भोपाल। राजधानी सहित पूरे देश में इस साल की आखिरी नेशनल लोक अदालत आयोजित होने जा रही है. इस लोक अदालत को लेकर भोपाल कोर्ट ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है. लोक अदालत में सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि पक्षकार का समय भी बचता है और पैसे की भी बचत होती है. इसके अलावा लोक अदालत में निर्णय लिए गए प्रकरणों के खिलाफ अपील भी नहीं लगती. पूरे मामलों में ना किसी की जीत होती है और ना किसी की हार होती है. सही एवं तथ्यात्मक आधार पर मामलों का निराकरण किया जाता है.
कई प्रकार के केस सुलझेंगे : भोपाल में लोक अदालत में करीब 72 हज़ार से ज्यादा केस रखे जाएंगे, जिसमें से 49 हज़ार प्रिलिटिगेशन केस रखे जाएंगे. इसके तहत दोनों पक्षों की आपसी सहमति से मामलों का निराकरण होगा और दोनों पक्षों की सहमति से हुए समझौते के बाद पक्षकारों को पौधा दिया जाएगा. प्रधान जिला न्यायाधीश गिरिबाला सिंह ने बताया कि लोक अदालत में दोनों पक्ष अपनी बात रखेंगे. लोक अदालत में राजस्व, सिविल,पारिवारिक विवाद, भरण पोषण, विद्युत, पानी , एक्सीडेंट क्लेम प्रकरण, श्रम संबंधी प्रकरण, बैंक चेक अनादरण, ट्रैफिक के ई-चालान के प्रकरण को रखे जाएंगे.
छिंदवाड़ा: लोक अदालत में सुलझाए गए 1000 से ज्यादा मामले
इस बार भी अव्वल रहने की संभावना : उन्होंने बताया कि लोक अदालत के माध्यम से जो बैंक के प्रकरण का निपटारा किया जाता है. उसमें 10 लाख से अधिक के मामले डीआरटी के माध्यम से हल होते हैं और उससे कम के मामलों में 42% तक की छूट देकर यही आपसी सहमति के माध्यम से मामले खत्म कराए जाते हैं. पिछले दो-तीन बार से मध्यप्रदेश में भोपाल कोर्ट सबसे अव्वल रही है. इस बार भी प्रयास रहेगा कि सबसे ज्यादा केसों के निराकरण के मामले में भोपाल कोर्ट अव्वल रहे.