भोपाल। फिजिक्स में ही नहीं राजनीति में भी हर एक्शन की रिएक्शन होती है और लंबा असर डालती है. पिछले दिनों एमपी की सियासत में दो ऐसी घटनाएं हुईं. जिनमें एक्शन से ज्यादा उसकी रिएक्शन के चर्चे हैं. पहला एक्शन ये कि सुमावली से कांग्रेस के विधायक अजब सिंह कुशवाह की सजा पर हाईकोर्ट से रोक लग गई. इसका रिएक्शन जोरदार और वो ये कि विधायक महोदय रोक लगते ही सीधे मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दरबार में पहुंचे और कहा कि इस भाई का उपयोग अब आपको करना है.
रिएक्शन काबिल-ए-गौर: अब कयास लगाते रहिए कि क्या एक विधायक और टूटने वाला है कांग्रेस से. दूसरा मामला भोपाल में कर्णी सेना के आंदोलन से जुड़ा हुआ. कर्णी सेना ने आंदोलन ऐसे समय किया जब पूरी सरकार प्रवासी भारतीय दिवस और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में जुटी थी. यूं समझिए कि इस संगठन ने सरकार का इम्तेहान ले लिया. फिर इसी आंदोलन में मुख्यमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की गई. लेकिन इस एक्शन के बाद आई रिएक्शन काबिल-ए-गौर है. करणी सेना की सरकार ने अठारह मांगे मान लीं और जब आंदोलन खत्म हुआ तो आभार जताने सेना के कार्यकर्ता मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पास ही पहुंचे.
कमलनाथ की चक्की में कौन पिसा: तो क्या मान लिया जाए कि कांग्रेस में चुनावी जमावट शुरु हो गई है. अभी टिकटों के बंटवारे और और टिकट काटने में समय है, लेकिन संगठन के स्तर पर जमावट शुरु हो गई है. क्या लंबे समय से पार्टी संगठन का काम देख रहे. चंद्रप्रभाष शेखर की संगठन के महत्वपूर्ण कामों से छुट्टी क्या इसकी शुरुआत मानी जाए. चंद्रप्रभाष शेखर की जगह राजीव सिंह को ये जवाबदारी सौंप दी गई है. शेखर को बड़े नेताओं से कार्डिनेशन की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी में चर्चा इस बात की है कि, शेखर की छुट्टी की स्क्रीप्ट लिखी किसने शिकायतें किस दरवाजे से कमलनाथ तक पहुंचाई गईं कि, साल की शुरुआत में ही पहली गाज उनके ऊपर ही गिरी. कहा जा रहा है कि चंद्रप्रभाष शेखर की वर्किंग स्टाइल को लेकर पीसीसी के अंदर लंबे समय से नाराजगी थी. जो इस शक्ल में चुनावी साल की शुरुआत में ही सामने आ गई.
चुनावी साल और एमपी फिर नए बाबा की एंट्री: 2018 के विधानसभा चुनाव में याद होगा. आपको कम्प्यूटर बाबा मिर्ची बाबा के साथ एक तरीके से बाबाओ की बहार आ गई थी. इस बार भी क्या बाबा ही सियासत में धूनी जमाएंगे. बागेश्वर धाम और पंडित प्रदीप मिश्रा तो पहले ही अपने सियासी भक्तों के साथ माहौल बनाए हुए हैं, लेकिन एक और नए बाबा के एमपी का राजनीति में चर्चे हैं इन दिनों चर्चे इसलिए भी हैं कि, बाबा ने पॉलीटिकल स्टेंटमेंट के साथ सिटीजन जर्नलिस्ट की तरह एमपी की राजनीति में एंट्री ली है. बाबा जी का एक वीडियो खूब देखा गया जिसमें उन्होने नर्मदा के अवैध उत्खनन का मुद्दा उठाया था. स्वामी राम शंकर बाबा ने ये वीडियो को सैक़ड़ों लोगों ने शेयर किया और हजारों लोगों ने इसे देखा. सुनते हैं कि उसके बाद बाबाजी पर वीडियो हटाने का दबाव बनाया गया. यहां तक की पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने कहा जाता है कि वीडियो हटवा भी दिया. लेकिन चर्चा ये है किबाबा जी के पॉलीटिकल स्टैंड को लेकर है. सियासी गलियारों में सवाल ये है कि हौले हौले एमपी की पॉलीटिक्स में जगह बना रहे राम शंकर 2023 के विधानसभा चुनाव में किसी सियासी दल के साथ दम भरते तो नज़र नहीं आएँगे . या नर्मदा के अवैध उत्खनन को लेकर बाबा जी की चिंता एक जागरुक नागरिक होने की वजह से भर है. सच्चाई जो भी हो. बाबा जी के वीडियो इसी उम्मीद में देखे जाने लगे हैं कि देखें बाबाजी अब क्या खुलासा करते हैं.