शहडोल : आलू के बगैर रसोई अधूरी है. आलू के बगैर भोजन अधूरा है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक आलू के बगैर रह नहीं सकता. दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं, जहां भोजन में आलू की का बादशाहत न हो. इसीलिए आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. यही वजह है कि इतनी खपत के बाद भी आलू के रेट सभी की पकड़ में रहते हैं. लेकिन पिछले कुछ माह से आलू के दाम काफी बढ़े हुए हैं. मार्केट में अभी नया आलू नहीं आ रहा है, कीमतें बढ़ने की एक वजह यह भी है. सब्जी व्यापारी राम प्रताप साहू बताते हैं "आलू की कीमत 35 से ₹40 किलो तक है."
आलू का इतिहास भी जान लें
जिस तरह से आलू की हर घर में मांग है, उसे देखते हुए इसके बढ़े हुए दाम लोगों को परेशान कर रहे हैं, लेकिन किसानों के लिए ये फायदे का सौदा साबित हो सकता है. कृषि वैज्ञानिक डॉ.मृगेंद्र सिंह बताते हैं "आलू की उत्पत्ति मुख्य रूप से साउथ अमेरिका में हुई. माना जाता है कि पेरू में इसकी उत्पत्ति हुई. हमारे देश में ये पुर्तगालियों के साथ आया. माना जाता है आलू करीब 16वीं शताब्दी में अपने देश आया. वर्तमान में आलू महत्वपूर्ण कामर्शियल क्रॉप है. इसे कैश क्रॉप भी कहा जाता है, किसानों के लिए इसकी खेती फायदेमंद भी होती है." हालांकि पिछले कुछ वर्षों में अधिक उत्पादन की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन पिछले दो साल में इससे काफी फायदा भी हो रहा है.
आलू की फसल लगाने का सही समय अक्टूबर-नवंबर
कृषि वैज्ञानिक डॉ.मृगेंद्र सिंह बताते हैं "मैदानी क्षेत्र में अक्टूबर-नवंबर में आलू की फसल लगाने का सही समय है. क्योंकि ये एक ट्यूबर क्रॉप है यानी कंद वाली फसल है. इसके लिए दोमट मिट्टी सबसे बेस्ट मानी जाती है, जिसमें अत्यधिक कार्बनिक पदार्थ हो, मिट्टी भुरभुरी हो, कॉम्पेक्टनेस नहीं होनी चाहिए, मिट्टी कड़ी नहीं होनी चाहिए, मिट्टी कड़ी होगी तो इसके ट्यूबर्स नहीं बढ़ेंगे. रवि सीजन में खेत की अच्छी तरह से पहले जुताई कर लें, खेत में पाटा लगा लें, खेत की तैयारी पूरी कर लें, और जहां भी आलू की खेती करें, वहां की मिट्टी का विशेष ख्याल रखें."
आलू का सीड ट्रीटमेंट भी बहुत आवश्यक
कृषि वैज्ञानिक डॉ.मृगेंद्र सिंह का कहना है "आलू की खेती के लिए ध्यान रखें कि जहां पर पानी नहीं रुकता हो, वहां पर करें क्योंकि पानी भरेगा तो फसल सड़ जाएगी. इसकी खेती में सीड रेट काफी ज्यादा आता है. 40 से 50 ग्राम के छोटे-छोटे ट्यूबर्स जिनमें बढ़िया से स्प्रॉउटेड हो गए हों, कुल मिलाकर एक हेक्टेयर में करीब 30-32 क्विंटल पर हेक्टेयर इसका सीड रेट है. आलू काटकर भी लगाते हैं लेकिन जो बढ़िया जर्मिनेटेड हों. अगर इसको काट के लगा रहे हैं, या बिना काटे भी लगा रहे हैं तो इसका सीड ट्रीटमेंट किया जाना चाहिए. सीड ट्रीटमेंट के लिए हम ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग कर सकते हैं. एक परसेंट ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग कर सकते हैं. इसके बाद उसको पानी से धो करके 15 से 20 सेंटीमीटर प्लांट टू प्लांट डिस्टेंस बरकरार रखकर लगाएं."
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आलू की फसल पर कब चढ़ाएं मिट्टी
कृषि वैज्ञानिक डॉ.मृगेंद्र सिंह का कहना है "आलू में न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट की बात की जाए, तो 60 किलोग्राम नाइट्रोजन 120 किलोग्राम फास्फोरस और 60 किलोग्राम पोटैशियम आधार खाद के रूप में दिया जाना चाहिए. यह पर हेक्टेयर की डोज है. जब 15 से 20 सेंटीमीटर के पौधे हो जाएं, तब इसमें 60 किलोग्राम पर हेक्टेयर के हिसाब से इसमें एक टॉप ड्रेसिंग नाइट्रोजन की जानी चाहिए." इसमें सबसे महत्वपूर्ण है सही समय पर आलू की फसल में मिट्टी चढ़ाना, क्योंकि ये ट्यूबर क्रॉप है, तो इसे हम लोग लगाते ही समतल लैंड में हैं, लेकिन जब बाद में पौधे बड़े हो जाते हैं, तो इसमें मिट्टी चढ़ाई जाती है. अगर ट्यूबर्स अच्छी तरह मिट्टी से ढके नहीं होते तो कई बार हरे हो जाते हैं.