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सिंधिया की कांग्रेस में हो रही उपेक्षा, मनाने के लिए CM को आना होगा आगे: प्रदीप जायसवाल

ट्विटर पर अपना स्टेटस बदल कर मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भले ही अपनी सफाई पेश कर दी हो, लेकिन पिछले दिनों जो कुछ भी घटा है, उससे मध्यप्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर सामने आ गई है.

मध्यप्रदेश कांग्रेस कर रही है सिंधिया की उपेक्षा
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Published : Nov 25, 2019, 9:34 PM IST

भोपाल। ट्विटर हैंडल पर अपना स्टेटस बदल कर मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाले सिंधिया ने भले ही अपनी सफाई पेश कर दी हो, लेकिन पिछले दिनों जो कुछ घटा, उससे कांग्रेस में चल रही गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. लंबे समय से कांग्रेसी की राजनीति को नजदीक से देखने वाले लोगों का मानना है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कहीं ना कहीं सिंधिया की उपेक्षा कर रही है.

मध्यप्रदेश कांग्रेस कर रही है सिंधिया की उपेक्षा

मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति को लंबे समय से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप जायसवाल का कहना है कि, सिंधिया की नाराजगी वाजिब है. जिस तरह से वो प्रतिक्रिया कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि इशारों में वो समझा रहे हैं या सीधे तौर पर समझाने की कोशिश रहे हैं, कि कांग्रेस कहीं ना कहीं उनकी उपेक्षा कर रही है. प्रदीप जायसवाल का मानना है कि कमलनाथ सरकार बनने में सिंधिया का बड़ा योगदान है.

'सिंधिया समर्थक मंत्रियों को मिले तवज्जो'
प्रदीप जायसवाल का कहना है कि है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया को जगह देने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को खुद आगे आना होगा. जिस तरह कमलनाथ अध्यक्ष पद को देख रहे हैं, जायसवाल का कहना है कि अध्यक्ष पद के लिए सिंधिया की दावेदारी बनती है.

सिंधिया थे मुख्यमंत्री पद के दावेदार
बता दें मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार थे, लेकिन बतौर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में लड़े गए इस चुनाव के कारण उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि सिंधिया और उनके समर्थक इस बात को लेकर नाराज थे, लेकिन उन्होंने सब्र किया. सिंधिया के सब्र का बांध टूटा, जब उन्हें लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा.

भोपाल। ट्विटर हैंडल पर अपना स्टेटस बदल कर मध्यप्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाले सिंधिया ने भले ही अपनी सफाई पेश कर दी हो, लेकिन पिछले दिनों जो कुछ घटा, उससे कांग्रेस में चल रही गुटबाजी एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है. लंबे समय से कांग्रेसी की राजनीति को नजदीक से देखने वाले लोगों का मानना है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस कहीं ना कहीं सिंधिया की उपेक्षा कर रही है.

मध्यप्रदेश कांग्रेस कर रही है सिंधिया की उपेक्षा

मध्यप्रदेश कांग्रेस की राजनीति को लंबे समय से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप जायसवाल का कहना है कि, सिंधिया की नाराजगी वाजिब है. जिस तरह से वो प्रतिक्रिया कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि इशारों में वो समझा रहे हैं या सीधे तौर पर समझाने की कोशिश रहे हैं, कि कांग्रेस कहीं ना कहीं उनकी उपेक्षा कर रही है. प्रदीप जायसवाल का मानना है कि कमलनाथ सरकार बनने में सिंधिया का बड़ा योगदान है.

'सिंधिया समर्थक मंत्रियों को मिले तवज्जो'
प्रदीप जायसवाल का कहना है कि है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया को जगह देने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को खुद आगे आना होगा. जिस तरह कमलनाथ अध्यक्ष पद को देख रहे हैं, जायसवाल का कहना है कि अध्यक्ष पद के लिए सिंधिया की दावेदारी बनती है.

सिंधिया थे मुख्यमंत्री पद के दावेदार
बता दें मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार थे, लेकिन बतौर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में लड़े गए इस चुनाव के कारण उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया. हालांकि सिंधिया और उनके समर्थक इस बात को लेकर नाराज थे, लेकिन उन्होंने सब्र किया. सिंधिया के सब्र का बांध टूटा, जब उन्हें लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा.

Intro:भोपाल। ट्विटर हैंडल पर अपना प्रोफाइल बदल कर मध्य प्रदेश कांग्रेस की सियासत में भूचाल लाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भले ही अपनी सफाई पेश कर दी हो।लेकिन आज जो कुछ घटा है,उसको लेकर सिंधिया की नाराजगी और मध्य प्रदेश कांग्रेस की गुटबाजी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।लंबे समय से कांग्रेसी राजनीति को नजदीक से देखने वाले लोगों का मानना है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कहीं ना कहीं सिंधिया की उपेक्षा कर रही है और ऐसी स्थिति में जो बार-बार उनकी नाराजगी की चर्चाएं सामने आती हैं। वह वाजिब और जायज है।मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया को जगह देने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को आगे आना होगा।


Body:दरअसल, मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आते ही ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार थे।लेकिन बतौर प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में लड़े गए इस चुनाव के कारण उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। हालांकि सिंधिया और उनके समर्थक इस बात को लेकर नाराज थे,लेकिन उन्होंने सब्र किया। सिंधिया के सब्र का बांध जब टूटने लगा,जब वह लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार का शिकार हो गए और उसके बाद उनके राजनीतिक पुनर्वास के लिए उनके समर्थक उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद बनाए जाने की मांग करने लगे। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष का मामला भी अभी तक लंबित रखा है। ऐसे में समय-समय पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की किसी ना किसी तरह से नाराजगी सामने आती रहती है। कभी वह कमलनाथ सरकार के खिलाफ बयान देते नजर आते हैं। तो कभी उनके समर्थक सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के लिए सीधे तौर पर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए नजर आते हैं।एक तरफ तो यह भी माना जा रहा है कि केंद्र की राजनीति में पुनर्वास के लिए अगले साल होने वाले राज्यसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कोटे से दो राज्यसभा सांसद चुने जाने हैं।इसलिए सिंधिया लगातार पार्टी पर दबाव बनाने की राजनीति कर रहे हैं।इस बहाने कभी उनकी बीजेपी में जाने की खबरें राजनीतिक गलियारों में जोर पकड़ती हैं। तो कभी ट्विटर हैंडल पर अपना प्रोफाइल बदले जाने को नाराजगी के रूप में लिया जाता है।


Conclusion:मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति को लंबे समय से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप जायसवाल का कहना है कि सिंधिया की नाराजगी वाजिब है, जायज है। जिस तरह से वह प्रतिक्रिया कर रहे हैं,ऐसा लगता है कि इशारों में वह समझा रहे हैं या सीधे तौर पर समझाने की कोशिश रहे हैं।ऐसा लगता है कि कांग्रेस कहीं ना कहीं उनकी उपेक्षा कर रही है। अगर आज जो सरकार हम कमलनाथ की देख रहे हैं, उस सरकार में सिंधिया का बड़ा योगदान है।लोकसभा चुनाव में भी सिंधिया ने काम किया, भले ही पार्टी की स्थिति पूरे देश की तरह मध्यप्रदेश में भी कमजोर रही हो, लेकिन आप उन्हें उपेक्षित नहीं कर सकते हैं।सिंधिया के तमाम समर्थक मध्य प्रदेश दिल्ली और पूरे देश में हैं। वह चाहते हैं कि सिंधिया को कहीं ना कहीं ऐसा पद दिया जाए।जिससे उनकी छवि बड़े नेताओं के साथ काम करने वाले नेता की बने। सिंधिया कोई छोटे नेता नहीं है, उनका बड़ा कद है और सिंधिया लगातार पार्टी के प्रति समर्पित रहे हैं।

आज जिस तरह ट्विटर हैंडल को लेकर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, उन सवालों में कोई दम नहीं है। जिस तरह सिंधिया को लेकर बार-बार यह कहा जा रहा है कि वह बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं। पहले भी इस तरह की खबरें आई हैं कि उनकी कांग्रेस में उपेक्षा हो रही है,तो बीजेपी के साथ नाता जोड़ रहे हैं। लेकिन इन अफवाहों में कहीं कोई दम नजर नहीं आया। टि्वटर हैंडल वाली बात हो रही है, उसमें भी दम नहीं है। मुझे लगता है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया को जगह देने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को खुद आगे आना होगा।जिस तरह कमलनाथ अध्यक्ष पद को देख रहे हैं। मुझे लगता है कि सिंधिया को सीएम पद ना मिला हो, लेकिन अध्यक्ष पद की उनकी दावेदारी बनती है। क्योंकि यहां पर उनके तमाम मंत्री हैं,जो सिंधिया समर्थक हैं ।उनकी जो इच्छा अपेक्षाएं और मंशा है, उनकी कद्र होनी चाहिए।
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