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छोटी बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं Rapists के लिए होती हैं सॉफ्ट टारगेट, जानिए मनोचिकित्सक की राय

छोटी बच्ची और बुजुर्ग महिलाएं रेप करने वाले अपराधियों के लिए सॉफ्ट टारगेट होती हैं, इस वजह से वह इनका शिकार ज्यादा होती है. यह कहना है मनोचिकित्सक डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य का.. आइए जानते हैं रेप के मामले में क्या है मनोचिकित्सक की राय.

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Published : Nov 16, 2022, 10:45 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों में छोटी बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं सामने आई है, जिसमें 3 से 4 साल की छोटी बच्चियों से लेकर 70 से 75 साल की बुजुर्ग महिलाओं के साथ ज्यादती की गई. इन सभी घटनाओं के बाद सवाल यही उठा कि आखिर क्या कारण है कि रेप करने वाले दरिंदे मासूम बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं को ही अपना शिकार बनाते हैं? इसको लेकर मनोचिकित्सक डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य का कहना है कि, छोटी बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं रेप करने वाले के लिए सॉफ्ट टारगेट होती हैं, क्योंकि छोटी बच्ची भी असहाय होती है और बुजुर्ग महिला भी. जबकि छोटी बच्चियों को तो यह पता ही नहीं होता कि उनके साथ हो क्या रहा है और वह इस बारे में किसी को बता भी नहीं पाती, यही स्थिति बुजुर्ग महिलाओं के साथ होती है. क्योंकि वह असहाय होने के साथ कमजोर भी उम्र के पड़ाव में होती है,इसलिए जो रेप करने के आदी होते हैं उन्हें यह पता होता है कि यही उनके टारगेट है.

छोटी बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं रेपिस्ट के लिए सॉफ्ट टारगेट

90% मामलों में परिचित ही रेपिस्ट: डॉक्टर रूमा बताती हैं कि, "अधिकतर रेप की घटनाओं में यह देखने में आया है कि रेप करने वाला व्यक्ति, पीड़ित बच्ची या बुजुर्गों का परिचित होता है. 90% मामलों में ऐसा देखने में आया है, क्योंकि अनजान व्यक्ति एकदम से यह कृत्य नहीं करता. जबकि परिचित उस बारे में पहले से निगरानी करा हुआ होता है और उसे जानकारी होती है, कि बच्ची या बुजुर्ग महिला किस समय एकांत और असहाय होती हैं."

कैसे लगेगा रेप पर अंकुश: डॉक्टर रूमा के अनुसार, "रेप की रोकथाम के लिए लड़कियों के साथ ही लड़कों को भी मार्गदर्शन देने की जरूरत है, क्योंकि रेप करने वाला लड़का ही होता है, ऐसे में अगर बच्चियों के साथ बच्चों को भी इस बात की समझाइश दी जाए कि क्या बुरा है और क्या सही है, तो निश्चित ही आने वाले समय में रेप की घटनाओं में रोकथाम होगी."

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क्या कहते हैं आंकड़े: आपको बताएं कि 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में रोजाना 80 से 85 मामले रेप केस के दर्ज होते हैं और यह वह मामले हैं जो सच में दर्ज होते हैं, जबकि अधिकतर मामलों में महिलाएं और बच्चों के परिवार शर्म और बदनामी के डर के कारण रिपोर्ट नहीं लिखवाते.

भोपाल। मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों में छोटी बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं के साथ रेप की घटनाएं सामने आई है, जिसमें 3 से 4 साल की छोटी बच्चियों से लेकर 70 से 75 साल की बुजुर्ग महिलाओं के साथ ज्यादती की गई. इन सभी घटनाओं के बाद सवाल यही उठा कि आखिर क्या कारण है कि रेप करने वाले दरिंदे मासूम बच्चियों और बुजुर्ग महिलाओं को ही अपना शिकार बनाते हैं? इसको लेकर मनोचिकित्सक डॉक्टर रूमा भट्टाचार्य का कहना है कि, छोटी बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं रेप करने वाले के लिए सॉफ्ट टारगेट होती हैं, क्योंकि छोटी बच्ची भी असहाय होती है और बुजुर्ग महिला भी. जबकि छोटी बच्चियों को तो यह पता ही नहीं होता कि उनके साथ हो क्या रहा है और वह इस बारे में किसी को बता भी नहीं पाती, यही स्थिति बुजुर्ग महिलाओं के साथ होती है. क्योंकि वह असहाय होने के साथ कमजोर भी उम्र के पड़ाव में होती है,इसलिए जो रेप करने के आदी होते हैं उन्हें यह पता होता है कि यही उनके टारगेट है.

छोटी बच्चियां और बुजुर्ग महिलाएं रेपिस्ट के लिए सॉफ्ट टारगेट

90% मामलों में परिचित ही रेपिस्ट: डॉक्टर रूमा बताती हैं कि, "अधिकतर रेप की घटनाओं में यह देखने में आया है कि रेप करने वाला व्यक्ति, पीड़ित बच्ची या बुजुर्गों का परिचित होता है. 90% मामलों में ऐसा देखने में आया है, क्योंकि अनजान व्यक्ति एकदम से यह कृत्य नहीं करता. जबकि परिचित उस बारे में पहले से निगरानी करा हुआ होता है और उसे जानकारी होती है, कि बच्ची या बुजुर्ग महिला किस समय एकांत और असहाय होती हैं."

कैसे लगेगा रेप पर अंकुश: डॉक्टर रूमा के अनुसार, "रेप की रोकथाम के लिए लड़कियों के साथ ही लड़कों को भी मार्गदर्शन देने की जरूरत है, क्योंकि रेप करने वाला लड़का ही होता है, ऐसे में अगर बच्चियों के साथ बच्चों को भी इस बात की समझाइश दी जाए कि क्या बुरा है और क्या सही है, तो निश्चित ही आने वाले समय में रेप की घटनाओं में रोकथाम होगी."

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क्या कहते हैं आंकड़े: आपको बताएं कि 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में रोजाना 80 से 85 मामले रेप केस के दर्ज होते हैं और यह वह मामले हैं जो सच में दर्ज होते हैं, जबकि अधिकतर मामलों में महिलाएं और बच्चों के परिवार शर्म और बदनामी के डर के कारण रिपोर्ट नहीं लिखवाते.

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