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MP MBBS In Hindi: मेडिकल की हिंदी बुक्स का मंत्री सारंग ने किया रिव्यू, बोले- हिंदी के साथ अंग्रेजी मीडियम वाले छात्रों का भी मिला पॉजीटिव रिस्पांस

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Published : Jul 28, 2023, 10:53 PM IST

Updated : Jul 28, 2023, 11:05 PM IST

देश भर में मेडिकल की किताबों को हिंदी में लॉच करके ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया, लेकिन अब इन किताबों की उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं. इसीलिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदारों से बात करके फीडबैक लिया.

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भोपाल। मध्यप्रदेश में दो साल पहले MBBS की किताबों को हिंदी में करने की बात शुरू हुई. एक साल पहले उसे मूर्त रूप दिया गया. अब इन किताबों को पढ़कर फर्स्ट ईयर का बैच आगे निकल चुका है. यदि विभाग की बात करें तो उनके अनुसार सभी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस( MBBS) फर्स्ट ईयर की हिंदी पुस्तकों का चिकित्सा विद्यार्थियों में अच्छा रिस्पांस देखने को मिल रहा है. यह भी कहना है कि "हिंदी के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी भी हिंदी पुस्तकों से पढ़ाई करने में रूचि दिखा रहा है." यह जानकारी MBBS सेकेंड, थर्ड और फोर्थ ईयर की हिंदी पुस्तकों के ट्रांसलेशन की रिव्यू मीटिंग में आए फीडबैक के बाद दी गई है.

मंत्री सारंग ने की चर्चा: शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के डीन एवं ट्रांसलेशन के काम से जुड़े मेडिकल एक्सपर्ट टीचर्स से चर्चा की. मीटिंग में मंत्री सारंग ने ट्रांसलेशन वर्क की सिलसिलेवार समीक्षा की और करंट पोजीशन भी जानी. इस मीटिंग में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन गोपाल चंद्र डाड, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन डॉ. अरूण कुमार श्रीवास्‍तव, सभी 13 शासकीय मेडिकल कॉलेजों के डीन, स्टेट नोडल ऑफिसर हिंदी प्रकोष्ठ डॉ. लोकेंद्र दवे, हिंदी प्रकोष्ठ के सदस्य एवं ट्रांसलेशन करने वाले 200 से अधिक मेडिकल टीचर्स मौजूद थे.

दावा कि हिंदी पुस्तकों से अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों की पढ़ाई हुई आसान: रिव्यू मीटिंग के दौरान बताया गया कि "सभी गवर्मेंट मेडिकल कॉलेजों में MBBS फर्स्ट ईयर के स्टूडेंटस में हिंदी पुस्तकों का वितरण किया जा चुका है. वहीं विद्यार्थियों की आवश्यकता को देखते हुए और किताबों की मांग भी भेज दी गई है. इस दौरान यह भी बताया गया कि हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों में भी पुस्तकों को लेकर रूचि बढ़ी है. अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों का कहना है कि हिंदी में कठिन विषयों को समझने में आसानी हो रही है. इस पर मंत्री सारंग ने 1 हफ्ते के भीतर फार्म जारी कर विद्यार्थियों से फीडबैक लेने के निर्देश दिये.

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वॉररूम मंदार की हुई स्थापना: मीटिंग में सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के डीन द्वारा बताया गया कि महाविद्यालय में हिंदी पुस्तकों के ट्रांसलेशन वर्क के लिये हिंदी वॉररूम “मंदार” की स्थापना कर दी गई है. इसके साथ ही 12 विषयों के लिये 12 ऑपरेटरों की नियुक्ति भी पूर्ण कर ली गई है. इस दौरान मंत्री सारंग ने हिंदी वॉररूम मंदार के भोपाल मुख्यालय के साथ समन्वय के लिये प्रभारी बनाने के निर्देश भी दिये. बता दें कि इस काम के लिए सितंबर तक की टाइमलाइन तय की गई है. इसके लिए प्रत्येक 13 मेडिकल कॉलेजों में हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ट को सॉफ्टवेयर आधारित एआई के उपयोग के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. सभी 12 विषयों के लिये चिंहित टीम में ट्रांसलिट्रेशन हेतु चैप्टर आवंटित किये जाएंगे. जिसकी कार्य प्रगति को डेशबोर्ड पर दर्ज किया जायेगा. डीएमई हर 3 दिन में एवं सीएमई हर 7 दिन में इसकी समीक्षा करेंगे. वहीं वे स्वयं हर 10 दिन में कार्य प्रगति की समीक्षा करेंगे.

भोपाल। मध्यप्रदेश में दो साल पहले MBBS की किताबों को हिंदी में करने की बात शुरू हुई. एक साल पहले उसे मूर्त रूप दिया गया. अब इन किताबों को पढ़कर फर्स्ट ईयर का बैच आगे निकल चुका है. यदि विभाग की बात करें तो उनके अनुसार सभी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस( MBBS) फर्स्ट ईयर की हिंदी पुस्तकों का चिकित्सा विद्यार्थियों में अच्छा रिस्पांस देखने को मिल रहा है. यह भी कहना है कि "हिंदी के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी भी हिंदी पुस्तकों से पढ़ाई करने में रूचि दिखा रहा है." यह जानकारी MBBS सेकेंड, थर्ड और फोर्थ ईयर की हिंदी पुस्तकों के ट्रांसलेशन की रिव्यू मीटिंग में आए फीडबैक के बाद दी गई है.

मंत्री सारंग ने की चर्चा: शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी 13 शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के डीन एवं ट्रांसलेशन के काम से जुड़े मेडिकल एक्सपर्ट टीचर्स से चर्चा की. मीटिंग में मंत्री सारंग ने ट्रांसलेशन वर्क की सिलसिलेवार समीक्षा की और करंट पोजीशन भी जानी. इस मीटिंग में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन गोपाल चंद्र डाड, डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन डॉ. अरूण कुमार श्रीवास्‍तव, सभी 13 शासकीय मेडिकल कॉलेजों के डीन, स्टेट नोडल ऑफिसर हिंदी प्रकोष्ठ डॉ. लोकेंद्र दवे, हिंदी प्रकोष्ठ के सदस्य एवं ट्रांसलेशन करने वाले 200 से अधिक मेडिकल टीचर्स मौजूद थे.

दावा कि हिंदी पुस्तकों से अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों की पढ़ाई हुई आसान: रिव्यू मीटिंग के दौरान बताया गया कि "सभी गवर्मेंट मेडिकल कॉलेजों में MBBS फर्स्ट ईयर के स्टूडेंटस में हिंदी पुस्तकों का वितरण किया जा चुका है. वहीं विद्यार्थियों की आवश्यकता को देखते हुए और किताबों की मांग भी भेज दी गई है. इस दौरान यह भी बताया गया कि हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों में भी पुस्तकों को लेकर रूचि बढ़ी है. अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थियों का कहना है कि हिंदी में कठिन विषयों को समझने में आसानी हो रही है. इस पर मंत्री सारंग ने 1 हफ्ते के भीतर फार्म जारी कर विद्यार्थियों से फीडबैक लेने के निर्देश दिये.

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वॉररूम मंदार की हुई स्थापना: मीटिंग में सभी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों के डीन द्वारा बताया गया कि महाविद्यालय में हिंदी पुस्तकों के ट्रांसलेशन वर्क के लिये हिंदी वॉररूम “मंदार” की स्थापना कर दी गई है. इसके साथ ही 12 विषयों के लिये 12 ऑपरेटरों की नियुक्ति भी पूर्ण कर ली गई है. इस दौरान मंत्री सारंग ने हिंदी वॉररूम मंदार के भोपाल मुख्यालय के साथ समन्वय के लिये प्रभारी बनाने के निर्देश भी दिये. बता दें कि इस काम के लिए सितंबर तक की टाइमलाइन तय की गई है. इसके लिए प्रत्येक 13 मेडिकल कॉलेजों में हिंदी चिकित्सा प्रकोष्ट को सॉफ्टवेयर आधारित एआई के उपयोग के लिये विशेष प्रशिक्षण दिया जायेगा. सभी 12 विषयों के लिये चिंहित टीम में ट्रांसलिट्रेशन हेतु चैप्टर आवंटित किये जाएंगे. जिसकी कार्य प्रगति को डेशबोर्ड पर दर्ज किया जायेगा. डीएमई हर 3 दिन में एवं सीएमई हर 7 दिन में इसकी समीक्षा करेंगे. वहीं वे स्वयं हर 10 दिन में कार्य प्रगति की समीक्षा करेंगे.

Last Updated : Jul 28, 2023, 11:05 PM IST
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