भोपाल/भिंड। मध्य प्रदेश की राम राजा सरकार की नगरी ओरछा या खजुराहो के मतंगेष्वर महादेव मंदिर जाएं तो मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को 1 और 2 रुपए की सिक्के कतई न दें, क्योंकि यहां 5 रुपए से कम कीमत के सिक्के भिखारी नहीं लेते हैं. इसका कारण यह नहीं कि भिखारी 5 रुपए से कम पैसे नहीं लेते, बल्कि वजह चौंकाने वाली है. मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड, विन्ध्य, ग्वालियर-चंबल इलाकों के सहित कई जिलों में पिछले करीबन 5 सालों से 1 और 2 रुपए के सिक्के चलन से ही बाहर हो गए हैं. अधिकारियों के मुताबिक यदि कोई सिक्का न ले तो वह शिकायत करे, संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसे लोगों के खिलाफ सिक्का अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
पिछले 5 सालों से चलन से बाहर हुए सिक्के
निवाड़ी जिले में रहने वाले युवा किसान रोहित सिरवैया कहते हैं कि 1 और 2 के सिक्का को अब बंदई हो गए, कोऊ लेतई नैयां. सरकार ने बंद कर दैए, जो तो नहीं पतो, लेकिन हमाए इतै 5 सालन से कोऊ सिक्का नहीं लेतय हमाए पास कछु सिक्का हतै, अब वे घरई में पड़े हुइएं. (1 और 2 रुपए के सिक्के तो अब बंद हो गएय सरकार ने बंद किए यह तो नहीं पता, लेकिन उनके क्षेत्र में तो पिछले करीब 5 सालों से सिक्के नहीं चल रहे. मेरे पास भी कुछ सिक्के थे, लेकिन अब घर में ही कहीं पड़े होंगे. इन सिक्कां को बच्चे तो छोड़ो भिखारी भी नहीं लेते. वह भी 5 रुपए का सिक्का मांगते हैं.) टीकमगढ़ के पुरानी टेहरी में रहने वाले एडवोकेट महेन्द्र दीक्षित कहते हैं कि उन्होंने पिछले 5 सालों से 5 से कम कीमत का सिक्का देखा ही नहीं. खरीदारी करते समय यदि एक-दो रुपए का अंतर आया भी तो दुकानदार ने इसके बदले टॉफी या दूसरा सामान दे दिया. शुरूआत में इस पर आपत्ति भी जताई, तो जवाब मिला कि ग्राहक ही सिक्के वापस नहीं लेते.
चंबल अंचल के भिंड और मुरैना जिलों में एक और दो के सिक्के प्रचलन से बाहर हो चुके हैं. कोई ग्राहक य दुकानदार इन सिक्कों को लेने को तैयार नहीं है. कहने को यह चलित भारतीय मुद्रा है, लेकिन फिर भी ना कोई दुकानदार इन्हें लेता है और नहीं ग्राहक दुकानदार से लेने को तैयार होते हैं. नतीजा बाजार से धीरे-धीरे एक और दो रुपए कीमत के सिक्के पूरी तरह गायब हो गए.
नकली मान लेते हैं लोग
बाजार से गुजर रहे तरुण शर्मा का कहना है कि आप पूरे बाजार में कहीं भी चले जाएं, लेकिन एक या दो रुपए का सिक्का कोई भी दुकानदार नहीं लेता है. ऐसे में पहले से मौजूद सिक्के अब घरों में पड़े हैं. इनका कोई उपयोग नहीं बचा कहने को भारतीय रुपए का सिक्का बाजार में चलन में है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई मोल नजर नहीं है. कई लोग तो 10 रुपए के पुराने सिक्के जिन पर रुपय(₹) की छाप नहीं है उसे नकली बता कर लेने देने से माना कर देते हैं.
ऐसे बंद हुए सिक्के
टीकमगढ़ के विनोद कुंज तिराहा पर किराने की थोक दुकान चलाने वाले जितेन्द्र साहू कहते हैं कि पांच-सात साल पहले तक सिक्के चलते थे, लेकिन धीरे-धीरे ग्राहकों की सिक्के लेने से आना-कानी शुरू हुई. वहीं जब दुकान पर बड़ी संख्या में सिक्के इकट्ठे हुए और जब इन्हें बैंक जमा करने पहुंचे तो इसके बदले नोट लेने में पसीने आ गए. यह स्थिति दूसरे दुकानदारों के साथ भी हुई और धीरे-धीरे 1 और 2 के सिक्के का लेन-देन कम होता गया.
नुकसान ग्राहकों का ही
छतरपुर में सरकारी टीचर महेन्द्र तिवारी कहते हैं कि एक और दो रुपए के सिक्के का लेन-देन न होने से मजबूरी में दुकानदार जबरदस्ती टॉफी थमा देते हैं. मेरे घर में तो बच्चे भी नहीं, अब टॉफी किसे खिलाऊं. सबसे ज्यादा समस्या तब होती है, जब यही टॉफी लेकर दुकानदार के पास पहुंचते हैं. वह इनके बदले सामान नहीं देता. ऐसे में छोटे सिक्के चलन से बाहर होने से ठगा हमेशा ग्राहक ही जाता है. माचिस, मोमबत्ती, शैम्पू, बिस्कुल अब सीधे 5 रुपए में बेची जा रही है. ग्राहक भी इसे खरीदने को मजबूत हैं.
यह है सजा के प्रावधान
5 रुपए से कम कीमत के सिक्कों का चयन कई जिलों में बंद हो गया हो, लेकिन आईबीआई ने 26 जून 2019 को जारी एक लेटर में साफ कर दिया है कि अभी 50 पैसे से लेकर 1 और 2 रुपए के सिक्के अभी वैद्य है. इनसे लेन-देन जारी है. वैसे सिक्के लेने से मना करने पर संबंधित दुकानदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. सिक्का अधिनियम 2011 में प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी भी सिक्के को लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है. संबंधित के खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आईपीसी के तहत कार्रवाई होगी. मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है.
सिक्का अधिनियम, 2011 की धारा 6 के अनुसार सिक्के भुगतान के लिए वैध मुद्रा होंगे, बशर्ते सिक्के को विरूपित न किया गया हो और उनका वजन निर्धारित वजन से कम न होगा.
अधिनियम की धारा 4 (ए) के मुताबिक यदि कोई सिक्का एक रुपए से ऊपर का है तो इस प्रकार के सिक्कों को केवल 1000 रुपए तक का भुगतान किया जा सकता है.