भोपाल। मध्यप्रदेश में हाशिए पर चल रहे सियासी महा'राजा' ने अचानक मुट्ठी क्या बंद कि मानो कमलनाथ सरकार उनकी मुट्ठी में ही कैद होकर रह गई, यानि महाराजा की मुट्ठी खुलने के बाद ही ये तय होगा कि उनकी मुट्ठी में क्या है. पिछले एक हफ्ते से चल रहा सियासी तूफान अभी थमा भी नहीं था कि नए सियासी सूनामी के बीच कमलनाथ सरकार चौतरफा घिर गई. अब मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी लग रहा होगा कि सिंधिया का निरादर करना उन्हें कितना महंगा पड़ रहा है क्योंकि जब सिंधिया ने कहा था कि वचन पत्र के वादे पूरे नहीं होने पर वो सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे, तभी से दोनों तरफ से तलवारें खिंच गई थी, जो अपना-अपना शिकार करने के बाद ही वापस म्यान में जाएंगी.
भोपाल से दिल्ली वाया बेंगलुरू-गुरूग्राम उड़ान भरते प्राइवेट जेट सियासत की हलचल को पल-पल बढ़ा रहे हैं, एक हफ्ते से चल रहे राजनीतिक संकट का कोई समाधान अब तक नहीं निकला है, बल्कि ये संकट अब और गहराता ही जा रहा है. एक तरफ जहां प्रदेश सरकार खुद को सुरक्षित बता रही है, वहीं बीजेपी दिल्ली में बैठक कर शिवराज सिंह को विधायक दल का नेता चुनने की तैयारी कर रही है. इस बीच कांग्रेस सिंधिया को खुश करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष बनाने से लेकर अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रही है. जिसके लिए मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक भी बुलाई है.
होलिका दहन के दिन ही सिंधिया महाराजा से महाबली बनकर उभरे, जिसके बाद उनके हाथ अचानक से सत्ता की चाबी ही लग गई, अब सिंधिया सियासत का ताला कब खोलते हैं और किसकी एंट्री कराते हैं, इस पर सस्पेंस बरकरार है.