ETV Bharat / state

चुनावी साल में हड़ताल की बहार! अवकाश पर स्कील्ड टीचर्स, आशा कार्यकर्ताओ का अल्टीमेटम

चुनावी साल हड़ताल ही हड़ताल हो रही है. इससे माना जा रहा है कि, मध्य प्रदेश में ब्लैक आउट की स्थिति बन सकती है, बिजली कर्मचारी हड़ताल पर, स्कील्ड टीचर्स अवकाश पर, आशा कार्यकर्ताओं का अल्टीमेटम जारी है.

mp election year strike
चुनावी साल में हड़ताल की बहार
author img

By

Published : Feb 1, 2023, 7:39 PM IST

भोपाल। सियासी दलों को लिए इम्तेहान का साल है. कर्मचारी संगठनों के लिए मौका होते हैं. अभी नहीं तो कभी नहीं के अंदाज में एक के बाद एक सड़कों पर उतर रहे हैं. कर्मचारी संगठनों की निगाह से देखिए तो ये हड़ताल का साल है. मांगे मनवाने का आखिरी मौका है. तो सीन ये है कि आशा कार्यकर्ता से लेकर वोकेशनल एजुकेशन की ट्रेनिंग देने वाले शिक्षक अनशन का अल्टीमेटम सरकार को सौंप चुके हैं. 8 महीने से वेतन का इंतज़ार कर रहे वोकेशनल ट्रेनिंग टीचर्स ने बिना वेतन क्लास लेना बंद कर दिया है. ये हड़ताल भी उस समय है. जब छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं. उधर आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढाए जाने की डिमांड के साथ अल्टीमेटम दे दिया है कि, अगर मानदेय नहीं बढ़ाया गया तो सात फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली जाएंगी.

mp election year strike
चुनावी साल में हड़ताल की बहार!

ऐसे स्किल्ड होगा एमपी, बिना वेतन मास्साब: नई शिक्षा नीति में सबसे ज्यादा जोर व्यवासिक शिक्षा पर है, लेकिन उस पर अमल पर हालात इतने खराब हैं कि बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा की ट्रेनिंग दे रहे उन शिक्षकों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. दीपावली जैसे त्योहार के समय भी वेतन का आश्वासन दिया गया. लेकिन वेतन मिला नहीं. असल में इन टीचर्स की भर्ती आउटसोर्स कर्मचारी के बतौर की गई है. लेकिन वेतन को लेकर दुविधा है. ये स्पष्ट ही नहीं कि इन्हें वेतन मिलेगा कहां से.

mp election year strike
चुनावी साल में हड़ताल की बहार!

उलझ गए कर्मचारी: शिक्षा विभाग का कहना है कि, कंपनी वेतन देगी. कंपनी का कहना है कि, वेतन शिक्षा विभाग से दिया जाएगा. इस बीच ये कर्मचारी उलझ गए हैं. व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश यादव कहते हैं, व्यवसायिक शिक्षकों की हालात फुटबॉल जैसी हो गई है. आखिर में वेतन मांगे तो किससे मांगे. यादव का कहना है कि सरकारी विभाग की उदासीनता के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही है. बच्चों की बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं. विभाग को ये भी चिंता नहीं है कि अगर ये शिक्षक काम बंद हड़ताल पर चले जाएंगे तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा.

MP Students Protest: अनिमितताओं के खिलाफ आवाज उठाना पड़ा महंगा, पुलिस ने छात्रों को किया गिरफ्तार

आशा कार्यकर्ता की निराशा: आशा-उषा कार्यकर्ता लंबे समय से अपने मानदेय को लेकर मांग उठाती रही हैं. लेकिन अब चुनावी साल में आशा कार्यकर्ता भी आर पार की लड़ाई के मूड में आ चुकी है. आशा कार्यकर्ताओं की मांग है कि, दस हजार प्रतिमाह मानदेय किया जाए. इसी तरह से पर्यवेक्षक के लिए 15000 प्रति माह मानदेय दिया जाए. आशा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भोपाल जिले को छोड़कर बाकी जिलों में उन्हे मोबाईल भी वितरित नहीं किए गए हैं. आशा-उषा कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव का कहना है कि कार्यकर्ताओं की मांगों को लेकर ज्ञापन स्वास्थ्य मंत्री और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक को ज्ञापन सौंपा गया है. विभा श्रीवास्तव का कहना है कि हमने एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है. अगर सुनवाई पूरी नहीं हुई तो दस्तक अभियान के बहिष्कार कि साथ कलमबंद हड़ताल शुरु की जाएगी.

भोपाल। सियासी दलों को लिए इम्तेहान का साल है. कर्मचारी संगठनों के लिए मौका होते हैं. अभी नहीं तो कभी नहीं के अंदाज में एक के बाद एक सड़कों पर उतर रहे हैं. कर्मचारी संगठनों की निगाह से देखिए तो ये हड़ताल का साल है. मांगे मनवाने का आखिरी मौका है. तो सीन ये है कि आशा कार्यकर्ता से लेकर वोकेशनल एजुकेशन की ट्रेनिंग देने वाले शिक्षक अनशन का अल्टीमेटम सरकार को सौंप चुके हैं. 8 महीने से वेतन का इंतज़ार कर रहे वोकेशनल ट्रेनिंग टीचर्स ने बिना वेतन क्लास लेना बंद कर दिया है. ये हड़ताल भी उस समय है. जब छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं. उधर आशा कार्यकर्ताओं ने मानदेय बढाए जाने की डिमांड के साथ अल्टीमेटम दे दिया है कि, अगर मानदेय नहीं बढ़ाया गया तो सात फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली जाएंगी.

mp election year strike
चुनावी साल में हड़ताल की बहार!

ऐसे स्किल्ड होगा एमपी, बिना वेतन मास्साब: नई शिक्षा नीति में सबसे ज्यादा जोर व्यवासिक शिक्षा पर है, लेकिन उस पर अमल पर हालात इतने खराब हैं कि बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा की ट्रेनिंग दे रहे उन शिक्षकों को 8 महीने से वेतन नहीं मिला है. दीपावली जैसे त्योहार के समय भी वेतन का आश्वासन दिया गया. लेकिन वेतन मिला नहीं. असल में इन टीचर्स की भर्ती आउटसोर्स कर्मचारी के बतौर की गई है. लेकिन वेतन को लेकर दुविधा है. ये स्पष्ट ही नहीं कि इन्हें वेतन मिलेगा कहां से.

mp election year strike
चुनावी साल में हड़ताल की बहार!

उलझ गए कर्मचारी: शिक्षा विभाग का कहना है कि, कंपनी वेतन देगी. कंपनी का कहना है कि, वेतन शिक्षा विभाग से दिया जाएगा. इस बीच ये कर्मचारी उलझ गए हैं. व्यावसायिक प्रशिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश यादव कहते हैं, व्यवसायिक शिक्षकों की हालात फुटबॉल जैसी हो गई है. आखिर में वेतन मांगे तो किससे मांगे. यादव का कहना है कि सरकारी विभाग की उदासीनता के कारण शिक्षा प्रभावित हो रही है. बच्चों की बोर्ड परीक्षाएं सिर पर हैं. विभाग को ये भी चिंता नहीं है कि अगर ये शिक्षक काम बंद हड़ताल पर चले जाएंगे तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा.

MP Students Protest: अनिमितताओं के खिलाफ आवाज उठाना पड़ा महंगा, पुलिस ने छात्रों को किया गिरफ्तार

आशा कार्यकर्ता की निराशा: आशा-उषा कार्यकर्ता लंबे समय से अपने मानदेय को लेकर मांग उठाती रही हैं. लेकिन अब चुनावी साल में आशा कार्यकर्ता भी आर पार की लड़ाई के मूड में आ चुकी है. आशा कार्यकर्ताओं की मांग है कि, दस हजार प्रतिमाह मानदेय किया जाए. इसी तरह से पर्यवेक्षक के लिए 15000 प्रति माह मानदेय दिया जाए. आशा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि भोपाल जिले को छोड़कर बाकी जिलों में उन्हे मोबाईल भी वितरित नहीं किए गए हैं. आशा-उषा कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव का कहना है कि कार्यकर्ताओं की मांगों को लेकर ज्ञापन स्वास्थ्य मंत्री और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक को ज्ञापन सौंपा गया है. विभा श्रीवास्तव का कहना है कि हमने एक सप्ताह का अल्टीमेटम दिया है. अगर सुनवाई पूरी नहीं हुई तो दस्तक अभियान के बहिष्कार कि साथ कलमबंद हड़ताल शुरु की जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.