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MP करणी सेना का आक्रामक रुख देखकर BJP टेंशन में तो जयस के तेवर देख Congress भी परेशान

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव (MP Assembly elections) में फतह पाने के लिए दो प्रमुख दल बीजेपी व कांग्रेस पूरे दमखम से जुटे हैं. दोनों दलों की नजरें आदिवासियों व एससी-एसटी पर टिकी हैं. दोनों दल ये मानकर चल रहे हैं आदिवासी व एससी-एसटी जहां झुक जाएंगे उसी की सरकार बनेगी. इस बीच हाल ही में करणी सेना ने बीजेपी की नींद उड़ाकर (Karni Sena creating trension of BJP) रख दी है. क्योंकि बीजेपी मानकर चल रही है कि सवर्ण उसका सॉलिड वोट बैंक है. दूसरी तरफ आदिवासियों के वोट बैंक पर सेंध लगाने की कांग्रेस की योजना ध्वस्त होती दिख रही है (Congress upset after Jayas attitude) क्योंकि जयस ने चुनावी मैदान में ताल ठोकनी शुरू कर दी है.

MP Karni Sena creating trension of BJP
MP करणी सेना का आक्रामक रुख देखकर BJP टेंशन में
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Published : Jan 12, 2023, 3:56 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में राजनीतिक दलों का फोकस एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग पर है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपना चुनावी प्लान इनको साधने के लिए बना लिया है. दोनों दलों ने जमीनी स्तर पर काम भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस अनुसूचित जनजाति विभाग का सम्मेलन करने जा रही है, जिसमें पूर्व सीएम कमलनाथ सियासी जातिगत प्लान तैयार कर रहे हैं. कांग्रेस को लगता है कि एसटी को अपने तरफ मोड़ लिया तो जीत की संभावना बढ़ जाएगी. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी लगातार इन वर्गों को साथ जुटाने के लिए मैदान में है. बीजेपी फरवरी से विधानसभावार अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन करने जा रही है और खासतौर से बूथ लेवल तक ये कार्यक्रम किए जाएंगे.

आदिवासी वोटर्स की अहम भूमिका : मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए प्रदेश की दोनो सियासी पार्टियां अपने अपने दांव खेलती रही हैं. लोकसभा में आदिवासियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं. वहीं विधानसभा की 90 सीटों पर आदिवासियों का वोट बैंक खासा प्रभाव डालता है. केंद्रीय नेतृत्व ने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर आदिवासियों के वोट बैंक में सेंधमारी है, जिसके नतीजे गुजरात में देखने को मिले. जहां पर आदिवासियों ने बीजेपी को जमकर वोट दिया. केंद्र ने देश की 60 लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ बनाने के लिए ये मास्टर स्ट्रोक खेला है.

MP Karni Sena creating trension of BJP
MP करणी सेना का आक्रामक रुख देखकर BJP टेंशन में

राहुल गांधी की यात्रा ने कांग्रेस में फूंकी जान : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असर ये रहा कि पार्टी नेताओं में जोश देखने को मिलने लगा है. यात्रा को उन क्षेत्रों से गुजारा गया है जहां पर कांग्रेस का वोट बैंक मजबूत था. एमपी में मालवा बेल्ट को इसलिए चुना गया क्योंकि ये संघ का गढ़ है और यहां कांग्रेस को वोट बैंक के लिहाज से फायदा हुआ था. वहीं बीजेपी ने राहुल की यात्रा का काट निकलने के लिए 2023 चुनावों के पहले जनजातीय इलाकों में रथयात्रा निकालने का प्लान बनाया है. रथयात्रा में टंट्या मामा बलिदान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर आदिवासी वोटबैंक को रिझाने की भरपूर कोशिश की. रथयात्रा कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की काट मानी जा रही है. राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में 12 दिन यात्रा की जिसमे विधानसभा और लोकसभा सीटों पर फोकस किया.

बीजेपी की मुश्किलें क्यों बढ़ीं : साल के अंत में मप्र राज्य में विधानसभा चुनाव होना है. लेकिन इस बीच करणी सेना ने भी राजनीति में एंट्री के संकेत दे दिए हैं. करणी सेना का भोपाल में हुए आंदोलन को स्थगित कराने के लिए दो मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई थी. करणी सेना ने भाजपा को वोट न देने का अपने कार्यकर्ताओं को संकल्प दिला दिया. करणी सेना की 21 सूत्रीय मांगें हैं. करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर का कहना है कि मांगें नहीं पूरी नहीं हुईं तो सत्ता बदल देंगे. उनका दावा है कि सवर्ण और पिछड़ा वर्ग उनके साथ है. हालांकि फिलहाल बीजेपी सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है. सरकार के दो मंत्रियों को आंदोलन समाप्त करने लगाया, जिसमें एक ब्राह्मण और दूसरे ठाकुर मंत्री शामिल रहे.

MP Karni Sena creating trension of BJP
MP करणी सेना का आक्रामक रुख देखकर BJP टेंशन में

MP: खत्म हुआ करणी सेना का आंदोलन, मंत्री ने 22 में से 18 मांगें मानी, 2 महीने का दिया अल्टीमेटम

जयस ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन : बीजेपी ने जयस के प्रभाव को कम करने के लिए भी अपनी पार्टी के आदिवासी नेताओं को एक्टिव कर दिया है. आदिवासी संगठन जयस ने आदिवासियों के प्रभाव वाली 80 विधानसभा सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का ऐलान किया तो कांग्रेस ही नहीं बीजेपी को भी बड़ा झटका लगा, जिसके चलते दोनों दल जयस काउंटर करने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता की चाबी आदिवासियों के वोटों के सहारे ही मिली थी. 47 सीटों में से कांग्रेस को 30 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार ये इतना आसान नहीं है और ये खुद कांग्रेस भी जानती है. पीएम मोदी को एमपी लाकर और जनजातीय गौरव दिवस मनाकर बीजेपी ने कांग्रेस के लिए कड़ी टक्कर देने का काम किया. मप्र सरकार ने पेसा एक्ट हो या फिर और कई योजनाएं जो आदिवासियों के लिए खासतौर से बनाई गई हैं, इनके जरिए आदिवासियों को साधने के जतन हो रहे हैं.

भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में राजनीतिक दलों का फोकस एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग पर है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपना चुनावी प्लान इनको साधने के लिए बना लिया है. दोनों दलों ने जमीनी स्तर पर काम भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस अनुसूचित जनजाति विभाग का सम्मेलन करने जा रही है, जिसमें पूर्व सीएम कमलनाथ सियासी जातिगत प्लान तैयार कर रहे हैं. कांग्रेस को लगता है कि एसटी को अपने तरफ मोड़ लिया तो जीत की संभावना बढ़ जाएगी. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी भी लगातार इन वर्गों को साथ जुटाने के लिए मैदान में है. बीजेपी फरवरी से विधानसभावार अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन करने जा रही है और खासतौर से बूथ लेवल तक ये कार्यक्रम किए जाएंगे.

आदिवासी वोटर्स की अहम भूमिका : मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए प्रदेश की दोनो सियासी पार्टियां अपने अपने दांव खेलती रही हैं. लोकसभा में आदिवासियों के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं. वहीं विधानसभा की 90 सीटों पर आदिवासियों का वोट बैंक खासा प्रभाव डालता है. केंद्रीय नेतृत्व ने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर आदिवासियों के वोट बैंक में सेंधमारी है, जिसके नतीजे गुजरात में देखने को मिले. जहां पर आदिवासियों ने बीजेपी को जमकर वोट दिया. केंद्र ने देश की 60 लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ बनाने के लिए ये मास्टर स्ट्रोक खेला है.

MP Karni Sena creating trension of BJP
MP करणी सेना का आक्रामक रुख देखकर BJP टेंशन में

राहुल गांधी की यात्रा ने कांग्रेस में फूंकी जान : राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का असर ये रहा कि पार्टी नेताओं में जोश देखने को मिलने लगा है. यात्रा को उन क्षेत्रों से गुजारा गया है जहां पर कांग्रेस का वोट बैंक मजबूत था. एमपी में मालवा बेल्ट को इसलिए चुना गया क्योंकि ये संघ का गढ़ है और यहां कांग्रेस को वोट बैंक के लिहाज से फायदा हुआ था. वहीं बीजेपी ने राहुल की यात्रा का काट निकलने के लिए 2023 चुनावों के पहले जनजातीय इलाकों में रथयात्रा निकालने का प्लान बनाया है. रथयात्रा में टंट्या मामा बलिदान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित कर आदिवासी वोटबैंक को रिझाने की भरपूर कोशिश की. रथयात्रा कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की काट मानी जा रही है. राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में 12 दिन यात्रा की जिसमे विधानसभा और लोकसभा सीटों पर फोकस किया.

बीजेपी की मुश्किलें क्यों बढ़ीं : साल के अंत में मप्र राज्य में विधानसभा चुनाव होना है. लेकिन इस बीच करणी सेना ने भी राजनीति में एंट्री के संकेत दे दिए हैं. करणी सेना का भोपाल में हुए आंदोलन को स्थगित कराने के लिए दो मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई थी. करणी सेना ने भाजपा को वोट न देने का अपने कार्यकर्ताओं को संकल्प दिला दिया. करणी सेना की 21 सूत्रीय मांगें हैं. करणी सेना प्रमुख जीवन सिंह शेरपुर का कहना है कि मांगें नहीं पूरी नहीं हुईं तो सत्ता बदल देंगे. उनका दावा है कि सवर्ण और पिछड़ा वर्ग उनके साथ है. हालांकि फिलहाल बीजेपी सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है. सरकार के दो मंत्रियों को आंदोलन समाप्त करने लगाया, जिसमें एक ब्राह्मण और दूसरे ठाकुर मंत्री शामिल रहे.

MP Karni Sena creating trension of BJP
MP करणी सेना का आक्रामक रुख देखकर BJP टेंशन में

MP: खत्म हुआ करणी सेना का आंदोलन, मंत्री ने 22 में से 18 मांगें मानी, 2 महीने का दिया अल्टीमेटम

जयस ने बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन : बीजेपी ने जयस के प्रभाव को कम करने के लिए भी अपनी पार्टी के आदिवासी नेताओं को एक्टिव कर दिया है. आदिवासी संगठन जयस ने आदिवासियों के प्रभाव वाली 80 विधानसभा सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का ऐलान किया तो कांग्रेस ही नहीं बीजेपी को भी बड़ा झटका लगा, जिसके चलते दोनों दल जयस काउंटर करने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता की चाबी आदिवासियों के वोटों के सहारे ही मिली थी. 47 सीटों में से कांग्रेस को 30 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार ये इतना आसान नहीं है और ये खुद कांग्रेस भी जानती है. पीएम मोदी को एमपी लाकर और जनजातीय गौरव दिवस मनाकर बीजेपी ने कांग्रेस के लिए कड़ी टक्कर देने का काम किया. मप्र सरकार ने पेसा एक्ट हो या फिर और कई योजनाएं जो आदिवासियों के लिए खासतौर से बनाई गई हैं, इनके जरिए आदिवासियों को साधने के जतन हो रहे हैं.

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