शहडोल: ये सच है कि भारत में क्रिकेट का बोलबाला है और गली मोहल्ले में क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी आपको मिल जाएंगे. लेकिन ये बात भी सच है कि अगर बड़े लेवल पर किसी खेल में देश के खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करें, तो उसका असर देश के गांव-गांव तक देखने को मिलता है. जैवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने जब से गोल्ड मेडल जीता है, उसके बाद से देश के गांव-गांव से जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी निकलकर आने लगे हैं. उसी का नतीजा है कि मध्यप्रदेश का शहडोल जिला. यहां के गांव के एक लड़के ने जैवलिन में ऐसा कमाल कर दिखाया है, जिसके बाद हर ओर उसकी चर्चा हो रही है.
जैवलिन थ्रो में गांव का चमकता सितारा
सिर पर पिता का साया नहीं है, माता हाउस वाइफ हैं. लेकिन बेटे के अंदर जैवलिन को लेकर एक अलग ही जुनून है. शहडोल जिले के धुरवार गांव के रहने वाले आदित्य विश्वकर्मा जिन्होंने अभी हाल ही में जैवलिन को लेकर ऐसा कमाल किया है, जिसकी जिले भर में चर्चा हो रही है. जैवलिन जैसे गेम में संभाग में अब तक ऐसा नहीं हुआ है, जो काम गांव के इस छोरे ने इतने कम समय में कर दिखाया है. उनकी इस कामयाबी को लेकर अब जिले भर के लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं.
जैवलिन में जीता गोल्ड
शहडोल जिले के धुरवार गांव के रहने वाले आदित्य विश्वकर्मा ने हाल ही में स्टेट स्कूल गेम्स में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने शहडोल डिवीजन की ओर से खेलते हुए कमाल कर दिखाया. स्टेट स्कूल गेम्स का आयोजन इस बार छतरपुर में किया गया, जहां आदित्य विश्वकर्मा ने जैवलिन थ्रो में हिस्सा लिया और ऐसा जैवलिन फेंका कि उन्हें कोई पछाड़ नहीं पाया. शहडोल के इस खिलाड़ी ने गोल्ड मेडल जीतकर जिले और अपने गांव का नाम रोशन कर दिया. आदित्य विश्वकर्मा बताते हैं कि ''उन्होंने 53.10 मी जैवलिन फेंकी है, जिसके चलते उन्हें गोल्ड मेडल मिला है.''
नेशनल गेम्स के लिए सेलेक्ट
आदित्य विश्वकर्मा कहते हैं कि, ''स्टेट स्कूल गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने की वजह से अब वो नेशनल गेम्स के लिए भी क्वालीफाई कर गए हैं. नेशनल गेम्स इस बार रांची में आयोजित किए जाएंगे, जिसकी संभावित तारीख 25 नवंबर है.'' आदित्य विश्वकर्मा कहते हैं कि, ''अगर उनकी तैयारी इसी तरह चलती रही तो उन्हें उम्मीद है कि वो नेशनल में भी गोल्ड मेडल लगाएंगे. इसके लिए इन दिनों उन्होंने फिर से पसीना बहाना शुरू कर दिया है.''
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नीरज चोपड़ा को मानते हैं गुरु
आदित्य विश्वकर्मा बताते हैं कि, ''जब नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीता तो उससे वो बहुत प्रभावित हुए हैं और उन्होंने मन बना लिया था कि इसी गेम्स में अपना करियर बनाना है.'' आदित्य विश्वकर्मा के कोच धीरेंद्र सिंह कहते हैं कि, ''आदित्य नीरज चोपड़ा से काफी प्रभावित हैं और ये अक्सर ही उनकी चर्चा करता रहता है. नीरज चोपड़ा को वह अपना गुरु मानने लगा है. अक्सर उनके वीडियो देखता रहता है. जैवलिन थ्रो में जिस तरह से मन लगाकर प्रैक्टिस कर रहा है, उसी का नतीजा है कि इतने कम समय में प्रैक्टिस करने के बाद भी वो स्टेट स्कूल गेम्स में गोल्ड मेडल लेकर आया है.''
ऐसे शुरू की तैयारी
आदित्य विश्वकर्मा के कोच धीरेंद्र सिंह कहते हैं कि, ''आदित्य दो-तीन साल पहले उन्हें समर कैंप में मिला था. स्टेडियम में ही कुछ बच्चे जैवलिन फेंक रहे थे, तो आदित्य ने भी अपना इंटरेस्ट दिखाया और कहा कि उन्हें भी जैवलिन फेंकना है. जब उन्हें जैवलिन दिया तो लगा कि वह जैवलिन का अच्छा खिलाड़ी बन सकता है. उन्होंने उसे बेसिक सिखाना शुरू कर दिया और उसका असर भी दिखा. आदित्य के खुद का भी इंटरेस्ट जैवलिन को लेकर बहुत ज्यादा था. घर में भी आदित्य उतनी ही मेहनत करते हैं, जितनी स्टेडियम के बाद में करते हैं. उसी का नतीजा है कि वह कम समय में ज्यादा अचीवमेंट हासिल कर रहे हैं.''
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नहीं मिल पा रही प्रॉपर डाइट
कोच धीरेंद्र सिंह कहते हैं कि, ''खिलाड़ियों के लिए अपने खेल को निखारने के साथ ही प्रॉपर डाइट भी जरूरी होती है. आदित्य विश्वकर्मा को प्रॉपर डाइट नहीं मिल पा रही है. अगर आदित्य विश्वकर्मा को प्रॉपर डाइट मिलने लग जाए तो उनका ये अचीवमेंट और बढ़ सकता है, क्योंकि अभी उसकी हाइट और बढ़ेगी, मसल्स बढ़ेंगे. ऐसी कंडीशन में उसका परफॉर्मेंस भी अच्छा होगा और आगे ये बहुत अच्छा रिजल्ट देंगे. अगर आदित्य को प्रॉपर ट्रेनिंग और डाइट मिलती रहे तो यह नेशनल भी रिप्रेजेंट कर सकते हैं.''
सुबह शाम करते हैं प्रैक्टिस
आदित्य विश्वकर्मा कहते हैं कि, ''वो जैवलिन थ्रो को लेकर काफी सीरियस रहते हैं और हर दिन प्रैक्टिस करते हैं. एक भी दिन ऐसा नहीं जाता है जब वो तीन से चार घंटे प्रैक्टिस नहीं करते हों. सुबह-शाम मिलाकर कम से कम वो 4 घंटे प्रैक्टिस जरूर करते हैं. क्योंकि उन्हें ये गेम अच्छा लगता है और इसमें उन्हें अपना करियर बनाना है. अभी तो स्कूल स्टेट में गोल्ड जीता है, उसका लक्ष्य नेशनल में गोल्ड जीतना है. उनका सपना है अच्छी ट्रेनिंग करते जाएं और इंडिया के लिए भी आने वाले समय में खेलें. अपने गुरु (नीरज चोपड़ा) की तरह ही आने वाले समय में ओलंपिक में भी मेडल लेकर आएं.''