भोपाल। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कन्याकुमारी से कश्मीर तक का सफर तय करने वाली मध्यप्रदेश के छोटे से इलाके नागदा से निकली वो मुस्लिम महिला, जिसने छठवीं के बाद से बारहवीं तक की पूरी पढ़ाई घर से ही की. वो महिला जो कॉलेज में दाखिले के साथ ही ब्याह दी गई. जिस महिला ने अपने घर से बाहर दस दिन भी ना बिताएं हों, 6 महीने की भारत जोड़ो यात्रा में गांव शहर से पैदल गुजरते कट्टर मुस्लिम परवार से बाहर निकली उस महिला ने समाज के साथ खुद अपनी ही कितनी बंदिशों को तोड़ा है. मध्यप्रदेश की इकलौती मुस्लिम नेता नूरी खान से मिलिए. जिन्होंने साढे़ तीन हजार किलोमीटर लंबे भारत के एक हिस्से का सफर टूटे पैर से तय किया.
कट्टर मुस्लिम परिवार से कंटेनर तक का सफर: नूरी के परिवार के लिए भी ये कल्पना से परे की बात थी कि एक कट्टर मुस्लिम परिवार से निकली लड़की. जिसने पूरी स्कूली पढ़ाई घर पर की. कॉलेज जाने के दिनों में जो ब्याह दी गई, वो अकेले एक काफिले का हिस्सा बनेंगी. भारत जोडो यात्रा में कन्याकुमारी से कशमीर का सफर तय करेगी. नूरी बताती हैं कि 42 साल की जिंदगी में पहली बार पांच महीने के लिए घर छोड़ा था. बहुत सारे सवाल थे. सबसे मुश्किल था 12वीं में पढ़ रहे बच्चों को छोड़ना, दूसरी चिंता मैंने अब तक केवल साढे़ तीन सौ किलोमीटर की यात्रा की क्या साढें तीन हजार किलोमीटर चल पाऊंगी. 76 किलो मेरा वजन था, लेकिन मन बोल रहा था चलना चाहिए. बच्चों ने जिद की जाओ. मैंने कमलनाथ जी को बताया जाना चाहती हूं. इंटरव्यू कॉल भी आ गया और करीब हजार से ज्यादा लोगों में से जो 117 लोग चुनें गए उनमें मैं भी थी.
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जो मोहब्बत करते है वो डरते नही ..
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जो डरते है वो मोहब्बत करते नही…
कश्मीर पहुँचने पर इस्तक़बाल करते हुए कश्मीरी अवाम …#BharatJodoYatra@RahulGandhi @OfficeOfKNath @digvijaya_28 @Jairam_Ramesh @bharatjodo pic.twitter.com/yhMyGdWNO5
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— Noori Khan (@NooriKhanINC) January 27, 2023
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टूटे लिंगामेंट के साथ भारत जोड़ो: नूरी खान की चुनौती बस इतनी ही नहीं थी कि वो एक कट्टर परिवार से कंटेनर का सफर तय कर रही थीं. 39 नंबर के कंटेनर में उनके साथ यूपी हिमाचल और तेलंगाना की तीन लड़कियां और भी थीं, लेकिन उनसे नूरी का सफर मुश्किल इसलिए था कि एक राजनीतिक प्रदर्शन के दौरान उनके दाएं पैर के घुटने का लिगामेंट टूट चुका था. डॉक्टर ने सख्त मनाही की थी कि वो ज्यादा नहीं चलेंगी. नूरी अपने शरीर को चुनौती देकर बढ़ी थीं. नूरी बताती हैं जब यात्रा के बारह दिन बाद राहुल गांधी के साथ चलने का मौका आया, उन्होंने चाल देखकर जान लिया और कहा कि आपका पैर सीधा क्यों नहीं पड़ता. मैंने बताया कि इंजरी है, तो बोले चलोगे कैसे. थक जाओ तो रुक जाना जरुर.
राहुल से कहा जुड़ाव की जरुरत कांग्रेस में भी: नूरी खान बेबाकी से कहती हैं मैं महिला हूं उस पर माइनोरिटी से हूं, इसका मैंने बहुत नुकसान भी उठाया है. ये बात मैंने बेबाकी से राहुल गांधी से भी कही. मैंने कहा कि हम देश को जोड़ने निकले हैं, लेकिन पार्टी के भीतर भी ये जुड़ाव जरुरी है. देश में बदलाव लाना चाहते हैं, लेकिन पार्टी के भीतर बदलाव आना बेहद जरुरी है.
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गले हुए पैर में चली, गीले बिस्तर सोई पर जज़्बा नहीं टूटा: नूरी बताती हैं मौसम भी तो इम्तेहान ले रहा था. हम 45 तापमान से चले माइनस– चार डिग्री तक पहुंचे. शुरुआत में तो मेरे पैर का अंगूठा ही गल गया था. फिर कश्मीर में भी बरसात में तरबतर चलते रहे. जहां रेस्ट करते थे दोपहर में वो बिस्तर भी गीला हो चुका था, लेकिन जुनून था कि भारत को जोड़ना है और हर हाल में चलना है. राहुल गांधी ने मुझसे पूछा यात्रा के बाद क्या बदला मैंने कहा उनसे इस यात्रा के बाद मैं खुद से मिल पाई.