भोपाल। एमपी में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है. सरकार चुनाव से पहले सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र 62 साल से बढ़ाकर 63 साल करने जा रही है. माना जा रहा है कि 'हर्र लगे ना फिटकरी, रंग भी चोखा' के अंदाज़ में खेले जा रहे इस दांव में सरकारी कर्मचारियों के लिए अपना सॉफ्ट कार्नर भी दिखा पाएगी सरकार और रिटायरमेंट की उम्र में पहुंचे कर्मचारियों को दी जाने वाली करीब 85 हजार करोड़ की राशि की बचत भी हो सकेगी. लेकिन सवाल ये है कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाए जाने का प्रस्ताव सरकारी नौकरी के इंतज़ार में खड़े नौजवानों की कतार लंबी नहीं कर देगा क्या. इनमें से कितने नौजवान तो ओवरएज होने के साथ सरकारी नौकरी की पात्रता से बाहर निकल जाएंगे. इस वक्त भी मध्यप्रदेश सरकार के रोजगार पोर्टल पर 38 लाख 44 हजार चार सौ उनहत्तर रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं. जो दर्ज नहीं हुए उनकी तादात तो इस आंकड़े से तीन गुना होगी.
38 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगारों की दौड़ पर ब्रेक: एमपी में शिवराज सरकार रिटारयमेंट की उम्र बढ़ाए जाने का जोखिम उस समय में ले रही है जब तय है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा होगा. प्रदेश में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की तादात 38 लाख के पार पहुंच रही है. जाहिर है एक साल रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाए जाने के बाद नई भर्तियां और आगे के लिए टल जाएंगी और इस दौरान ना सिर्फ बेरोजगारों की कतार बढ़ेगी. इनमें से कई तो आयुसीमा पार कर लेने के साथ सरकारी नौकरी की पात्रता खो चुके होंगे.
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तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं "इसे ऐसे समझिए कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी साठ हजार ले रहा है तो उसके साल भर का खर्च सात लाख बीस हजार रुपए होगा. वहीं नई नियुक्ति होती है तो शुरुआत में औसत मान लें तो बीस हजार का अगर किसी को वेतनमान मिलता है तो उसे पूरे साल के बाद दो लाख चालीस हजार रुपए देने पड़ेंगे." तिवारी कहते हैं ये बेरोजगारों पर कुठाराघात है और सरकार जिस बचत के लिए ये आयुसीमा बढ़ा रही है कि उसे फिलहाल कर्मचारी को बीमा ग्रैच्युटी अवकाश नगदीकरण का पैसा नहीं देना पड़ेगा, तो ऐसा तो नहीं कि ये खत्म हो जाएगा. आज नहीं कल करना तो पड़ेगा. पेंशनर को तो फिर भी आधी तन्ख्वाह मिलती है. उसका घर चल जाएगा चिंता उस नौजवान की है जो इस आयु सीमा के बढ़ जाने से फिर सरकारी नौकरी पाने से रह जाएगा.
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चुनावी साल में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा: तय है कि इस चुनाव में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा. जिस वर्ग का ये मुद्दा है प्रदेश में उस वोटर की तादात करीब 35 फीसदी है. विधानसभा में पेश हुए 2021-22 के आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में ये सामने आया है कि इस एक वर्ष में 5.51 लाख बेरोजगार प्रदेश में बढ़े हैं. जाहिर है 2023 तक ये आंकड़ा बहुत आगे बढ़ चुका होगा. राज्य में शिक्षित बेरोजगारों का प्रतिशत बढ़कर 95.07 फीसदी को पार कर गया है. रजिस्टर्ड बेरोजगारों की तादात 38 लाख के पार पहुंच रही है. अब भी प्रदेश के 51 से जयादा विभागों में एक लाख से ऊपर पद खाली पड़े हैं. (BJP Mission 2023 )
ये तो बेरोजगारों का हक मारना हुआ: तृतीय वर्ग कर्मचरी संघ के प्रदेश सचिव उमा शंकर तिवारी का कहना है कि "प्रदेश में बेरोजगारी बहुत है सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बिल्कुल नहीं बढ़ाना चाहिए, प्रदेश में सेवारत कर्मचारियों की आयु बढ़ाने से बेरोजगारों के रोजगार के अवसर खत्म होंगे. ये नौजवानों पर बड़ा कुठाराघात है. प्रदेश सरकार को कर्मचारियों की सेवा वृद्धि नहीं करनी चाहिए. प्रदेश के युवाओं को भी इसके विरोध के लिए आगे आना चाहिए."