भोपाल। बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक में अचानक बिजली गुल हो गई. दस मिनट तक बत्ती गुल होने से नेता पसीना-पसीना हो गए. प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कई प्रस्तावों पर चर्चा हो रही थी. करीब 2 बजे दोपहर को पार्टी बैठक के दौरान ही अचानक बिजली गुल हो गई. हालांकि बिजली जाने के बाद अधिकारियों को फोन लगाए गए, लेकिन उसके बाद भी करीब 10 मिनट अंधेरे में ही बैठक हुई.
बिजली जाने के पीछे कर्मचारियों की हड़ताल: बिजली विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर हैं. आउटसोर्स बिजली कर्मचारी संगठन अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर एकजुट हैं. इसके लिए कर्मचारियों ने महागठबंधन बनाया है. 6 जनवरी को पीएस संजय दुबे के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित की थी. पीएस संजय दुबे ने कर्मचारी संगठन को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मिलवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आश्वासन मिलने के बाद भी संगठन की सीएम शिवराज से भेंट नहीं हुई. जिसके बाद कर्मचारियों ने एकजुट होकर अनिश्चिकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है. कर्मचारियों के हड़ताल पर जाना भी बीजेपी कार्यलय में बिजली गुल होने का प्रमुख कारण माना जा रहा है. हालांकि बिजली कर्मियों की हड़ताल पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर कह चुके हैं कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं और जो संभव हो सकेगा वो करेंगे.
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बीजेपी का दिग्विजय पर निशाना: बीजेपी बिजली गुल होने का मुद्दा का उठाकर दिग्विजय सिंह के कार्यकाल को निशाना बनाती है. मध्यप्रदेश में फिलहाल बिजली गुल होने की शिकायत बहुत कम हो गई है, लेकिन जब भी मामला बिजली का आता है तो बीजेपी दिग्विजय सिंह के कार्यकाल का जिक्र कर उन पर निशाना साधने लगती है. बीजेपी का कहना है कि बंटाधार ने तो प्रदेश को बिजली विहीन कर दिया था. रात-दिन घंटों बिजली गायब रहती थी. बता दें बीजेपी ने अस्थाई कार्यालय बनाया है, जिसमें नई बिल्डिंग बनने तक अस्थाई तौर पर पार्टी के काम इसी कार्यालय में होंगे. इस कार्यालय को भी आधुनिक तरीके से ही बनाया गया है.