भोपाल। अखिल भारतीय संत समिति ने चेतावनी दी है कि, अगर मठ मंदिरों से जुड़ी समस्याओं का निपटारा नहीं किया तो संत समाज अपने अनुयायियों तक अपनी सच्चाई पहुंचाएगा और ये सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री मंहत हनुमानदास जी महाराज ने कहा कि देश में भगवा की सरकार है लेकिन संत साधु और मठ मंदिर वाले ही परेशान है. हमारा पांच सूत्रीय मांग पत्र है. अगर सरकार ने इसकी सुनवाई नहीं की तो तय मानिए कि पूरे प्रदेश में तहसील स्तर तक संत समाज आंदोलन छेड़ेगा. हर एक पुजारी मठ मंदिर के प्रमुख का दायरा उसके क्षेत्र में कम से कम एक किलोमीटर का तो होता है तो अगर हम जनता तक ये बात पहुंचाएंगे कि कैसे सरकार में साधु सतों मठ मंदिरों के पुजारियों की अनदेखी की जा रही है.
संत समाज इन मांगो के साथ मैदान में: अखिल भारतीय संत समिति इसी वर्ष अप्रैल महीने में धर्म सम्मेलन आयोजित करने जा रही है. इस सम्मेलन में पांच सूत्रीय मांगे समिति सरकार के सामने रखेगी. जिसमें पहली मांग गौचर भूमि के साथ गौ शाला की दुर्दशा और गौ की स्थिति सुधारने को लेकर है. दूसरी मांग है कि मठ मंदिरों की जो जमीन है उन्हें अतिक्रमण मुक्त किया जाए. मठ मंदिरों को जो प्रशासन नीलाम करता है उस पर स्थाई रोक लगाई जाए. मठ मंदिरों से लगी जमीन पर खेती करने वाले पुजारियों को भी किसानों की तरह की सुविधाएं शासन. मठ मंदिरों का सीमांकन हो. मठ मंदिरों का नियंत्रण साधु संतों पुजारियों के हाथ में हो. जिस तरीके से मुस्लिम इसाई और सिख समुदाय में उनकी ही कमेटियां बनी हुई हैं. तो हिंदू धर्म से जुड़े साधु संतों को ये छूट क्यों नहीं दी जाती.
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पर्ची दरबारों के खिलाफ आएगा प्रस्ताव: संत समिति के प्रवक्ता अनिलानंद महाराज ने कहा कि इस संत समागम में हम दरबारों के जरिए अंधविश्वास फैलाने वालों के खिलाफ भी प्रस्ताव लाएंगे.समिति का प्रस्ताव है कि कथावाचक धर्म का प्रचार करें लेकिन धर्म की आड़ में लोगों के साथ ठगी आस्था बदनाम नहीं होनी चाहिए. अनिलानंद महाराज ने कहा कि हम चेतावनी देते है अंधविश्वास फैलाने वाले भारत की सनातन संस्कृति के साथ खिलवाड़ ना करें.