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आज है सावन का चौथा सोमवार, पंडित राजेश दुबे से जाने सावन में शिव भक्ति का महत्व

आज सावन माह का चौथा सोमवार है. सावन माह में शिव भक्ति को लेकर पंडित राजेश दुबे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन को पवित्र महीना माना जाता है. पढ़िए पूरी खबर.

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सावन का चौथा सोमवार
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Published : Jul 27, 2020, 12:08 AM IST

भोपाल। हिंदू धर्म में सावन के महीने का खास महत्व होता है. इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस महीने में आप भगवान शिव की पूजा करके मनचाहा फल पा सकते हैं. ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए पंडित राजेश दुबे ने सावन महीने के महत्व और शिव भक्ति पर अपनी राय दी है. उन्होंने सावन महीने में की जाने वाली शिव साधना को लेकर कहा कि सावन महीने में शिवजी का पूजन विशेष तौर पर पार्थिव पूजन का महत्व है.

पंडित राजेश दुबे से जानें सावन में शिवभक्ति का महत्व

पंडित राजेश दुबे ने बताया कि मिट्टी के शिव जी का निर्माण करना, उसका पूजन करना और सूर्यास्त से पहले उसका विसर्जन कर देना खास महत्व रखता है. लोग सोमवार के दिन व्रत करते हैं, भक्त लोग देवालय में जाकर शिव दर्शन करते हैं, विभिन्न प्रकार के फलों के रस से शहद से पंचामृत से सबसे अधिक जलधारा से शिव का अभिषेक करते हैं, जलधारा से अभिषेक करने से भगवान के जो वरदान हमें प्राप्त होते हैं, उसके अंतर्गत सुख शांति और धन की प्राप्ति होती है, संतान सुखी होती है, घर में वैभव आता है, सुख-शांति की प्राप्ति होती है.

सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ शिव पुराण का पाठ करना रामायण के नोपारे का अध्ययन करना और अनेक प्रकार की कल्प साधना की जाती है. एकालना साधना की जाती है, कुछ लोग भगवान शिव का पूरे मास अभिषेक करते हैं, नियम के अनुसार प्रातः काल सोकर उठते हैं, सूर्य को अर्ध्य देते हैं, पार्थिव शिव का निर्माण करते हैं, उसका पूजन करते हैं, उसका विसर्जन करते हैं, एकाशना व्रत अर्थात एक समय भोजन करते हैं और 1 महीने यह लगातार करते हैं, जिसे कल्पव्रत कहा जाता है, कुछ लोग कल्पवृक्ष हठ योग साधना के आधार पर करते हैं. पूरे माह तक अन्न जल का सेवन नहीं करते और कुछ लोग फल खाकर तो कुछ फलों के रस और कुछ दूध के रसों को लेकर परायण करते हैं. इससे भोलेनाथ प्रशन्न होते हैं. भगवान शिव को जीवन में सुख सफलता शीतलता और समृद्धि लाने वाले देवता कहा जाता है और भगवान शिव को अति प्रिय है श्रावण मास.

भोपाल। हिंदू धर्म में सावन के महीने का खास महत्व होता है. इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस महीने में आप भगवान शिव की पूजा करके मनचाहा फल पा सकते हैं. ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए पंडित राजेश दुबे ने सावन महीने के महत्व और शिव भक्ति पर अपनी राय दी है. उन्होंने सावन महीने में की जाने वाली शिव साधना को लेकर कहा कि सावन महीने में शिवजी का पूजन विशेष तौर पर पार्थिव पूजन का महत्व है.

पंडित राजेश दुबे से जानें सावन में शिवभक्ति का महत्व

पंडित राजेश दुबे ने बताया कि मिट्टी के शिव जी का निर्माण करना, उसका पूजन करना और सूर्यास्त से पहले उसका विसर्जन कर देना खास महत्व रखता है. लोग सोमवार के दिन व्रत करते हैं, भक्त लोग देवालय में जाकर शिव दर्शन करते हैं, विभिन्न प्रकार के फलों के रस से शहद से पंचामृत से सबसे अधिक जलधारा से शिव का अभिषेक करते हैं, जलधारा से अभिषेक करने से भगवान के जो वरदान हमें प्राप्त होते हैं, उसके अंतर्गत सुख शांति और धन की प्राप्ति होती है, संतान सुखी होती है, घर में वैभव आता है, सुख-शांति की प्राप्ति होती है.

सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना के साथ-साथ शिव पुराण का पाठ करना रामायण के नोपारे का अध्ययन करना और अनेक प्रकार की कल्प साधना की जाती है. एकालना साधना की जाती है, कुछ लोग भगवान शिव का पूरे मास अभिषेक करते हैं, नियम के अनुसार प्रातः काल सोकर उठते हैं, सूर्य को अर्ध्य देते हैं, पार्थिव शिव का निर्माण करते हैं, उसका पूजन करते हैं, उसका विसर्जन करते हैं, एकाशना व्रत अर्थात एक समय भोजन करते हैं और 1 महीने यह लगातार करते हैं, जिसे कल्पव्रत कहा जाता है, कुछ लोग कल्पवृक्ष हठ योग साधना के आधार पर करते हैं. पूरे माह तक अन्न जल का सेवन नहीं करते और कुछ लोग फल खाकर तो कुछ फलों के रस और कुछ दूध के रसों को लेकर परायण करते हैं. इससे भोलेनाथ प्रशन्न होते हैं. भगवान शिव को जीवन में सुख सफलता शीतलता और समृद्धि लाने वाले देवता कहा जाता है और भगवान शिव को अति प्रिय है श्रावण मास.

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