए.
सरकार को फिर से करना चाहिए विचार
आर्थिक विशेषज्ञ संतोष अग्रवाल कहते हैं कि सरकार अपनी आय बढ़ाने के लिए शराब की दुकानें बढ़ा रही है, इसका सबसे ज्यादा नुकसान छोटे तबके को हो रहा है. उसकी बड़ी आय इस बुराई में जा रहा है. अब इसके बाद लाॅटरी और सट्टा वैधानिक होने के बाद इस निचले वर्ग की हालात और खराब हो जाएगी. सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए, यह कदम नुकदानदायक साबित हो सकता है. अधिकांश राज्यों में इसे बंद किया गया है.
कांग्रेस ने साधा निशाना
उधर कांग्रेस ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि देश में धृत क्रीड़ा को आगे बढ़ाने में दुशासन हमेशा आगे रहा है, लेकिन इसकी वजह से द्रोपदी का चीरहरण हुआ था. प्रदेश में भी लाॅटरी के समय महिलाओं के गले के मंगलसूत्र तक बिक गए थे. महिलाओं को इस फैसले का विरोध करना चाहिए, क्योंकि इसका बुरा असर महिलाओं को ही सबसे ज्यादा झेलना है.