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PM Modi visit Rewa: विंध्य में बीजेपी की अग्निपरीक्षा, जीत के लिए क्या मोदी मंत्र

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Published : Apr 15, 2023, 8:14 PM IST

एमपी में 2018 विधानसभा चुनावों में सत्ता के खिलाफ लहर के बावजूद बीजेपी को बंपर सीट दिलाने वाले विंध्य क्षेत्र की जमीन एक बार फिर बीजेपी को खिसकती दिख रही है ऊपर से मैहर विधायक द्वारा अलग विंध्य प्रदेश बनाए जाने की मांग ने इस इलाके में अलग ही हवा बना दी है. शायद यही कारण है कि बीजेपी अब विंध्य के लिए सौगातों का पिटारा खोल दिया है और डैमेज कंट्रोल की कोशिश करने लगी है.

politics in vindhya
पीएम मोदी विंध्य दौरा

भोपाल। राजनीति में भी हर मर्ज के इलाज के लिए एक ही दवा नहीं होती. तो पूरे मध्यप्रदेश में भले शिवराज बीजेपी के खेवनहार बने हों और लगातार घोषणाओं के साथ पांचवी पारी की राह बना रहे हों लेकिन, मध्यप्रदेश का विंध्य इलाका बीजेपी की अग्नि परीक्षा लेगा. इसका ट्रेलर निकाय चुनाव में दिखाई दे गया है. क्या यही वजह है कि बीजेपी के लिए बिगड़ती दिखाई दे रही विंध्य की सियासी सेहत को संभालने अब पीएम मोदी को मैदान संभालना पड़ रहा है. यूं देखिए तो 24 अप्रैल का पीएम मोदी का रीवा दौरा कई सारी सौगात लिए है लेकिन, इन सौगातों के पीछे सियासत भी है कि 2018 में हार के बावजूद बीजेपी को मुस्कुराने की वजह देने वाले विंध्य की डगर 2023 में क्यों मुश्किल हो गई है.

पीएम मोदी का विंध्य दौरा, सौगात और सियासत: 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के मौके पर रीवा आ रहे पीएम मोदी विंध्य इलाके को कई सौगातें देने वाले हैं. वे यहां पीएम आवास योजना के चार लाख से ज्यादा घरो को वर्चुअल ढंग से लाभार्थियों को सौपेंगे. इसी कार्यक्रम में सवा करोड़ से ज्यादा हितग्राहियों को भू अधिकार के पट्टे भी दिए जाएंगे और इसी दौरान पीएम मोदी जल जीवन मिशन की परियोजनाओं की शुरुआत भी करेंगे. ये योजनाएं सात हजार करोड़ से ज्यादा की हैं. सौगातों का ये सिलसिला पहला नही है. चुनावी साल लगने से पहले इसकी शुरुआत हो गई थी. इसके पहले केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विंध्य में 1004 करोड़ की 2.82 किमी लंबी टनल का लोकार्पण किया. केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधियाने रीवा को हवाई अड्डे की सौगात दी लेकिन अब लगाई जा रही सौगातों की ये झड़ी ये बता रही है कि चुनावी साल में खाई पाटने की कोशिश है. निकाय चुनाव के नतीजों ने बता दिया कि विंध्य के मामले जनता का नजरिया बीजेपी के लिए हुजूर आते-आते बहुत देर कर देने वाला है.

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विंध्य प्रदेश की मांग नेतृत्व की अनदेखी भी सवाल: असल में विंध्य ने जिस तरह से 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ हवा होते हुए उसे सहारा दिया था. 30 में से 24 सीटों पर बीजेपी को जीत दिलाई थी. 2020 में सत्ता में आने के बाद ये उम्मीद थी कि विंध्य को इसके लिए नवाजा जाएगा लेकिन सत्ता में इस इलाके नेतृत्व की हमेशा अनदेखी हुई. राजेन्द्र शुक्ल जैसे नेता हाशिए पर रहे. कम से कम बीजेपी के कैडर में इसे लेकर भी नाराजगी है.

नारायण त्रिपाठी का दम विंध्य की नब्ज पर हाथ: चुनौती इस बार ये भी है कि बहुत मौके से नारायण त्रिपाठी जैसे बीजेपी के विधायक न विंध्य के मतदाता की नब्ज़ पर हाथ रख दिया है. विंध्य प्रदेश की मांग यहां के मतदाता की बरसों बरस पुरानी डिमांड है. भले नारायण त्रिपाठी की राजनीति उतनी विश्वसनीय ना रही हो. जिस ढँग से वो दल बदलते रहे. लेकिन जिस तरह से उन्होने एकदम मौके से विंध्य प्रदेश बनाने का दम दिखाते हुए दल बनाने की बात की है. उनकी राजनीति खेल बनेगा नहीं तो बीजेपी का खेल बिगाड़ने में कारगर रहेगी.

भोपाल। राजनीति में भी हर मर्ज के इलाज के लिए एक ही दवा नहीं होती. तो पूरे मध्यप्रदेश में भले शिवराज बीजेपी के खेवनहार बने हों और लगातार घोषणाओं के साथ पांचवी पारी की राह बना रहे हों लेकिन, मध्यप्रदेश का विंध्य इलाका बीजेपी की अग्नि परीक्षा लेगा. इसका ट्रेलर निकाय चुनाव में दिखाई दे गया है. क्या यही वजह है कि बीजेपी के लिए बिगड़ती दिखाई दे रही विंध्य की सियासी सेहत को संभालने अब पीएम मोदी को मैदान संभालना पड़ रहा है. यूं देखिए तो 24 अप्रैल का पीएम मोदी का रीवा दौरा कई सारी सौगात लिए है लेकिन, इन सौगातों के पीछे सियासत भी है कि 2018 में हार के बावजूद बीजेपी को मुस्कुराने की वजह देने वाले विंध्य की डगर 2023 में क्यों मुश्किल हो गई है.

पीएम मोदी का विंध्य दौरा, सौगात और सियासत: 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के मौके पर रीवा आ रहे पीएम मोदी विंध्य इलाके को कई सौगातें देने वाले हैं. वे यहां पीएम आवास योजना के चार लाख से ज्यादा घरो को वर्चुअल ढंग से लाभार्थियों को सौपेंगे. इसी कार्यक्रम में सवा करोड़ से ज्यादा हितग्राहियों को भू अधिकार के पट्टे भी दिए जाएंगे और इसी दौरान पीएम मोदी जल जीवन मिशन की परियोजनाओं की शुरुआत भी करेंगे. ये योजनाएं सात हजार करोड़ से ज्यादा की हैं. सौगातों का ये सिलसिला पहला नही है. चुनावी साल लगने से पहले इसकी शुरुआत हो गई थी. इसके पहले केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने विंध्य में 1004 करोड़ की 2.82 किमी लंबी टनल का लोकार्पण किया. केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधियाने रीवा को हवाई अड्डे की सौगात दी लेकिन अब लगाई जा रही सौगातों की ये झड़ी ये बता रही है कि चुनावी साल में खाई पाटने की कोशिश है. निकाय चुनाव के नतीजों ने बता दिया कि विंध्य के मामले जनता का नजरिया बीजेपी के लिए हुजूर आते-आते बहुत देर कर देने वाला है.

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विंध्य प्रदेश की मांग नेतृत्व की अनदेखी भी सवाल: असल में विंध्य ने जिस तरह से 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ हवा होते हुए उसे सहारा दिया था. 30 में से 24 सीटों पर बीजेपी को जीत दिलाई थी. 2020 में सत्ता में आने के बाद ये उम्मीद थी कि विंध्य को इसके लिए नवाजा जाएगा लेकिन सत्ता में इस इलाके नेतृत्व की हमेशा अनदेखी हुई. राजेन्द्र शुक्ल जैसे नेता हाशिए पर रहे. कम से कम बीजेपी के कैडर में इसे लेकर भी नाराजगी है.

नारायण त्रिपाठी का दम विंध्य की नब्ज पर हाथ: चुनौती इस बार ये भी है कि बहुत मौके से नारायण त्रिपाठी जैसे बीजेपी के विधायक न विंध्य के मतदाता की नब्ज़ पर हाथ रख दिया है. विंध्य प्रदेश की मांग यहां के मतदाता की बरसों बरस पुरानी डिमांड है. भले नारायण त्रिपाठी की राजनीति उतनी विश्वसनीय ना रही हो. जिस ढँग से वो दल बदलते रहे. लेकिन जिस तरह से उन्होने एकदम मौके से विंध्य प्रदेश बनाने का दम दिखाते हुए दल बनाने की बात की है. उनकी राजनीति खेल बनेगा नहीं तो बीजेपी का खेल बिगाड़ने में कारगर रहेगी.

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