भोपाल। 2024 के चुनाव में बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी से निपटने आरएसएस ने स्वरोजगार की नई शाखा को सींचना शुरु कर दिया है. संघ के ही किए गए एक सर्वे की रिपोर्ट कहती है कि देश में 3 करोड़ 70 लाख 21 हजार नौकरियां हैं. ये वो सरकारी नौकरियां हैं जो भरी हुई हैं. नौकरी के लिए नौजवानों की जो पहली लाइन है, उसमें 16 से 29 वर्ष के ऐसे नौजवानों की तादात 37 करोड़ से ज्यादा है. 2024 के आम चुनाव के मद्देनजर आरएसएस और उसकी विचारधारा समर्थित संगठनों का टारगेट भी यही 37 करोड़ आबादी है. स्वरोजगार से जोड़ने के साथ सबसे बड़ा टास्क भी.
रोजगार सृजन केन्द्र का थ्री वे फार्मूला: देश में पहली बार है कि संघ और संघ समर्थित सगठनों ने एक साथ पूरे देश में रोजगार सृजन केन्द्र खोले हैं. एमपी में तो एक साथ 16 जिलों में ये केन्द्र खोले गए. स्वदेशी जागरण मंच के संगठन महामंत्री और मध्यप्रदेश छत्तीसगढ में स्वावलंबी भारत अभियान की जिम्मेदारी संभाले केशव दुबोलिया के मुताबिक ये केन्द्र असल में कंसलटेंसी सेंटर होंगे और थ्री वे फार्मूले पर चलेंगे. वे बताते हैं mysba.co.in इस वेबसाईट के जरिए नौकरी चाहने वाले नौजवान और नौकरी देने वाली कंपनियों की मुलाकात करवाई जाएगी. दूसरा सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ कैसे कहां किसके जरिए उनका लाभ मिल सके, ये पूरा मार्गदर्शन नौजवानों को दिया जाएगा. इसमें विभाग के अधिकारी के नंबर से लेकर योजना से लाभान्वित होने के लिए जरुरी अर्हता तक पूरी जानकारी वेबसाईट पर उपलब्ध होगी. सिस्टम में जो दिक्कतें आती हैं वो भी स्वयंसेवक हल करेंगे.
MP: RSS अब बेरोजगारी से निपटेगा, देश में पहली बार MP में खुलेंगी संघ की रोजगार शाखाएं
नौजवानों का माइंडसेट बदलने की तैयारी, रोजगार देने वाले बनों: स्वदेशी जागरण मंच के इस स्वावलंबी भारत अभियान के साथ बेरोजगारी के मुद्दे पर नौजवानों की मानसिकता बदलने का अभियान शुरू किया है. पहली कोशिश ये है कि नौजवान नौकरी मांगने के बजाए स्वरोजगार की तरफ बढ़ें. नौजवानों का माइंडसेट बदलने स्वावलंबी भारत अभियान के जरिए चार हजार से ज्यादा कार्यशालाएं की गईं. रणनीति ये है कि इस तादात में सरकारी नौकरियां दे पाना जब सरकार के लिए मुमकिन ही नहीं. तब नौजवान स्वरोजगार का रुख करे सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हुए अपना व्यवसाय शुरु करे. संघ के विचार से प्रेरणा लेकर काम करने वाले बीजेपी स्वदेशी जागरण मंच , भारतीय मजदूर संघ, भारतीय किसान संघ समेत 14 संगठन और इस आंदोलन का हिससा बनें कई और संगठनों को मिलाकर देश भर में कुल 25 संगठन इस दिशा में एक साथ काम कर रहे हैं.
रोजगार सृजन केन्द्र के पासा सारा डेटा: कोविड के बाद बिगड़े रोजगार के हालात पर बाकायदा रिसर्च कर ये पूरी रणनीति तैयार की गई है. पहले संघ विचारधारा से जुड़े शिक्षाविद उद्योग जगत की हस्तियों को जोड़कर 50 लोगों की टीम तैयार हुई. जिसने लंबा रिसर्च किया और जो फीडबैक मिले, उसके आधार पर फिर स्वावलंबी भारत अभियान अंतर्गत रोजगार सृजन केन्द्रों की शुरआत की गई. इस काम की मध्यप्रदेश छत्तीसगढ में जवाबदारी संभाले केशव दुबोलिया कहते हैं,ये जो केन्द्र हैं, यहां जॉब सीकर और जॉब प्रोवाइडर की मुलाकात करवाई जाएगी. इसके अलावा हमारा मुख्य फोकस स्वरोजगार की दिशा में है. कैसे सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर कृषि जैसे क्षेत्र में नौजवान क्रांतिकारी शुरुआत कर सकें और अपने साथ कई और नौजवानों को रोजगार दे सकें. हमारा लक्ष्य नौजवानों की आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ भारत को आर्थिक रुप से सक्षम बनाना है. इस केन्द्र में सारा डेटा होगा कि देश में कितने बेरोजगार हैं. कितने किन कंपनियों के साथ जुड़े हुए हैं और कितनी तादात में देश के नौजवानों ने अपना उद्यम शुरु किया है.