भोपाल। राज्य सरकार द्वारा गेहूं उपार्जन पर रोक लगा दी गई है. इसको लेकर कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने प्रदेश सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान पर आरोप लगाते हुए कहा कि CM सिर्फ किसानों का हमदर्द बनने का दावा करते हैं. लेकिन बेमौसम बारिश से हुए नुकसान का सर्वे करने कई जिलों में आज तक कोई सर्वे टीम मौके पर नहीं पहुंची. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि सरकारी बैंकों का ब्याज माफ कर दिया जाएगा. लेकिन आज तक आदेश नहीं जारी किए गए हैं.
गेहूं में नमी बताकर रोकी खरीद: विधायक कुणाल चौधरी के मुताबिक सरकार ने 27 मार्च से गेहूं खरीदी के आदेश दिए थे. इसके चलते बड़ी संख्या में किसान अपना गेहूं लेकर खरीदी केंद्रों पर पहुंच गए. लेकिन खरीदी शुरू होने से पहले खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने आदेश जारी कर खरीदी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. हवाला दिया गया कि बारिश के कारण गेहूं में नमी है. नमी युक्त अमान्य गेहूं विक्रय के लिए खरीदी केंद्रों पर पहुंच रहा है. इसलिए खरीदी को स्थगित कर दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्राकृतिक आपदा से किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. अब गेहूं की गुणवत्ता में कमी आई है तो राज्य सरकार का दायित्व है कि ऐसा गेहूं भी सरकार खरीदे.
1700 क्विंटल तक बिक रहा गेंहू: विधायक ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने उनकी ही विधानसभा क्षेत्र में आकर दावा किया था कि, किसान की मिट्टी में उपजने वाली फसल 2100 रुपए क्विटल में सरकार खरीदेगी. लेकिन आज हालात यह है कि किसानों का गेहूं 1500 से लेकर 1700 रुपए क्विंटल तक बिक रहा है और सरकार चुप्पी साधे है. उन्होंने आरोप लगाया कि बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बीजेपी सरकार ने निर्यात पर रोक लगा दी. उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने सरकार किसानों के साथ साजिश कर रही है.
वाहवाही लूटने में जुटी सरकार: कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि सोसाइटी से किसानों द्वारा लिए गए कर्ज के ब्याज की राशि राज्य सरकार माफ करेगी. लेकिन आज इसकी आखिरी तारीख है. अब तक इस संबंध में शासन ने कोई आदेश जारी नहीं किए हैं. जाहिर है किसान सूदखोरों से पैसा लेकर यह राशि भरेगा. सरकार सिर्फ वाहवाही लूटने के लिए झूठी घोषणा करने में जुटी है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्राकृतिक आपदा से बदहाल किसान से बिजली बिल वसूली को भी अब तक राज्य सरकार ने माफ नहीं किया है. हालात ये हैं कि 8000 बिजली बिल की वसूली के लिए बिजली कंपनी के कर्मचारी 80,000 की बाइक उठाकर ले जा रहे हैं.