भोपाल। प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के चलते प्रदेश सरकार लगातार लोगों की मदद करने का दावा कर रही है तो वहीं प्रदेश भर के सभी अस्पतालों को भी लोगों की सहायता करने के लिए निर्देशित किया गया है, इसके बावजूद भी राजधानी के गांधीनगर स्थित एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक गर्भवती महिला को केवल यह कहकर लौटा दिया गया कि आपकी नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती है आप की डिलीवरी ऑपरेशन के माध्यम से ही हो पाएगी और यह सुविधा यहां पर उपलब्ध नहीं है क्योंकि यहां पर इस समय ड्यूटी पर कोई भी मौजूद नहीं है.परिजन महिला को घर लेकर आए जहां उसकी नॉर्मल डिलीवरी हो गई.
दर्द से कराहती उस महिला को सुल्तानिया अस्पताल जाने की सलाह दी गई थी, हालांकि महिला की पीड़ा बढ़ती देख परिजन उसे तत्काल अपने घर ही लेकर लौट आए और क्षेत्र में रहने वाली दाई के माध्यम से घर पर ही नॉर्मल डिलीवरी हो गई.
बताया जा रहा है कि महिला को जिस समय गांधीनगर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से लौट आया गया उसके मात्र 40 मिनट बाद ही महिला ने घर पर पहुंचकर नॉर्मल डिलीवरी के माध्यम से एक बच्ची को जन्म भी दे दिया, जिस डिलीवरी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी ऑपरेशन के माध्यम से करने की सलाह दे रहे थे उसी महिला की डिलीवरी नॉर्मल तरीके से घर पर मात्र एक दाई के माध्यम से हुई है, बच्चा और मां दोनों ही पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं.
जानकारी के अनुसार गांधीनगर क्षेत्र में रहने वाले नई बस्ती निवासी सन्नवर हुसैन अपनी पत्नी रेशमा की डिलीवरी के लिए घर के पास में बने सामुदायिक केंद्र गए थे, यहां अधीक्षक ललित परमार के द्वारा उनको बताया गया कि आपकी पत्नी रेशमा की स्थिति काफी क्रिटिकल है. इसलिए यहां डिलीवरी नहीं हो सकती है. हालांकि परिजनों के द्वारा उन्हें बताया था कि महिला को प्रसव पीड़ा हो रही है और ऐसी स्थिति में दूर अस्पताल तक जाना संभव नजर नहीं आ रहा है, लेकिन उनके द्वारा किसी भी प्रकार की बात नहीं सुनी गई, यदि समय रहते रेशमा को घर लाकर डिलीवरी नहीं कराई जाती तो अनहोनी भी हो सकती थी.
महिला रेशमा की नार्मल डिलीवरी करवाने वाली क्षेत्र में रहने वाली दाई लक्ष्मीबाई का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों के द्वारा बड़ी लापरवाही की गई है वहां कोई भी काम नहीं करना चाहता है यही वजह है कि महिला को ऐसी स्थिति में भी इलाज नहीं दिया गया और उसे वहां से भगाने का प्रयास किया गया यदि समय रहते हम लोग महिला की मदद नहीं करते तो कुछ भी हो सकता था, सामुदायिक केंद्र में कई नर्स अच्छी खासी तनख्वाह पर काम करती हैं लेकिन जब मरीज इलाज के लिए उनके पास जाता है तो उसे दूसरी जगह जाने की सलाह दे दी जाती है यह गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए.
वहीं महिला के परिजनों ने भी आरोप लगाया है कि यह सामुदायिक केंद्र में बैठे डॉक्टरों के द्वारा क्रिटिकल केस बताते हुए डिलीवरी ना करने की बात कही गई थी यहां तक कि उन्होंने कहा था कि नॉर्मल डिलीवरी नहीं हो सकती है इसलिए इसका ऑपरेशन ही करना होगा और यह ऑपरेशन बड़े अस्पताल में होगा यहां पर कर्मचारी मौजूद नहीं है जबकि घर में ही नॉर्मल डिलीवरी हुई है इससे जाहिर होता है कि वह लोगों का इलाज नहीं करना चाहते थे ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए .