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PCC चीफ को लेकर चल रही सरगर्मियों पर लगा विराम, पार्टी में मचा घमासान बना वजह

मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पर विराम लग गया है. प्रदेश में पद के लिए हो रही उठापटक के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया आला नेताओं से चर्चा कर बाद में निर्णय लेगी.

मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पर लगा विराम
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Published : Sep 4, 2019, 6:27 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदारों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. मध्यप्रदेश में तमाम उठापटक के बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फिलहाल इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. ऐसा, पार्टी हाईकमान के ऐसा करने के पीछे कई दावेदारों के बीच चल रहे टकराव को वजह बताई जा रही है.

प्रदेशाध्यक्ष पद पर नहीं हो सका निर्णय

कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मध्यप्रदेश कांग्रेस के आला नेताओं के साथ चर्चा के बाद ही नये प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर अंतिम निर्णय लेंगी. प्रवक्ता ने बताया कि जिसकी भी प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति होगी, उनके साथ पार्टी के सभी कार्यकर्ता मिलजुलकर काम करेंगे. कांग्रेस की जो भी रीति नीति होगी, उसके हिसाब से प्रदेशाध्यक्ष पार्टी के विकास कार्यों को पूरा करेंगे.

बता दें कि मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चल रहे घमासान को लेकर कांग्रेस आलाकमान खासी नाराज हैं. खासकर प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर सिंधिया और दिग्विजय के समर्थकों ने जिस तरह की बयानबाजी की है. उसको लेकर सोनिया गांधी काफी नाराज हैं.

भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद के दावेदारों को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. मध्यप्रदेश में तमाम उठापटक के बीच कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फिलहाल इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. ऐसा, पार्टी हाईकमान के ऐसा करने के पीछे कई दावेदारों के बीच चल रहे टकराव को वजह बताई जा रही है.

प्रदेशाध्यक्ष पद पर नहीं हो सका निर्णय

कांग्रेस प्रवक्ता ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी मध्यप्रदेश कांग्रेस के आला नेताओं के साथ चर्चा के बाद ही नये प्रदेशाध्यक्ष के नाम पर अंतिम निर्णय लेंगी. प्रवक्ता ने बताया कि जिसकी भी प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति होगी, उनके साथ पार्टी के सभी कार्यकर्ता मिलजुलकर काम करेंगे. कांग्रेस की जो भी रीति नीति होगी, उसके हिसाब से प्रदेशाध्यक्ष पार्टी के विकास कार्यों को पूरा करेंगे.

बता दें कि मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चल रहे घमासान को लेकर कांग्रेस आलाकमान खासी नाराज हैं. खासकर प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर सिंधिया और दिग्विजय के समर्थकों ने जिस तरह की बयानबाजी की है. उसको लेकर सोनिया गांधी काफी नाराज हैं.

Intro:भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कर रहे तमाम दावेदारों को निराशा हाथ लग सकती है। क्योंकि चर्चा है कि पार्टी में मचे घमासान को देखते हुए सोनिया गांधी ने फिलहाल मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के चयन की कवायद को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और उन्होंने कमलनाथ को ही अध्यक्ष बने रहने के लिए कहा है। कांग्रेस सूत्रों की माने तो आलाकमान सिंधिया समर्थकों और उनके गुट के विधायकों मंत्रियों की लॉबिंग और धमकियों से नाराज हैं और उन्होंने फैसला किया है कि अब किसी नए अध्यक्ष से बनाने से अच्छा कमलनाथ ही पीसीसी की कमान संभालने।क्योंकि अगर यह किसी नए व्यक्ति को दी गई, तो कई दूसरे महत्वाकांक्षी नेता पावर सेंटर बनने की कोशिश करेंगे। माना जा रहा है कि ग्वालियर दौरे पर आए सिंधिया इसीलिए सुर बदले हुए नजर आ रहे हैं।Body:मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर चल रहे घमासान को लेकर को लेकर कांग्रेस आलाकमान खासी नाराज हैं। खासकर प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी को लेकर सिंधिया समर्थकों, सिंधिया समर्थक विधायकों और उनके कोटे के मंत्रियों ने जिस तरह की बयानबाजी की है। उसको लेकर सोनिया गांधी काफी नाराज हैं। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने जिस तरह से इस्तीफे की धमकी दी और जिस तरह से बयान बाजी की उसको लेकर सोनिया का मानना है कि भले ही पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है।लेकिन इस स्थिति में अगर पार्टी का कोई नेता पार्टी पर दबाव बनाकर अपना काम कराने की कोशिश करेगा, तो मंजूर नहीं होगा।खासकर उमंग सिंघार वाला प्रकरण भी इसी दावेदारी से जोड़कर देखा जा रहा है।क्योंकि उमंग सिंघार ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी माने जाते हैं। इन परिस्थितियों को लेकर मंगलवार को प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने भी बयान जारी कर समर्थकों को सख्त हिदायत दी थी। कांग्रेस सूत्रों की माने, तो आलाकमान ने यह फैसला किया है कि पार्टी संगठन के पदों के निर्णय को लेकर वह किसी के दबाव में नहीं आएगी। दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि अपने अनुभव के चलते सोनिया गांधी अच्छी तरह समझ रही थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में दूसरा पावर सेंटर बनने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसे में कमलनाथ सरकार दबाव में रहेगी और बहुमत के नजदीक सरकार में आए दिन ऐसे ही घटनाक्रम देखने को मिलेंगे। सिंधिया ने ग्वालियर पहुंचने के बाद जिस तरह के बयान दिए हैं। माना जा रहा है कि आलाकमान की नाराजगी पता लगने के बाद उन्होंने अध्यक्ष पद को लेकर यह बयान दिए हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस फिलहाल मध्य प्रदेश को लेकर कोई भी बड़ा निर्णय टाल सकती है। दरअसल सोनिया गांधी ऐसे नेता को मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान देना चाह रही थी कि जो कमलनाथ के लिए मददगार साबित हो। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के तेवर से साफ हो गया कि यह संगठन के और सरकार के लिए मददगार साबित ना होकर परेशानी की वजह बनेंगे।वही सिंधिया कि बीजेपी से नजदीकी की अटकलों को लेकर भी एआईसीसी नाराज है।Conclusion:हालांकि इस मामले में मध्यप्रदेश कांग्रेस का कोई भी पदाधिकारी किसी तरह का बयान देने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस पदाधिकारी अपनी उसी लाइन पर कायम हैं कि कमलनाथ जी पर छोड़ने की इच्छा पहले ही व्यक्त कर चुके थे और आलाकमान के निर्देश पर दीपक बाबरिया भोपाल में आकर रायशुमारी करी थी। उसके बाद अंतिम फैसला सोनिया गांधी को करना है। सोनिया गांधी जो फैसला करेंगे वह सभी को मंजूर होगा।
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