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नोटबंदी के 3 साल बाद भी नहीं उबर पाए व्यापारी, आज भी जारी है मंदी का दौरः अर्थशास्त्री

देश में नोटबंदी हुए 3 साल बीत गए है, लेकिन आज भी लोग इसकी मार से गुजर रहे है. वहीं कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नोटबंदी का मंदी में मिला-जुला प्रभाव देखने को मिला है.

तीन साल पहले की गई नोटबंदी का जमकर विरोध
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Published : Nov 8, 2019, 10:04 PM IST

भोपाल। देश में नोटबंदी हुए 3 साल बीत गए हैं, लेकिन नोटबंदी की मार आज भी लोग भुगत रहे है. खासतौर से व्यापारियों की बात करें तो आज भी व्यापारी इस मंदी के दौर से उबर नहीं पा रहे है. अर्थशास्त्री और जाने-माने व्यापारी संतोष अग्रवाल का कहना है कि सरकार की मंशा अच्छी थी, लेकिन जिस तरीके से प्लानिंग की गई शायद उसमें कोई कमी रह गई. उसी का नतीजा है कि 3 साल बाद भी रिटेल व्यापारी मंदी से उबर नहीं पा रहे है, जिसका असर साफ देखने को मिल रहा है.

तीन साल पहले की गई नोटबंदी का जमकर विरोध

भोपाल। देश में नोटबंदी हुए 3 साल बीत गए हैं, लेकिन नोटबंदी की मार आज भी लोग भुगत रहे है. खासतौर से व्यापारियों की बात करें तो आज भी व्यापारी इस मंदी के दौर से उबर नहीं पा रहे है. अर्थशास्त्री और जाने-माने व्यापारी संतोष अग्रवाल का कहना है कि सरकार की मंशा अच्छी थी, लेकिन जिस तरीके से प्लानिंग की गई शायद उसमें कोई कमी रह गई. उसी का नतीजा है कि 3 साल बाद भी रिटेल व्यापारी मंदी से उबर नहीं पा रहे है, जिसका असर साफ देखने को मिल रहा है.

तीन साल पहले की गई नोटबंदी का जमकर विरोध
Intro:देश में नोटबंदी हुए 3 साल बीत गए हैं लेकिन नोटबंदी की मार आज भी लोग खेल रहे हैं खासतौर से व्यापारियों की बात करें तो आज भी व्यापारी इस मंदी के दौर से उबर नहीं पा रहे अर्थशास्त्री और जाने-माने व्यापारी संतोष अग्रवाल का कहना है कि सरकार की मंशा अच्छी थी लेकिन जिस तरीके से प्लानिंग की गई हूं शायद उसमें कोई कमी रह गई और उसी का नतीजा है कि 3 साल बाद भी आज रिटेल व्यापारी उस मंदी से नहीं हो पा रहे हैं जिसका असर साफ देखने को मिल रहा है


Body:8 दिसंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संबोधित करते हुए देश में 500 और 1000 के नोट बंद करने का ऐलान किया था उसके बाद पूरे देश में नोट बंदी को लेकर हाहाकार मचा हुआ था इस दौरान कई निजी उद्योग और अन्य प्राइवेट सेक्टर से लोगों की नौकरियां गईं हजारों लोग बेरोजगार हुए और सरकार ने लाख दावे किए कि काला धन सामने आएगा लेकिन आज भी स्थिति वही की वही है जितना पैसा सरकुलेशन में आया वह है सरकार की तत्कालीन स्थिति के बराबर ही था ऐसे में कई सवाल भी खड़े किए कि आखिर नोटबंदी किस के लिए हुई है जबकि 3 साल बाद तक काले धन का कोई नामोनिशान सामने नहीं आया


Conclusion:संतोष अग्रवाल का कहना है कि जिस तरीके से देश में आर्थिक मंदी है उसको लेकर सरकार को जरूर कोई बेहतर प्लान करना चाहिए जिससे व्यापारी इस मंदी से उबर पाए देश में एंप्लॉयमेंट पैदा हो साथी छोटे-बड़े उद्योग भी धीरे-धीरे पटरी पर आएं इन 3 सालों में जिस तरीके से कैश ट्रांजैक्शन भी खत्म किया है उससे भी काफी नुकसान हुआ है खासतौर से जो छोटे-मोटे रिटेल व्यापारी होते हैं उनकी कमर तोड़ दी गई है तो वहीं जिस तरीके से ई कॉमर्स का बिजनेस भी फल-फूल रहा है उससे भी कहीं न कहीं रिटेलर्स और छोटे उद्योग होते हैं उन्हें इसका नुकसान हो रहा है अब देखना यह है कि सरकार को आर्थिक मंदी के दौर से कैसे बाहर निकाल पाती है


121- संतोष अग्रवाल, अर्थशात्री,
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