भोपाल। राजधानी भोपाल में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन 'हमारा घर हमारा विद्यालय' अभियान का विरोध कर रहा है. एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि, शासकीय स्कूलों के बच्चों को घर- घर जाकर पढ़ाया जा रहा है. शिक्षण सामग्री भी दी जा रही है. शिक्षक छात्रों की पढ़ाई करा रहे हैं, फिर अशासकीय स्कूल के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है. निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी किताबों की आवश्यकता है, वे भी पढ़ना चाहते हैं, लेकिन विभाग ने निजी स्कूलों को इसकी इजाजत नहीं दी है. ऐसे में निजी स्कूलों में सभी गतिविधियां पूरी तरह से बंद हैं. शासकीय स्कूल में विभाग के द्वारा जो तरह- तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं. साथ ही एसोसिएशन का कहना है कि, 'शिक्षक घर घर जाकर किताबें बांट रहे हैं. इससे संक्रमण का खतरा शिक्षक और छात्र दोनों के लिए पैदा हो रहा है और ऐसा करके विभाग सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहा है'.
कोरोना संक्रमण के प्रकोप के चलते पिछले चार माह से स्कूलों में ताले पड़े हुए हैं. ऐसे में फिलहाल सितम्बर माह में स्कूलों को खोलने की बात कही जा रही है. हालांकि देश मे कोरोना का कहर तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में शायद ही सितम्बर में स्कूल खोले जाए. छात्र घर पर पढ़ाई से जुड़े रहें, इसको देखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग ने 'हमारा घर, हमारा विद्यालय' अभियान की शुरुआत की है. जिसके साथ शिक्षक छात्रों के घर- घर जाकर शिक्षण सामग्री दे रहे हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है.
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि, 'कोरोना के बीच स्कूल शिक्षा विभाग तरह- तरह के अभियान चला रहा है. ऐसे में हालही में शुरू हुआ 'हमारा घर हमारा विद्यालय' अभियान, जिसके तहत शिक्षक छात्रों के घर जा रहे हैं. उन्हें किताबें दे रहे हैं और छात्रों की कक्षाएं घर पर लगा रहे हैं. ऐसा करने से विभाग कोरोना को बुलावा दे रहा है. जब निजी स्कूलों में सभी गतिविधियां बन्द हैं, तो शासकीय स्कूलों में इस तरह की गतिविधियां क्यों हो रही हैं. इससे छात्रों को खतरा है और शासन के नियमों का उल्लंघन है. प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है की, अगर शासकीय स्कूल छात्रों को घर पर पुस्तक उपलब्ध करा रहा हैं, तो निजी स्कूल भी छात्रों को पुस्तके ऑनलाइन के माध्यम से उपलब्ध कराएगा और शासन ने निजी स्कूलों की फीस मांगने पर जो रोक लगाई है. उसे तत्काल प्रभाव से हटाया जाए. क्योंकि इस तरह से स्कूल आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है. ऐसे में जब स्कूल खुलेंगे, तो स्कूल अपना किराया कैसे भरेगा, स्कूल का मेंटेनेंस कैसे होगा'. इन तमाम मांगों के साथ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के स्कूल शिक्षा विभाग का विरोध शुरू कर शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है.