ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल में आई बाढ़ से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक यह नुकसान लगभग पौने दो हजार करोड़ रुपए का बताया जा रहा है. इसके अलावा पुल, पुलिया, सड़क, सरकारी भवन के साथ बिजली वितरण व्यवस्था और सिंचाई परियोजनाओं को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फसलें भीं खराब हो गई है. इसके साथ ही 58 हजार निजी आवास क्षतिग्रस्त हुए हैं और गोदामों और उचित मूल्य की दुकानों मेंं रखा लगभघ 53 करोड़ रुपए का राशन भी खराब हुआ है. जिला प्रशासन और नुकसान का जायजा लेने पहुंचे केंद्रीय दल ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और राजस्व विभाग के प्रमुख से यह जानकारी साझा की है.
बड़े पैमाने पर हुआ संपत्ति का नुकसान
केंद्रीय जांच दल और स्थानीय प्रशासन के बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर जो आकलन किया गया है उसमें
- बाढ़ से 2 हजार 444 गांव प्रभावित हुए हैं. गांवों में 3590 पशु हानि हुई है. इसके अलावा एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में खरीफ की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.
- 51 करोड़ रुपए से ज्यादा का गोदामों में रखा अनाज, इसके अलावा सरकारी उचित मूल्य की राशन दुकानों में रखा ढाई करोड़ रुपए राशन पूरी तरह से खराब हो चुका है.
- 58 हजार से ज्यादा निजी आवास पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए. इसके साथ ही सरकारी संपत्ति को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है.
- बाढ़ से हुए नुकसान के आकलन को लेकर सर्वे में कहा गया है कि बाढ़ में 1131 गांव के एक लाख 13 हजार 929 बिजली उपभोक्ता प्रभावित हुए हैं.
- 8 हजार 318 बिजली के खंभे गिरे हैं और 66 विद्युत सबस्टेशन तहस नहस हो गए हैं.
इन जगहों पर किया केंद्रीय टीम ने दौरा
केंद्रीय दल दो दिन पहले श्योपुर ,शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, ग्वालियर जिलों का दौरा करने के लिए आया था। वहीं गुना अशोकनगर और विदिशा का दौरा बार में होगा। इसके बाद राज्य सरकार आर्थिक सहायता के लिए विस्तृत प्रतिवेदन केंद्र को भेजेगी।
ग्रामीणों ने उठाए सर्वे पर सवाल
बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने मुरैना, श्योपुर और सबलगढ़ जिलों में पहुंचे केंद्रीय दल के सर्वे पर स्थानीय ग्रामीणों ने सवाल उठाए हैं. ग्रामीणों ने इस सर्वे को व्हीआईपी सर्वे बताया है. ग्रामीणों का कहना है कि केंद्रीय दल के अधिकारियों ने जिले के किसी बाढ़ प्रभावित गांव में जाकर दौरा नहीं किया. दल के अधिकारी सिर्फ स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठक कर मुरैना से सबलगढ़ होते हुए श्योपुर के लिए रवाना हो गए. स्थानीय लोगों का कहना है कि केंद्रीय दल के सदस्यों ने मुरैना से सबलगढ़ जाते समय रास्ते में पुल पर खड़े होकर सिर्फ नदी को और पास ही एक टूटी हुई पुलिया देखा और वहां से चले गए. ऐसे ग्रामीण जिनके घर बाढ़ में बर्बाद हो गए हैं, वो सर्वे दल का इंतजार ही करते रह गये और केंद्रीय दल ने सड़क पर से ही सर्वे कर लिया.
बता दें जिले में चंबल और क्वारी नदी में बाढ़ आने से जिले के 68 गांव प्रभावित हुए हैं. जिसके नुकसान का सर्वे करने केंद्र सरकार के कृषि विभाग के निदेशक एके तिवारी के नेतृत्व में केंद्रीय दल मुरैना पहुंचा था. यहां केंद्रीय अधिकारी पहले कलेक्ट्रेट गए, यहां अधिकारियों से मुलाकात की और मुरैना से श्योपुर के लिए रवाना हो गए.