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'संजीवनी' कारखाने के 230 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी कोरोना संक्रमित

कोरोना जैसी बीमारी से भेल कारखाना भी अछूता नहीं रहा. यहां के 230 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 30 की मृत्यु भी हो गई है.

BHEL
भेल
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Published : Apr 30, 2021, 12:39 PM IST

Updated : Apr 30, 2021, 1:06 PM IST

भोपाल। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड कारखाना राजधानी का सबसे बड़ा शासकीय औद्योगिक कारखाना है, जहां लगभग 8000 से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर काम करते है. ऐसे में कारखाने के 230 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 30 की मृत्यु भी हो गई है. लिहाजा विधायक कृष्णा गौर ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कारखाने को कुछ समय के लिए बंद करने की मांग की थी, लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं लिया गया है.

हाल-फिलहाल भेल कारखाना ऑक्सीजन सप्लाई का सबसे मुख्य स्त्रोत है. यहां से रोज 600 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई विभिन्न अस्पतालों में की जा रही है. ऐसी स्थिति में भेल को कुछ समय के लिए बंद करना मुश्किलें खड़ी कर सकता है.

भेल प्रबंधन ने प्रारंभ से ही कोरोना से बचाव के लिए काम शुरू कर दिया था, जो अब तक चल रहा है. कारखाने के प्रवेश द्वार पर कर्मचारियों को सैनिटाइज करने की मशीनें भी रखवाई गईं है. प्रत्येक ब्लॉक में हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की व्यवस्था भी की गई है. वहीं बिना मास्क लगाए कर्मचारियों को कारखाने में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त भेल की यूनियन भी अपने सदस्यों को कोरोना से बचाव के लिए भेल प्रबंधन का सहयोग कर रही हैं.

बीएचईएल के कर्मचारी नेता दीपक गुप्ता

'संजीवनी' के इंतजार में BHEL के गेट पर लगी एंबुलेंस की लंबी कतार

भेल में इस समय तीन कर्मचारी यूनियन है. तीनों प्रतिनिधि यूनियनों के पदाधिकारियों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए कोई कमी नहीं की जा रही है, पर फिर भी कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ रहा है, क्योंकि कस्तूरबा अस्पताल को डेडिकेटेड कोरोना अस्पताल बनाया गया है. वहां भेल के कर्मचारियों और उनके परिवारजनों का ही इलाज किया जा रहा है.

कर्मचारियों और अधिकारियों पर मंडरा रहा खतरा

ऐसी परिस्थिति में राज्य सरकार ने कोरोना से बचाव के संबंध में नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें कलेक्टर ने कहा है कि केंद्र सरकार और उनके उपक्रम 10 फीसदी स्टॉफ क्षमता के साथ काम कर सकते हैं. दूसरी ओर विधायक कृष्णा गौर ने भेल कारखाने को कुछ समय के लिए बंद करने की मांग की थी. उन्होंने आशंका व्यक्त की थी कि जिस तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, उससे कारखाने में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों पर खतरा मंडरा रहा है.

वहीं बीएचईएल के कर्मचारी नेता दीपक गुप्ता ने बताया कि भेल के लगभग 150-200 से अधिका कर्मचारी, अधिकारी, मजदूर कोरोना संक्रमित हो गए है. बहुत सारे लोगों ने रिकवर भी किया है. उन्होंने कहा कि प्रशासन और यहां के जनप्रतिनिधि ने कोई काम नहीं किया. यहां के विधायक ने भी कुछ काम नहीं किया. केवल बीएचईल पर आरोप लगाते रहे है.

भोपाल। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड कारखाना राजधानी का सबसे बड़ा शासकीय औद्योगिक कारखाना है, जहां लगभग 8000 से ज्यादा अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर काम करते है. ऐसे में कारखाने के 230 से अधिक कर्मचारी-अधिकारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इनमें से 30 की मृत्यु भी हो गई है. लिहाजा विधायक कृष्णा गौर ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कारखाने को कुछ समय के लिए बंद करने की मांग की थी, लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं लिया गया है.

हाल-फिलहाल भेल कारखाना ऑक्सीजन सप्लाई का सबसे मुख्य स्त्रोत है. यहां से रोज 600 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई विभिन्न अस्पतालों में की जा रही है. ऐसी स्थिति में भेल को कुछ समय के लिए बंद करना मुश्किलें खड़ी कर सकता है.

भेल प्रबंधन ने प्रारंभ से ही कोरोना से बचाव के लिए काम शुरू कर दिया था, जो अब तक चल रहा है. कारखाने के प्रवेश द्वार पर कर्मचारियों को सैनिटाइज करने की मशीनें भी रखवाई गईं है. प्रत्येक ब्लॉक में हाथ धोने के लिए साबुन और पानी की व्यवस्था भी की गई है. वहीं बिना मास्क लगाए कर्मचारियों को कारखाने में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त भेल की यूनियन भी अपने सदस्यों को कोरोना से बचाव के लिए भेल प्रबंधन का सहयोग कर रही हैं.

बीएचईएल के कर्मचारी नेता दीपक गुप्ता

'संजीवनी' के इंतजार में BHEL के गेट पर लगी एंबुलेंस की लंबी कतार

भेल में इस समय तीन कर्मचारी यूनियन है. तीनों प्रतिनिधि यूनियनों के पदाधिकारियों का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए कोई कमी नहीं की जा रही है, पर फिर भी कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ रहा है, क्योंकि कस्तूरबा अस्पताल को डेडिकेटेड कोरोना अस्पताल बनाया गया है. वहां भेल के कर्मचारियों और उनके परिवारजनों का ही इलाज किया जा रहा है.

कर्मचारियों और अधिकारियों पर मंडरा रहा खतरा

ऐसी परिस्थिति में राज्य सरकार ने कोरोना से बचाव के संबंध में नई गाइडलाइन जारी की है, जिसमें कलेक्टर ने कहा है कि केंद्र सरकार और उनके उपक्रम 10 फीसदी स्टॉफ क्षमता के साथ काम कर सकते हैं. दूसरी ओर विधायक कृष्णा गौर ने भेल कारखाने को कुछ समय के लिए बंद करने की मांग की थी. उन्होंने आशंका व्यक्त की थी कि जिस तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है, उससे कारखाने में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों पर खतरा मंडरा रहा है.

वहीं बीएचईएल के कर्मचारी नेता दीपक गुप्ता ने बताया कि भेल के लगभग 150-200 से अधिका कर्मचारी, अधिकारी, मजदूर कोरोना संक्रमित हो गए है. बहुत सारे लोगों ने रिकवर भी किया है. उन्होंने कहा कि प्रशासन और यहां के जनप्रतिनिधि ने कोई काम नहीं किया. यहां के विधायक ने भी कुछ काम नहीं किया. केवल बीएचईल पर आरोप लगाते रहे है.

Last Updated : Apr 30, 2021, 1:06 PM IST
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