भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के वन मंत्री कुंवर विजय शाह को पत्र लिखा है. दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले के साथ उनके विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आदिवासी परिवारों के वनाधिकार पट्टों के दावों के निराकरण के लिए यह पत्र लिखा है. पत्र में वन मंत्री को लिखा कि "आदिवासी परिवार, वनाधिकार पट्टों के दावों के निराकरण के लिए वर्षों से भटक रहे हैं और उनके आवेदनों पर निर्णय नहीं होना प्रशासनिक असंवेदनशीलता का परिचायक है. मेरा आपसे अनुरोध है कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले आदिवासी परिवारों के वनाधिकार दावों का समय सीमा तक कर निराकरण कराना सुनिश्चित करें."
यह लिखा पत्र में: दिग्विजय सिंह ने लिखा कि "मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आपके विभाग ने आज से पोर्टल प्रारंभ कर वन अधिकार अधिनियम के तहत् प्राप्त आपत्तियों को पुनः लेने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी की भैरूंदा तहसील में मैंने इस संबंध में पट्टों से वंचित आदिवासियों से चर्चा की और संबंधित अधिकारियों से वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त की.
वन अधिकार पट्टों के निराकरण की मांग: मुझे बताया गया कि सीहोर जिले में वन अधिकार अधिनियम के तहत गठित वन समितियों में केवल अध्यक्षों का चयन किया गया है, लेकिन समितियों के गठन की स्थिति स्पष्ट नहीं है. कई ग्रामों में अध्यक्षों को ही न समिति की जानकारी है और न ही उन्हें अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान है. जानकारी के अभाव में शासकीय तंत्र से जुड़े राजस्व विभाग, वन विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी मिलकर मनमर्जी से निर्णय कर रहे हैं. यह कार्रवाई वन अधिकार अधिनियम की मंशा के प्रतिकूल है. जिले में अभी तक जिला स्तरीय वन अधिकार समिति भी गठित नहीं की गई है. इस समिति का गठन किया जाए. जिला पंचायत में निर्वाचित जिला सदस्यों को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये, ताकि जिलास्तर पर अधिनियम के अन्तर्गत लंबित दावों के निराकरण की समीक्षा हो सके. आज के "वन अधिकार संवाद" में यह बात भी निकलकर सामने आई कि पोर्टल बंद रखे जाने के कारण बड़ी संख्या में लंबित आवेदनों का निराकरण ही नहीं किया गया है.
यहां पढ़ें... |
समस्याओं का किया जाए हल: मुख्यमंत्री के गृह जिले के साथ उनके अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी में आदिवासी परिवार वनाधिकार पट्टों के दावों के निराकरण के लिये वर्षों से भटक रहे हैं और उनके आवेदनों पर निर्णय नहीं होना प्रशासनिक असंवेदनशीलता का परिचायक है. मेरा आपसे अनुरोध है कि मुख्यमंत्री के क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले आदिवासी परिवारों के वनाधिकार दावों का समय सीमा तक कर निराकरण कराना सुनिश्चित करें.