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डेढ़ लाख कर्मचारियों में जागी पदोन्नति की आस, कर्मचारी संगठन बोला- सरकार जल्द उठाए कदम - मध्य प्रदेस हाई कोर्ट

हाई कोर्ट के ओबीसी आरक्षण पर फैसले के बाद मध्य प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों में पदोन्नति की आस दोबारा जागी है. हालांकि मामले में अभी सरकार का रुख साफ नहीं हुआ.

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हाई कोर्ट
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Published : Jul 14, 2021, 10:33 PM IST

भोपाल/जबलपुर। हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों में पदोन्नति की आस दोबारा जागी है. हालांकि सरकार ने कोर्ट के आदेश के बाद अपना रुख साफ नहीं किया है. कर्मचारी संगठन का कहना है कि आरक्षण की वजह से प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिल पाया है. जूनियर पहले ही प्रमोट हो जाते हैं. 2-3 साल से पदोन्नति नहीं मिलने से करीब 15 हजार कर्मचारी रिटायर्ड हो चुके हैं. जिसका नुकसान उन्हें पेंशन भुगतान में उठाना पड़ा है. कर्मचारी संगठनों ने हाई कोर्ट के सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण के आदेश को दुखद बताया, और 27 फीसदी आरक्षण दिलाने की मांग की.

डेढ़ लाख कर्मचारियों में जागी पदोन्नति की आस

जबलपुर हाईकोर्ट ने मेडिकल ऑफिसर्स के पद पर भर्ती के मामले में भर्तियां 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के अनुसार ही करने का अंतरिम आदेश दिया है. बाकी 13 फीसदी ओबीसी आरक्षण को रिजर्व रखा गया है. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने हाई कोर्ट में आवेदन दायर किया था. जिसमें उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर्स के पद पर नियुक्ति को जरूरी बताया था. कोर्ट ने कहा है कि सरकार पद के लिए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के अनुसार मेरिट लिस्ट तैयार कर सकती है, लेकिन नियुक्तियों में फिलहाल 14 प्रतिशत ही ओबीसी आरक्षण लागू होगा.

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ईडब्लूएस आरक्षण पर HC का फैसला

दूसरी तरफ बुधवार को मध्यप्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए लागू, 10 परसेंट ईडब्लूएस आरक्षण पर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो आर्थिक रूप से कमजोर तबके को फिलहाल ईडब्लूएस आरक्षण तो दे सकती है, लेकिन इस आरक्षण पर होने वाली नियुक्तियां हाई कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन रहेंगी. यानि अगर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट अपने फैसले के जरिए आरक्षण को रद्द करता है तो ईडब्लूएस आरक्षण का लाभ देकर हुईं नियुक्तियां भी रद्द मानी जाएंगी.

भोपाल/जबलपुर। हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों में पदोन्नति की आस दोबारा जागी है. हालांकि सरकार ने कोर्ट के आदेश के बाद अपना रुख साफ नहीं किया है. कर्मचारी संगठन का कहना है कि आरक्षण की वजह से प्रदेश के करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिल पाया है. जूनियर पहले ही प्रमोट हो जाते हैं. 2-3 साल से पदोन्नति नहीं मिलने से करीब 15 हजार कर्मचारी रिटायर्ड हो चुके हैं. जिसका नुकसान उन्हें पेंशन भुगतान में उठाना पड़ा है. कर्मचारी संगठनों ने हाई कोर्ट के सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण के आदेश को दुखद बताया, और 27 फीसदी आरक्षण दिलाने की मांग की.

डेढ़ लाख कर्मचारियों में जागी पदोन्नति की आस

जबलपुर हाईकोर्ट ने मेडिकल ऑफिसर्स के पद पर भर्ती के मामले में भर्तियां 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के अनुसार ही करने का अंतरिम आदेश दिया है. बाकी 13 फीसदी ओबीसी आरक्षण को रिजर्व रखा गया है. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने हाई कोर्ट में आवेदन दायर किया था. जिसमें उन्होंने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए प्रदेश में मेडिकल ऑफिसर्स के पद पर नियुक्ति को जरूरी बताया था. कोर्ट ने कहा है कि सरकार पद के लिए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के अनुसार मेरिट लिस्ट तैयार कर सकती है, लेकिन नियुक्तियों में फिलहाल 14 प्रतिशत ही ओबीसी आरक्षण लागू होगा.

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ईडब्लूएस आरक्षण पर HC का फैसला

दूसरी तरफ बुधवार को मध्यप्रदेश में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लिए लागू, 10 परसेंट ईडब्लूएस आरक्षण पर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो आर्थिक रूप से कमजोर तबके को फिलहाल ईडब्लूएस आरक्षण तो दे सकती है, लेकिन इस आरक्षण पर होने वाली नियुक्तियां हाई कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन रहेंगी. यानि अगर आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट अपने फैसले के जरिए आरक्षण को रद्द करता है तो ईडब्लूएस आरक्षण का लाभ देकर हुईं नियुक्तियां भी रद्द मानी जाएंगी.

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