भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव के पहले ही प्रदेश में सियासत तेज हो गई है. नगरी निकाय चुनाव से जुड़े विधायकों को लेकर गवर्नर को सरकार ने दो अध्यादेश भेजे थे. जिसमें से राज्यपाल लालजी टंडन ने एक को तो मंजूरी दे दी है लेकिन महापौर चुनाव बिल को फिलहाल रोक दिया है. इस बिल को लेकर ऑल मेयर्स काउंसिल ने राज्यपाल के समक्ष विरोध जताया था. बिल को मंजूरी ना दिए जाने को लेकर कांग्रेस राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा है कि राज्यपाल द्वारा बिल को रोकना गलत परंपरा होगी. उन्होंने राज्यपाल से राज्य धर्म का पालन करने की बात कही है.
विवेक तन्खा ने राज्यपाल को संबोधित करते हुए अपने ट्वीट में लिखा है कि आप कुशल प्रशासक थे और है. संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा के तहत कार्य करते हैं, इसे राज्य धर्म कहते हैं. विपक्ष की बात सुनें, मगर महापौर चुनाव बिल नहीं रोकें. यह गलत परंपरा होगी, जरा सोचिए.
बीजेपी आखिर क्यों कर रही है विरोध
दरअसल, निकाय चुनाव का कार्यकाल दिसंबर तक है. इसके पहले चुनाव होने थे, लेकिन परिसीमन के साथ अन्य कार्रवाई में राज्य सरकार पीछे हो गई. निकाय चुनाव व्यवस्था में बदलाव के लिए सरकार ने दो अध्यादेश राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजे थे, इनमें से एक पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे से जुड़ा था. दूसरा, मेयर के चुनाव से जुड़ा है. इसमें मेयर को चुनाव के जरिए ना चुनकर चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का अध्यादेश राज्यपाल को भेजा गया है लेकिन बीजेपी को इस पर एतराज है. इसके विरोध में ऑल इंडिया मेयर्स काउंसिल के संगठन मंत्री और पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने राज्यपाल से मिलकर इस मामले में कहा है कि चुनाव अप्रत्यक्ष नहीं, बल्कि सीधे होने चाहिए.