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MP Water Crisis: मालवा में गहराया जल संकट, अब भी नहीं चेते तो बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे

मध्यप्रदेश के मालवा इलाके के इंदौर, रतलाम, उज्जैन, नीमच इलाकों में पानी को लेकर अभी से स्थिति चिंताजनक बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि भू-जल के अधिक दोहन से आने वाले समय में पानी का संकट पैदा हो सकता है. इन हालातों को देखते हुए सरकार ने बिना अनुमति बोरिंग कराने वालों पर 2 साल की सजा का प्रावधान रखा है.

Water crisis in this area of MP
मालवा में गहराया जल संकट
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Published : Feb 7, 2023, 9:06 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश के मालवा के बारे में कहावत प्रचलित रही है कि पग-पग रोटी, पग-पग नील, लेकिन इस इलाके में नीर की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. केन्द्रीय भू-जल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश के मालवा इलाके के इंदौर, रतलाम, उज्जैन, नीमच इलाकों में भू-जल के अत्यधिक दोहन से आने वाले समय में पानी का गंभीर संकट पैदा हो सकता है. सिंचाई और पीने के पानी के लिए अंधाधुंध तरीके से हो रहे बोर और खींचे जा रहे पानी से ग्राउंड वॉटर की उपलब्धता लगातार कम होती जा रही है. उधर पानी के दोहन को देखते हुए राज्य सरकार ने बिना अनुमति बोरिंग कराए जाने पर 2 साल तक की सजा का प्रावधान कर दिया है.

प्रदेश के इन जिलों में हालत चिंताजनक: केन्द्रीय भू-जल बोर्ड की डायनामिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स ऑफ इंडिया 2022 की रिपोर्ट मध्यप्रदेश के मालवांचल इलाके के लिए चेताने वाली है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के मालवांचल इलाके में भू-जल का बेतहाशा दोहन हो रहा है. बोर्ड द्वारा यह रिपोर्ट दो साल के अंतराल पर जारी की जाती है. ताजा रिपोर्ट में मध्यप्रदेश के इंदौर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर और उज्जैन को ओवर एक्स्प्लाइट श्रेणी में शामिल किया गया है. यानी इन इलाकों में बोरिंग के जरिए भूजल का उपयोग खेती, उद्योगों और घरेलू उपयोग में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा किया जा रहा है. रिपोर्ट में चेताया गया है कि यदि यही हालात रहे तो आने वाले सालों में इन इलाकों में पेयजल का भी भारी संकट खड़ा हो सकता है.

Water crisis in this area of MP
एमपी के इस अंचल में पानी का संकट

करोड़ों खर्च होने के बाद भी प्यासा है मध्यप्रदेश, धूल फांक रही कई नल-जल योजनाएं

इसलिए बन रहे चिंताजनक हालात: मालवांचल में यह हालात इसलिए चिंताजनक बन रहे हैं क्योंकि इन इलाकों में जरूरत से कहीं ज्यादा भू-जल का उपयोग किया जा रहा है. साल भर में जितना पानी जमीन में रीचार्ज नहीं हो रहा, उससे कहीं ज्यादा पानी खींचा जा रहा है.

  1. रतलाम जिले में 136.41 फीसदी पानी खींचा गया, जिसमें सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 103784 करोड़ लीटर पानी खींचा गया, जबकि ग्राउंड वॉटर निकाला जा सकता था 76080 करोड़ लीटर पानी.
  2. शाजापुर जिले में 106 फीसदी भू जल निकाला जा रहा है. इसमें सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 54991 करोड़ लीटर पानी निकाला जा रहा है, जबकि ग्राउंड वॉटर रीचार्ज 51495 करोड़ लीटर पानी हो रहा है.
  3. उज्जैन जिले में 108 फीसदी भू जल निकाला जा रहा है. इसमें सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 99361 करोड़ लीटर पानी निकाला जा रहा है, जबकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज 91601 करोड़ लीटर पानी रिचार्ज हुआ.
  4. मंदसौर जिले में 103 फीसदी भू जल निकाजा रहा है. इसमें सिंचाई, घरेलू और अन्य उपयोग के लिए 67169 करोड़ लीटर पानी जा रहा है, जबकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो रहा है 65121 करोड़ लीटर पानी.
  5. इंदौर में ग्राउंड वॉटर 120 फीसदी निकाला गया. यहां सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 63753 करोड़ लीटर पानी निकाला गया, जबकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होने के बाद निकाला जा सकता था 52999 करोड़ लीटर पानी.

बेतहाशा होने वाली बोरिंग पर लगे रोक: उधर इसको लेकर पर्यावरणविद् भी चिंतित हैं. पर्यावरणविद् सुभाष पांडे के मुताबिक पीने के पानी का सिंचाई और उद्योगों में जमकर उपयोग किया जा रहा है, जो चिंताजनक है. केन्द्रीय भू जल बोर्ड की रिपोर्ट चिंताजनक है. यदि लोग इतने ही बेपरवाह होकर भू-जल को निकालते रहे तो इसका खामियाजा आने वाले समय में भुगतना पड़ सकता है. लोगों को इसको लेकर जागरूक करने की जरूरत है. भू-जल की भी अपनी सीमा है, इसे लोगों को समझना चाहिए. साथ ही शहरों में वॉटर रिचार्ज को लेकर सख्ती से लागू कराया जाना चाहिए. बेहतर होगा कि हम सरफेस वॉटर का ज्यादा उपयोग करें और रिचार्ज जोन बनाएं.

आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव को गोद लेकर सांसदों ने दिखाए विकास के सपने, अब बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

उधर सरकार ने सख्त किए नियम: उधर राज्य सरकार ने बिना अनुमति बोरिंग और पेयजल का दूसरे कामों में उपयोग करने को लेकर नियम सख्त कर दिए हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने पेय जल परिरक्षण संशोधन अधिनियम 2022 में नियम को और सख्त कर दिया है. इस अधिनियम की धारा 9 में प्रावधान किया गया है कि पेयजल का उपयोग किसी दूसरे कामों में करने की शिकायत मिलने पर पहली बार 5 हजार का जुर्माना, इसके बाद फिर ऐसा करने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना या दो साल तक की सजा दी जाएगी.

भोपाल। मध्यप्रदेश के मालवा के बारे में कहावत प्रचलित रही है कि पग-पग रोटी, पग-पग नील, लेकिन इस इलाके में नीर की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है. केन्द्रीय भू-जल बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश के मालवा इलाके के इंदौर, रतलाम, उज्जैन, नीमच इलाकों में भू-जल के अत्यधिक दोहन से आने वाले समय में पानी का गंभीर संकट पैदा हो सकता है. सिंचाई और पीने के पानी के लिए अंधाधुंध तरीके से हो रहे बोर और खींचे जा रहे पानी से ग्राउंड वॉटर की उपलब्धता लगातार कम होती जा रही है. उधर पानी के दोहन को देखते हुए राज्य सरकार ने बिना अनुमति बोरिंग कराए जाने पर 2 साल तक की सजा का प्रावधान कर दिया है.

प्रदेश के इन जिलों में हालत चिंताजनक: केन्द्रीय भू-जल बोर्ड की डायनामिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स ऑफ इंडिया 2022 की रिपोर्ट मध्यप्रदेश के मालवांचल इलाके के लिए चेताने वाली है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के मालवांचल इलाके में भू-जल का बेतहाशा दोहन हो रहा है. बोर्ड द्वारा यह रिपोर्ट दो साल के अंतराल पर जारी की जाती है. ताजा रिपोर्ट में मध्यप्रदेश के इंदौर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर और उज्जैन को ओवर एक्स्प्लाइट श्रेणी में शामिल किया गया है. यानी इन इलाकों में बोरिंग के जरिए भूजल का उपयोग खेती, उद्योगों और घरेलू उपयोग में राष्ट्रीय औसत से ज्यादा किया जा रहा है. रिपोर्ट में चेताया गया है कि यदि यही हालात रहे तो आने वाले सालों में इन इलाकों में पेयजल का भी भारी संकट खड़ा हो सकता है.

Water crisis in this area of MP
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करोड़ों खर्च होने के बाद भी प्यासा है मध्यप्रदेश, धूल फांक रही कई नल-जल योजनाएं

इसलिए बन रहे चिंताजनक हालात: मालवांचल में यह हालात इसलिए चिंताजनक बन रहे हैं क्योंकि इन इलाकों में जरूरत से कहीं ज्यादा भू-जल का उपयोग किया जा रहा है. साल भर में जितना पानी जमीन में रीचार्ज नहीं हो रहा, उससे कहीं ज्यादा पानी खींचा जा रहा है.

  1. रतलाम जिले में 136.41 फीसदी पानी खींचा गया, जिसमें सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 103784 करोड़ लीटर पानी खींचा गया, जबकि ग्राउंड वॉटर निकाला जा सकता था 76080 करोड़ लीटर पानी.
  2. शाजापुर जिले में 106 फीसदी भू जल निकाला जा रहा है. इसमें सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 54991 करोड़ लीटर पानी निकाला जा रहा है, जबकि ग्राउंड वॉटर रीचार्ज 51495 करोड़ लीटर पानी हो रहा है.
  3. उज्जैन जिले में 108 फीसदी भू जल निकाला जा रहा है. इसमें सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 99361 करोड़ लीटर पानी निकाला जा रहा है, जबकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज 91601 करोड़ लीटर पानी रिचार्ज हुआ.
  4. मंदसौर जिले में 103 फीसदी भू जल निकाजा रहा है. इसमें सिंचाई, घरेलू और अन्य उपयोग के लिए 67169 करोड़ लीटर पानी जा रहा है, जबकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज हो रहा है 65121 करोड़ लीटर पानी.
  5. इंदौर में ग्राउंड वॉटर 120 फीसदी निकाला गया. यहां सिंचाई, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए 63753 करोड़ लीटर पानी निकाला गया, जबकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज होने के बाद निकाला जा सकता था 52999 करोड़ लीटर पानी.

बेतहाशा होने वाली बोरिंग पर लगे रोक: उधर इसको लेकर पर्यावरणविद् भी चिंतित हैं. पर्यावरणविद् सुभाष पांडे के मुताबिक पीने के पानी का सिंचाई और उद्योगों में जमकर उपयोग किया जा रहा है, जो चिंताजनक है. केन्द्रीय भू जल बोर्ड की रिपोर्ट चिंताजनक है. यदि लोग इतने ही बेपरवाह होकर भू-जल को निकालते रहे तो इसका खामियाजा आने वाले समय में भुगतना पड़ सकता है. लोगों को इसको लेकर जागरूक करने की जरूरत है. भू-जल की भी अपनी सीमा है, इसे लोगों को समझना चाहिए. साथ ही शहरों में वॉटर रिचार्ज को लेकर सख्ती से लागू कराया जाना चाहिए. बेहतर होगा कि हम सरफेस वॉटर का ज्यादा उपयोग करें और रिचार्ज जोन बनाएं.

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उधर सरकार ने सख्त किए नियम: उधर राज्य सरकार ने बिना अनुमति बोरिंग और पेयजल का दूसरे कामों में उपयोग करने को लेकर नियम सख्त कर दिए हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने पेय जल परिरक्षण संशोधन अधिनियम 2022 में नियम को और सख्त कर दिया है. इस अधिनियम की धारा 9 में प्रावधान किया गया है कि पेयजल का उपयोग किसी दूसरे कामों में करने की शिकायत मिलने पर पहली बार 5 हजार का जुर्माना, इसके बाद फिर ऐसा करने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना या दो साल तक की सजा दी जाएगी.

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