भोपाल। अब एक बार फिर अपनी राजनीतिक धाक बनाए रखने के लिए उमा भारती सरकार के भ्रष्ट अफसरों को लेकर मुखर दिखाई दे रही हैं, उमा ने हाल ही में मध्यप्रदेश के पूर्व आईएएस अधिकारी राधेश्याम जुलानिया को लेकर ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में उमा भारती ने जुलानिया पर लोकायुक्त मे भ्रष्टाचार का मामला दर्ज होने का स्वागत किया है, उमा ने इस बात का भी खुलासा किया है कि केन बेतवा प्रोजेक्ट अटकाने में जुलानिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी. उमा भारती ने ट्वीट में लिखा है कि "कल प्रदेश के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी पर लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया है, मैं शिकायतकर्ता का अभिनंदन करती हूं." (ias officer julianiya) (uma bharti targeted ias officer)
राधेश्याम जुलानिया के खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज: उमा ने लिखा कि, "करीब 3 महीने पहले मैं केन बेतवा पर इस व्यक्ति का जिक्र करते हुए ट्वीट कर चुकी हूं. मैंने दो अधिकारियों का जिक्र किया था, जिनकी वजह से केन बेतवा प्रोजेक्ट 2017 में रेडी होते हुए भी शुरू नहीं हो सका था, उनमें एक यह व्यक्ति भी था. मैंने उस समय के मुख्य सचिव से मुख्यमंत्री जी के सामने ही इस अधिकारी को जल संसाधन मंत्रालय से हटाने को कहा था और वह हट भी गया, लेकिन मेरा विभाग बदलते ही वह जल संसाधन में वापस हुआ. यह भी एक आश्चर्य का विषय है कि ऐसे लोग प्रभावशाली जगहों पर कैसे मौजूद रह सके." (mp former cm uma bharti)
शराब की दुकान और आहतों को लेकर उमा का गुस्सा फिर सड़क पर: कुछ दिन पहले उमा भारती भोपाल की एक शराब दुकान और अहाता को बंद करने पहुंच गई थीं, अब ओरछा राजा राम मंदिर जाने के रास्ते पर शराब की दुकान पर सख्त ऐतराज जताया है. भाई दूज के दिन जब वह ओरछा के राम मंदिर में दर्शन के लिए गई थीं, तो उनकी नज़र इस दुकान पर पड़ी, शराब की दुकान देख उमा भारती न सिर्फ भड़क गईं, बल्कि उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी बात लिखते हुए कड़े शब्दों में चेतावनी भी डाली.
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उमा का इस तरह सोशल मीडिया पर सक्रियता के मायने: राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उमा भारती खुद का वर्चस्व बनाए रखने के लिए इस तरह एक्टिव दिखाई दे रही हैं, वरिष्ठ पत्रकार अनिल श्रीवास्तव कहते हैं कि उमा भारती भले ही वे कह रहीं हो कि वे टिकट की दावेदारी करेगी लेकिन उनको भी पता है की चाहे राज्य हो या फिर केंद्र दोनो जगह उमा भारती का अब कद घट गया है, उन्हे हाशिए पर ला दिया है और सोशल मीडिया के साथ सड़को पर आकर उमा को लगता है कि वे इस तरह से अपना वर्चस्व बनाए रखेगी, लेकिन जहां तक बीजेपी का सवाल है तो अब उमा को अब पार्टी ने मेन स्ट्रीम से अलग कर दिया है.
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सियासी दलों की नजरें उमा पर: अब सियासी दलों की नजरें उमा पर हैं, सूबे की आबकारी नीति को लेकर उमा ने 7 नवंबर से 14 जनवरी तक गृह त्याग कर जंगल या खुले में रहने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा है कि अपनी लक्ष्य प्राप्ति तक यानी जब तक वह सरकार की नई आबकारी नीति नहीं देख लेतीं, घर पर नहीं रहेंगी. अब देखना होगा कि उमा का नया दांव क्या होता है, क्या वे अपनी बात पर कायम रहेंगी या फिर पहले की तरह इस बार भी यू टर्न ले लेगीं.