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सहायक आबकारी आयुक्त बर्खास्त, फर्जी जाति प्रमाण पत्र का था मामला - नागेश्वर सोनकेशरी को इंदौर हाईकोर्ट के आदेशों पर बर्खास्त कर दिया

ग्वालियर में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त नागेश्वर सोनकेशरी को इंदौर हाईकोर्ट के आदेशों पर बर्खास्त कर दिया है.

Nageshwar Sonkeshri Assistant Excise Commissioner dismissed
भोपाल, बल्लभ भवन
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Published : Dec 31, 2020, 2:18 AM IST

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने ग्वालियर में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त नागेश्वर सोनकेशरी को इंदौर हाईकोर्ट के आदेशों पर बर्खास्त कर दिया है. अनुसूचित जनजाति कोटे में नागेश्वर सोनकेशरी का जिला आबकारी अधिकारी के पद पर चयन हुआ था. लेकिन जब इसकी जांच हुई तो नागेश्वर सोनकेशरी का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया.

साल 2001 में मिली थी नियुक्ति

बताया जा रहा है कि साल 1998 में राज्य सिविल सेवा परीक्षा के जरिए नागेश्वर सोनकेशरी का अनुसूचित जनजाति कोटे में चयन हुआ था. इसके बाद साल 2001 में सरकार ने नागेश्वर को जिला आबकारी अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी थी. नागेश्वर ने अपने आवेदन के साथ हल्बा जाति का प्रमाण पत्र जमा किया था, लेकिन जब जाति प्रमाण पत्र की बारीकी से जांच की गई तो यह प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया. इसके बाद साल 2010 में नागेश्वर सोनकेशरी को सेवा मुक्त करने के आदेश दे दिए गए थे. लेकिन इस आदेश के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट में आबकारी अधिकारी ने याचिका दायर की थी. जिस पर इंदौर हाई कोर्ट ने सेवा मुक्त किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया था और नागेश्वर सोनकेशरी की सेवाएं बहाल रखने की आदेश दिए थे.

हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

सहायक आबकारी आयुक्त नागेश्वर को बहाल करने वाले आदेशों को लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि इस मामले का निराकरण 6 माह के भीतर किया जाए. लिहाजा, इस मामले को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने नागेश्वर सोनकेशरी को बर्खास्त करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद राज्य शासन ने इस मामले में सहायक आबकारी आयुक्त पर कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया है.

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने ग्वालियर में पदस्थ सहायक आबकारी आयुक्त नागेश्वर सोनकेशरी को इंदौर हाईकोर्ट के आदेशों पर बर्खास्त कर दिया है. अनुसूचित जनजाति कोटे में नागेश्वर सोनकेशरी का जिला आबकारी अधिकारी के पद पर चयन हुआ था. लेकिन जब इसकी जांच हुई तो नागेश्वर सोनकेशरी का जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया.

साल 2001 में मिली थी नियुक्ति

बताया जा रहा है कि साल 1998 में राज्य सिविल सेवा परीक्षा के जरिए नागेश्वर सोनकेशरी का अनुसूचित जनजाति कोटे में चयन हुआ था. इसके बाद साल 2001 में सरकार ने नागेश्वर को जिला आबकारी अधिकारी के पद पर नियुक्ति दी थी. नागेश्वर ने अपने आवेदन के साथ हल्बा जाति का प्रमाण पत्र जमा किया था, लेकिन जब जाति प्रमाण पत्र की बारीकी से जांच की गई तो यह प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया. इसके बाद साल 2010 में नागेश्वर सोनकेशरी को सेवा मुक्त करने के आदेश दे दिए गए थे. लेकिन इस आदेश के खिलाफ इंदौर हाई कोर्ट में आबकारी अधिकारी ने याचिका दायर की थी. जिस पर इंदौर हाई कोर्ट ने सेवा मुक्त किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया था और नागेश्वर सोनकेशरी की सेवाएं बहाल रखने की आदेश दिए थे.

हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

सहायक आबकारी आयुक्त नागेश्वर को बहाल करने वाले आदेशों को लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. इस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि इस मामले का निराकरण 6 माह के भीतर किया जाए. लिहाजा, इस मामले को लेकर इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई और सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने नागेश्वर सोनकेशरी को बर्खास्त करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेशों के बाद राज्य शासन ने इस मामले में सहायक आबकारी आयुक्त पर कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया है.

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