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MP Tribal Yojna Scam: दिग्विजय सिंह का बड़ा आरोप- मध्य प्रदेश में आदिवासी योजना में हुआ घोटाला, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से की शिकायत

MP Adivasi Jaivik Kheti Yojana Scam मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा "आदिवासी जैविक खेती योजना" के लिये स्वीकृत 74 करोड़ की राशि में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार होने का आरोप पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लगाया है. उन्होंने ये आरोप एक शिकायत के आधार पर लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को चिट्ठी लिखी है.

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फाइल फोटो
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 18, 2023, 6:37 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा "आदिवासी जैविक खेती योजना" के लिये स्वीकृत 74 करोड़ की राशि में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार होने का पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक शिकायत के आधार पर आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से जांच कराए जाने की मांग की है. सिंह ने राष्ट्रपति को लिख पत्र के साथ भोपाल के साकेत नगर में रहने वाले पुनीत टंडन की शिकायत को संलग्न किया है.

राष्ट्रपति को भेजे पत्र में ये लिखा: इसमें कहा गया है कि प्रदेश के आदिवासी वर्ग के लिये वर्ष 2016-17 में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा "आदिवासी जैविक खेती योजना" के लिये स्वीकृत 74 करोड़ की राशि में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है, जिस पर राज्य शासन द्वारा कार्यवाही करने की जगह भ्रष्ट अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री के अनुसार टंडन ने बताया है कि मध्यप्रदेश के 24 जिलों में आदिवासी हितग्राहियों की फर्जी सूची बनाकर राशि का गबन किया गया है.

जांच रिपोर्ट में पाया गया कि जैविक सामग्री नहीं बांटी गई:केन्द्र सरकार ने विशेष पिछड़े जनजाति समुदाय के किसानों के लिये 90 करोड़ रूपये तथा अन्य आदिवासी किसानों को जैविक खेती से जोड़ने के लिये 54 करोड़ रूपये आवंटित किये थे. आवेदक द्वारा पूर्व में भी इसकी शिकायत हर स्तर की जा चुकी है जिस पर कलेक्टर मंडला ने तीन अधिकारियों की समिति गठित कर जांच कराई थी. समिति ने 11 मार्च, 2022 को प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में बताया कि "उपरोक्त शिकायत पर जांच हेतु ग्राम केन्द्र विकासखण्ड मण्डला में हितग्राहियों से चर्चा की और व्यक्तिगत पूछताछ एवं ग्राम का भ्रमण करने पर पाया कि सूची में प्रेषित कृषक ब्राम्हण, तेली, कुर्मी, लोहार आदि जाति के पाए गए. उन्हें किसी भी प्रकार की जैविक सामग्री नहीं दी गई."

केन्द्र सरकार से स्वीकृत राशि में घोटाले की शिकायत: पूर्व मुख्यमंत्री ने आवेदक की शिकायत का हवाला देते हुए बताया कि इसी प्रकार आवेदक ने प्रदेश के अन्य 23 जिलों में आदिवासी जैविक खेती योजना के लिये केन्द्र सरकार से स्वीकृत राशि में घोटाला किये जाने की शिकायत की है. मंडला जिले की जांच से पता चलता है कि पूरे प्रदेश में इस योजना के बजट का दुरूपयोग किया गया है. किसी भी जाति, समाज के किसान का नाम लिखकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर आदिवासी किसानों के नाम जैविक खेती मद की राशि आहरित कर ली.

ये भी पढ़ें:

सिंह ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के वंचित वर्ग के लिये स्वीकृत राशि का गबन करने के प्रकरण की राष्ट्रपति कार्यालय में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी की देख-रेख में यह जांच कराई जाये. दोषी अधिकारियों और अन्य सप्लायर्स के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने हेतु संबंधित को समुचित निर्देश दिया जाए.

(आईएएनएस)

भोपाल। मध्य प्रदेश में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा "आदिवासी जैविक खेती योजना" के लिये स्वीकृत 74 करोड़ की राशि में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार होने का पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक शिकायत के आधार पर आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से जांच कराए जाने की मांग की है. सिंह ने राष्ट्रपति को लिख पत्र के साथ भोपाल के साकेत नगर में रहने वाले पुनीत टंडन की शिकायत को संलग्न किया है.

राष्ट्रपति को भेजे पत्र में ये लिखा: इसमें कहा गया है कि प्रदेश के आदिवासी वर्ग के लिये वर्ष 2016-17 में जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा "आदिवासी जैविक खेती योजना" के लिये स्वीकृत 74 करोड़ की राशि में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है, जिस पर राज्य शासन द्वारा कार्यवाही करने की जगह भ्रष्ट अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री के अनुसार टंडन ने बताया है कि मध्यप्रदेश के 24 जिलों में आदिवासी हितग्राहियों की फर्जी सूची बनाकर राशि का गबन किया गया है.

जांच रिपोर्ट में पाया गया कि जैविक सामग्री नहीं बांटी गई:केन्द्र सरकार ने विशेष पिछड़े जनजाति समुदाय के किसानों के लिये 90 करोड़ रूपये तथा अन्य आदिवासी किसानों को जैविक खेती से जोड़ने के लिये 54 करोड़ रूपये आवंटित किये थे. आवेदक द्वारा पूर्व में भी इसकी शिकायत हर स्तर की जा चुकी है जिस पर कलेक्टर मंडला ने तीन अधिकारियों की समिति गठित कर जांच कराई थी. समिति ने 11 मार्च, 2022 को प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में बताया कि "उपरोक्त शिकायत पर जांच हेतु ग्राम केन्द्र विकासखण्ड मण्डला में हितग्राहियों से चर्चा की और व्यक्तिगत पूछताछ एवं ग्राम का भ्रमण करने पर पाया कि सूची में प्रेषित कृषक ब्राम्हण, तेली, कुर्मी, लोहार आदि जाति के पाए गए. उन्हें किसी भी प्रकार की जैविक सामग्री नहीं दी गई."

केन्द्र सरकार से स्वीकृत राशि में घोटाले की शिकायत: पूर्व मुख्यमंत्री ने आवेदक की शिकायत का हवाला देते हुए बताया कि इसी प्रकार आवेदक ने प्रदेश के अन्य 23 जिलों में आदिवासी जैविक खेती योजना के लिये केन्द्र सरकार से स्वीकृत राशि में घोटाला किये जाने की शिकायत की है. मंडला जिले की जांच से पता चलता है कि पूरे प्रदेश में इस योजना के बजट का दुरूपयोग किया गया है. किसी भी जाति, समाज के किसान का नाम लिखकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर आदिवासी किसानों के नाम जैविक खेती मद की राशि आहरित कर ली.

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सिंह ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के वंचित वर्ग के लिये स्वीकृत राशि का गबन करने के प्रकरण की राष्ट्रपति कार्यालय में पदस्थ भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी की देख-रेख में यह जांच कराई जाये. दोषी अधिकारियों और अन्य सप्लायर्स के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही करने हेतु संबंधित को समुचित निर्देश दिया जाए.

(आईएएनएस)

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