भोपाल। संत का चोला ओढे इस वक्त कथावाचक जमकर जनता के बीच छाए हुए हैं. इन कथावाचकों को भगवान से नहीं बल्कि सत्ता के प्रेमियों से ज्यादा लगाव हो गया है. मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव को देखते हुए साधु -संत और कथावाचक सियासी रंग में डूबे हुए हैं. ये अपने अनुयायियों को बता रहे हैं कि राष्ट्रवादी बनें. साथ में कोई मोदी की तारीफ कर रहा है तो कोई सीएम शिवराज की तो कोई कांग्रेस का गुणगान गा रहा है.
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर बीजेपी के एजेंडे पर : भोपाल में 4 दिन तक पंडित धर्मेंद्र शास्त्री जोकि बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर है, भोपाल में बड़े तामझाम के साथ श्रद्धालुओं को शांति के पाठ के साथ ही बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाते रहे. वह इसके पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा बुलडोजर चलाए जाने की भी तारीफ कर चुके हैं. भोपाल में बीजेपी नेताओं के आमंत्रण पर उन्होंने यहां पर सभाएं की हैं. कार्यक्रम भोपाल की नरेला विधानसभा में हुआ तो खुद मंत्री विश्वास सारंग और साथ में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मंच पर आरती उतारते हुए नजर आए.
पंडित प्रदीप मिश्रा बनाते हैं बीजेपी के पक्ष में माहौल : कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा महापुराण सुनाने के साथ ही समस्याओं को दूर करने के दावे भी करते हैं और नुस्खे बताते रहते हैं. वह विवादों में तब आए, जब उनके कार्यक्रम में इंदौर- भोपाल रोड जाम हो गया. प्रशासन ने कार्रवाई की. अब बीजेपी सरकार के साथ सुर मिलाकर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिवराज की तारीफ करते नहीं थकते. अब श्रद्धालुओं से राष्ट्रवाद की बात करते हैं. वह कहीं ना कहीं बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाते नजर आ रहे हैं.
पंडोखर सरकार की शरण में दोनों दलों के नेता : पंडोखर सरकार गुरुशरण महाराज उर्फ पंडोखर सरकार का ग्वालियर -चंबल में खासा असर है. इनका आशीर्वाद लेने आम जनता के साथ-साथ बीजेपी और कांग्रेस के नेता हाजिरी लगाते हुए दिखाई देते हैं. इस एवज में आश्रम को अच्छी खासी रकम दान- दक्षिणा के रूप में मिलती है. कंप्यूटर बाबा को पहले शिवराज सरकार ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया लेकिन बाद में सरकार से अनबन हो गई और शिवराज सिंह का विरोध करने लगे. फिर पाला बदलकर कमलनाथ के साथ हो लिए. वह कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करते दिखाई देते हैं.
कथा वाचक प्रदीप मिश्रा के विवादित बोल: हिंदू राष्ट्र चाहिए...संविधान बदला जाये...
क्या कहते हैं मनोचिकित्सक : इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के मुताबिक कथावाचक हो या साधु-संत लोग इनके पास अपेक्षा लेकर जाते हैं और ये भी सभी को आश्वस्त करते हैं कि आपका काम हो जाएगा. यही वजह है कि कमजोर मानसिकता वाले अंधभक्त बन जाते हैं. (Questions on role of saints and Kathavachak) (Kathavachak more interested in politics) (Sadhu saints in politics)