भोपाल। कोरोना महामारी से निपटने के लिए कई तरह की सतर्कता बरतना जरूरी है. लॉकडाउन की स्थिति में लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों में परेशानी ना होना पड़े इसलिए आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खोल कर रखी हैं लेकिन लोग भारी संख्या में दुकानों पर पहुंच रहे हैं और ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. संक्रमण का खतरा कम हो, इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का अपना महत्व है. प्रशासन के प्रयास और जागरूकता के चलते अब आवश्यक वस्तुओं के दुकानदार भी सोशल डिस्टेंसिंग को भरपूर महत्व दे रहे हैं और खासकर सब्जी- किराना जैसी दुकानों पर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.
खरीदी करने पहुंच रहे लोग संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को महत्व दे रहे हैं. कोरोना वायरस से चल रही विश्वव्यापी लड़ाई में संक्रमण से बचाव के लिए जन जागरूकता का अपना अहम स्थान है. कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू पाने के लिए पूरा देश 21 दिन के लॉकडाउन के साथ लड़ाई लड़ रहा है. लॉकडाउन के चलते घरों में ठहरे लोगों के लिए जीवन यापन में परेशानी ना हो, इसलिए आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को लॉकडाउन से बाहर रखा गया है.
खासकर मेडिकल, किराना, सब्जी और मिल्क पार्लर जैसी दुकानों को छूट दी गई है. इन दुकानों पर रोजमर्रा के सामान लेने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. दुकानों पर भीड़ बढ़ने के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति में लॉकडाउन के जरिए किए जा रहे प्रयासों पर असर पड़ रहा है. शुरुआती दौर में तो लोग आपाधापी के कारण कोरोना वायरस से लड़ाई के अहम हथियार सोशल डिस्टेंसिंग को उतना महत्व नहीं दे रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे लोगों में जागरूकता आ रही है. जहां दुकानदारों ने दुकान पर भीड़ ना हो और लोग एक दूसरे से पर्याप्त दूरी रखें इसके लिए 3-3 फीट की दूरी पर सर्कल बनाकर डिस्टेंसिंग का प्रयास कर रहे है. तो एक व्यवस्था भी कायम हो रही है. दुकानों पर पहुंचने वाले लोग भी इन व्यवस्थाओं में मदद कर रहे हैं और पर्याप्त दूरी बना रहे हैं.
किराना दुकान संचालक के मुताबिक कोरोना बचाव के लिए यहां पर सर्कल बनाकर रखे गए हैं. ताकि तीन-तीन फीट की दूरी बनी रहे. इससे कोरोना के संक्रमण से बच सकते हैं, क्योंकि लोग एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगे.
वहीं सब्जी दुकान के संचालक रजत सिंह बताते हैं कि भीड़ के कारण ही हमें यह सर्कल बनाने पड़े हैं, ताकि लोगों में डिस्टेंस बना रहे. कुछ लोग पालन कर रहे हैं, कुछ नहीं कर रहे हैं, तो उनको समझा रहे हैं.